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आपका सभी सपना साकार करेगा बृहस्पति, परन्तु कैसे ?।।
आपका सभी सपना साकार करेगा बृहस्पति, परन्तु कैसे ?।।
astroclassess.blogspot.com
10:02:00
आपका सभी सपना साकार करेगा बृहस्पति, परन्तु कैसे ?।। Jupiter will fulfill all your dreams, but how.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, देवगुरु बृहस्पति जो जन्म कुण्डली में विभिन्न भावों में, विभिन्न ग्रहों के साथ या दृष्ट हो तो आपके सभी ड्रीम्स पूरा कर सकते हैं । ऐसे गुरु कई प्रकार के राजयोग का निर्माण करते हैं एवं आपके ड्रीम्स पुरे करते हैं । आइये आज हम गुरु से बनने वाले कुछ मुख्य राजयोगों का वर्णन कर रहे हैं ।।
ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।। मित्रों, आइये आज का आर्टिकल इस मन्त्र के साथ ही शुरू करते हैं, क्योंकि गुरुदशायां शिव साहस्रकम् जपेत् । अर्थात् गुरु की दशा हो अथवा गुरु से शुभ फल पाना चाहते हों तो शिव की आराधना करनी चाहिए ।।
मित्रों, मेष लग्न की कुण्डली में अगर स्वराशिस्थ मंगल के साथ यदि गुरु बैठा हो तो ऐसा जातक अपने जीवन में उच्च से उच्च स्थान प्राप्त करता है तथा विदेश अथवा गृहमंत्री बनता है या फिर जिले का प्रमुख तो अवश्य बनता है । मेष का मंगल लग्न में तथा दुसरे भाव में गुरु हो तो ऐसा जातक भी उच्च प्रशासनिक सेवा में उच्च पदाधिकारी बनता है ।।
मेष लग्न की कुण्डली में अगर में भाग्येश गुरु लग्न में हो एवं चतुर्थेश चतुर्थ में हो एवं दशम भाव में शुक्र हो तो वह जातक शासन में मंत्री होता है । उच्च का गुरु केन्द्र में हो तथा दशम भाव में शुक्र हो तो वह जातक यशस्वी होकर शासनाधिकारी होता है ।।
कन्या लग्न की कुण्डली में लग्न में बुध हो, एकादश भाव में गुरु एवं चन्द्रमा हो और पंचम भाव में मंगल हो तो वह जातक मंत्री या उच्चाधिकारी बनता है । गुरु या शुक्र उच्चस्थ होकर किसी केन्द्र अथवा त्रिकोण में हो तो वह जातक धनी, पराक्रमी व शासनाधिकारी होता है ।।
आपकी कुण्डली में अगर बुध के द्वारा गुरु देखा जा रहा हो तो ऐसा जातक महाधनी होकर उच्च पदस्थ होता है । वैसे किसी की भी जन्म पत्रिका में गुरु व शनि के बीच सारे ग्रह बैठे हों तो वह जातक अतुलनीय धन पाता है एवं उत्तम-से-उत्तम वाहनादि से युक्त उत्तम भवन में रहता है ।।
मित्रों, गुरु तृतीय भाव में एवं शुक्र अष्टम भाव में बैठे हों तो वह जातक अत्यन्त पराक्रमी होता है तथा अपने पराक्रम से राजसुख प्राप्त करने वाला होता है । गुरु तृतीय भाव में एवं चंद्रमा ग्यारहवें भाव में हो तो वह जातक भूमि एवं रत्नों से युक्त होता है ।।
गुरु ज्ञान एवं चन्द्रमा मन का कारक ग्रह होता है । किसी कुण्डली में यदि गुरु पंचम भाव में और चंद्रमा दशम भाव में बैठा हो तो वह जातक अत्यंत बुद्धिमान, यशस्वी, मन को वश में रखने वाला एवं राजसुख पाने वाला होता है ।।
गुरु एवं चंद्रमा किसी कुण्डली में अपनी उच्च राशियों में बैठे हों तो ऐसा जातक प्रोफेसर या प्रिंसीपल या फिर शिक्षामंत्री तक हो सकता है । अगर तुला राशि पर शनि एवं चन्द्रमा बैठे हों और सूर्य उच्च का हो साथ ही अगर गुरु कर्क राशि में बैठा हो तो ऐसा जातक अतुलनीय धनी होता है और शासन में उच्चाधिकारी भी होता है ।।
मित्रों, किसी कुण्डली में चंद्रमा स्वराशी या अपनी उच्च राशी में बुध के साथ बैठा हो तो ऐसा जातक अत्यन्त बुद्धिमान होता है । और ऐसा चन्द्रमा अगर कुण्डली में गुरु से दृष्ट हो तो जातक अपने जीवन में जज भी बन जाता है । द्वितीय भाव में शुक्र, दशम भाव में गुरु व षष्ठ भाव में राहू हो तो ऐसा जातक पराक्रमी शत्रुहंता होकर कुशल प्रशासनिक अधिकारी अथवा मंत्री होता है ।।
जन्मकुण्डली के प्रथम भाव में कोई पापाक्रांत ग्रह हो एवं कहीं से भी उच्च के गुरु की दृष्टि पड़ रही हो तो ऐसा जातक यशस्वी, धनी एवं राजतुल्य भोगों को भोगने वाला होता है । नवम भाव में गुरु के साथ तीन या चार ग्रह हों तो वह जातक राजनीति के क्षेत्र में पूर्ण सफलता पाता है ।।
किसी केन्द्र में गुरु हो तथा नवम भाव में शुक्र बैठा हो तो जातक को राजनीति के क्षेत्र में बड़ी सफलता अवश्य मिलती है । वृषभ के चंद्रमा पर गुरु की दृष्टि कहीं से भी हो तो ऐसा जातक उच्च पदाधिकारी, शासनाधिकारी या राजनीति में उच्चतम सफलता पाता है । अगर चंद्रमा के साथ सूर्य-शुक्र भी हों और गुरु से दृष्ट हो तो समाज में प्रसिद्धि एवं सर्वत्र सम्मान पाने वाला ग्राम प्रधानादि होता है ।।
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।।। नारायण नारायण ।।।
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