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बुध प्रधान व्यक्तित्व और वैज्ञानिक बनने की क्षमता ।।



 Bhagwan Shri Ganesha.


मित्रों, आज बुधवार है तो आइये आज बुध ग्रह से सम्बन्धित लेख आपलोगों के लिए प्रस्तुत है । बुध प्रधान व्यक्ति में इनकी अवस्था के अनुरूप ही एक छोटा बच्चा सदैव जीवित रहता है । ऐसा व्यक्ति जो हंसना-खेलना चाहता है, जो जिंदादिल रहना और जिंदगी के हर पल को भरपूर जीना चाहता है । ऐसे व्यक्ति की यही इच्छा इसे सदैव कुछ नए सूत्र तक बनाने की प्रेरणा देती है । जिनकी जन्मपत्रिका में बुध बलवान होता हैं, वो व्यक्ति अविष्कारी मानसिकता का भी होता है ।।


मित्रों आप ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखेंगे तो बुध का वर्गीकरण नैसर्गिक शुभ या अशुभ ग्रह के रूप में नहीं किया गया है । बुध जिस ग्रह के साथ बैठता है या प्रभाव क्षेत्र में होता है, उसी के अनुरूप आचरण करता है । परन्तु बुध ग्रह की एक खासियत है, कि यह अपनी पहचान नहीं खोता है । सूर्य के साथ युति करके बुधादित्य योग बनाता है ।।


सूर्य की ऊर्जा लेकर बुध जहाँ एक ओर बुद्धि को प्रखर बनाता है वहीं दूसरी ओर अनुशासन लेकर इन्द्रियों को नियंत्रित करता है । यद्यपि चन्द्रमा के प्रति बुध के मन में नाराजगी रहता है तथापि चन्द्रमा के साथ इसकी युति जातक का स्वभाव हास्य-विनोद से निखार देता है । चन्द्रमा की कल्पनाशक्ति और उडान की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति इस युति वाले जातकों में आपको मिल सकती है ।।


मित्रों, मंगल के साथ बुध की युति होने पर बुध की व्यापारिक बुद्धि अत्यधिक जाग्रत हो जाती है । इस युति को यदि बृहस्पति की अमृत दृष्टि मिल जाए तो जातक के जीवन में उच्चकोटि का धन योग बन जाता है । बुध और बृहस्पति की युति भी जातक के लिए अद्भुत सिद्ध होती है । वाणी, बुद्धि, ज्ञान, संगीत से जु़डी नैसर्गिक प्रतिभा ऐसे जातक में जैसे पहले से ही विद्यमान रहती है ।।


अथवा यूँ कहें कि बुध-गुरु की युति वाले जातकों के व्यक्तित्व में संपूर्णता होती है । यह जातक उस प्रतिभा को और भी अधिक से अधिक निखारने के लिए प्रयासरत भी रहता है । यह योग लक्ष्मी और सरस्वती दोनों को पाने की प्रबल इच्छाशक्ति जातक को देता है । बुध यदि शुक्र के साथ भी युति करे तो लगभग गुरु-बुध की युति के समान ही शुभ परिणाम जातक को देता है ।।


मित्रों, शनि के साथ बुध की युति हो तो जातक शनि के कठोर श्रम वाले गुण को अपनाकर ज्ञान और कला की वृद्धि का प्रयास करवाता है । परन्तु यदि शनि का मन्दापन जातक पर हावी हो जाये तो जातक में निराशाजनक सोच जन्म ले लेती है । ये तो पूर्ण सत्य है, कि जातक में कुछ सीखने की तीब्र आकांक्षा बुध की कृपा से ही आती है । कारण की बुध बालक है और एक बच्चों में ही सीखने की इच्छा सबसे तीव्र होती है ।।


जन्मकुण्डली में बुध शक्तिशाली हो तो यह इच्छा जातक में सदा ही बनी रहती है । ऎसा व्यक्ति नित नई चीजें सीखता है और समय की धारा से खुद को अलग-थलग नहीं होने देता । बल्कि ऐसा जातक उस धारा को अपने पक्ष में मो़ड लेने को सदैव लालायित रहता है । आमोद-प्रमोद और मनोरंजन बुध का ही क्षेत्र है और इतना ही नहीं अभिव्यक्ति और मनोरंजन का मिश्रित रूप जैसे दूसरों की आवाज आदि की नकल करने की कला भी बुध की कृपा से ही संभव होता है ।।


मित्रों, अभिव्यक्ति की अद्भुत क्षमता के कारण ही लोगों को अपनी बात मनवाने जैसे कार्यो में बुध प्रधान व्यक्ति सर्वश्रेष्ठ हो जाता है । ऎसे व्यक्ति का सर्वश्रेष्ठ कौशल तब निखर कर आता है जब विषय आर्थिक लेन-देन का हो । बुध प्रभावी व्यक्ति देने की अपेक्षा लेने की कला में अत्यधिक निपुण होता है । यही कारण है कि बुध वह सभी गुण देता है जिनसे आर्थिक गणित, लाभ में परिवर्तित हो जाती है ।।


मार्केटिंग के क्षेत्र में सफलता, बुध की कृपा के बिना मिलना लगभग असंभव होता है । बुध गणितज्ञ है और इसीलिए बुध प्रभावी व्यक्ति लाभ के लिए जो़ड-तो़ड भी बिठा ही लेता है । बुध की कृपा से व्यक्ति सुलझी हुई गणित करके गुणा-भाग के साथ जोखिम उठाता है और यही उसके लिए सफलता की कुंजी बन जाती है । बुध ग्रह को भगवान विष्णु का प्रतिनिधि कहा जाता है, इसीलिए धन, वैभव आदि का सम्बन्ध भी बुध से हो जाता है ।।


मित्रों, बुध की दिशा उत्तर है तथा उत्तर दिशा कुबेर का स्थान भी माना गया है । वास्तु-योजना में उत्तर दिशा को तिजोरी के लिए प्रशस्त बताया गया है । कार्यालयों में लेखाकार तथा कैशियर के लिए उत्तम स्थान उत्तर दिशा को ही बताया गया है । बुध के वो प्रमुख गुणधर्म जो सम्पूर्ण व्यक्तित्व के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं, वही गुणधर्म यदि अनियंत्रित हो जाएं तो अपराध की नई गाथा भी लिख देते हैं ।।


बुध के जन्म के साथ जो छल, वृतांत रूप में जु़डा हुआ है जो हमने अपने इसके पहले वाले लेख में बताया था, वह भी कई बार बुध प्रभावित व्यक्तियों में परिलक्षित होता है । बुध स्वभाव में जो लचीलापन देते हैं वह कभी-कभी नियमों के उल्लंघन का कारण भी बन जाता है । लाभ की गणित जब स्वार्थ भावना से अधिक प्रभावी हो जाती है तो जो़ड-तो़ड प्रपंच की गणित शुरू हो जाती है ।। आगे जारी है.....

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