हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz.
क्या आपके घर का मुख्य दरवाजा वास्तु शास्त्र के अनुसार है ? अगर हाँ तो भी इस लेख को पढ़ें और नहीं तो भी इसे अवश्य पढ़े । क्योंकि ये ज्ञान आपका और आपके परिवार की खुशहाली सुनिश्चित कर सकता है ।। Astro Classes, Silvassa.
(वास्तु के अनुसार आपका मुख्य द्वार (दरवाजा) main Gate कहाँ होना चाहिए ।। इसे पढने के लिए इस लिंक को क्लिक करें - http://www.vedicsangrah.com/2015/02/main-gate-astro-classes-silvassa.html )
मित्रों, वास्तुशास्त्र के सभी प्राचीन ग्रन्थों में किसी भी घर के मुख्य द्वार के विषय में विस्तार से चर्चा मिलता है । अत: सज्जनों मुख्य द्वार को बहुत सोंच-विचार करने के उपरांत ही स्थपित किया जाना चाहिए । भवन के मुख्य प्रवेश स्थान को महाद्वार का नाम दिया गया है । मुख्य द्वार (महाद्वार) पूर्णतया वास्तु सिद्धांतों के अनुसार ही स्थापित करना चाहिए क्योंकि इससे अत्यंत शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं । जैसे उत्तम स्वास्थ्य, समृद्धि और परिवार के सभी सदस्यों का हर्षोल्लासमय जीवन आदि-आदि ।।
मुख्य द्वार भवन की सुंदरता का ही नहीं अपितु गृहस्वामी के स्वभाव और उसके जीवन के लक्ष्य का भी प्रतिक माना जाता है । घर का मुख्य द्वार और मुख्य द्वार का रास्ता सुंदर और सुसज्जित होना चाहिए । मुख्य द्वार साफ सुथरा और किसी भी प्रकार के कूड़ा करकट से मुक्त होना चाहिए । दरवाजे की घंटी सदैव ठीक हालत में होनी चाहिए और बेहतर होगा यदि इसकी आवाज़ कर्कश न हो । गृहस्वामी का नेम-प्लेट साफ और चमकता हुआ होना चाहिए ।।
मुख्य द्वार घर के अन्य द्वारों की अपेक्षा बड़ा होना चाहिए । मुख्य द्वार पूर्ण भवन का परिचायक है, अत: मुख्य द्वार का मजबूत, सुंदर और भव्य होना अत्यावश्यक है । घर के सभी द्वार और खिड़कियाँ भवन के अनुरूप होनी चाहिए । शास्त्रों के अनुसार भवन के अनुपात में बहुत बड़े या फिर छोटे भी, दोनों ही प्रकार के दरवाजे अशुभ माने जाते हैं । वराहमिहिर के अनुसार जो दरवाजे स्वत: ही बन्द हो जाते या खुल जाते हैं, वे अशुभ माने गये हैं । ज्यादा खड़े अथवा बौने टाइप के दरवाजे भी परिवार के सदस्यों को एक बौनेपन का एहसास करवाते हैं और निवास स्थानों के लिए अशुभ माने जाते हैं ।।
मित्रों, सार्वजनिक भवनों, फैक्ट्रीयों या बडे संस्थानों के लिए ज्यादा खड़े और ऊँचे या फिर भिंचे हुए दरवाजे भी उत्तम माने जाते है । परन्तु छोटे या भिंचे हुए (चौडाई में कम और ज्यादा लम्बाई लिए दरवाजे) दरवाजे किसी घर में हो तो परिवार के सदस्यों में तनाव उत्पन्न करते हैं । प्रयत्न यह होना चाहिए कि दरवाजे दो पल्लों वाले हों । यदि सभी द्वार ऐसे न बनाए जा सकें तो कम से कम मुख्य द्वार, पूजा कक्ष और गृह स्वामी के शयन कक्ष के द्वार अवश्य दो पल्ले वाले होने ही चाहिएँ ।।
मुख्य द्वार के सम्मुख कोई भी वेध (वेध के विषय में विस्तार से जानने के लिए हमारे ब्लॉग पर जाएँ) नहीं होना चाहिए । ये वेध किसी पेड़, कुएँ या मंदिर के रूप में हो सकता है । अथवा यदि किसी दूसरे भवन का नुकीला किनारा मुख्य द्वार को चीरता हुआ प्रतीत हो तो यह भी एक प्रकार का वेध है । यदि वेध और मुख्य द्वार में भवन की दूरी से दुगना अन्तर हो तो ऐसे वेध का कोई दोष नहीं लगता ।।
मुख्य द्वार की स्थापना सदैव शुभ पद विन्यास में ही होनी चाहिए । दरवाजे का प्रयोग नियमित रूप से करते रहना चाहिए अर्थात् प्रतिदिन खुलना बन्द होना चाहिए । और यदि दिन में कुछ समय के लिए इसे खुला रखा जाये तो घर में सकारात्मक उर्जा एवं शुभ शक्तियों का प्रवाह होता है । कई बार ऐसा देखा गया है कि लोग मुख्य द्वार को बन्द ही रखते हैं तथा किसी अन्य दरवाजे का प्रयोग निरंतर करते हैं जो कई बार हानिकारक ही सिद्ध होता है ।।
मेरे एक मित्र हैं, जिन्होंने आग्नेय कोण में बनी रसोई घर के दरवाजे को ही मुख्य दरवाजे की जगह प्रयोग करना शुरू कर दिया । अब मुख्य द्वार तो ज्यादातर बन्द ही रहता था । परिणाम ये हुआ की घर में तकलीफें बढ़ने लगी जबकि दरवाजे, रसोईघर आदि सभी वास्तु के सिद्धांत के अनुसार बने हुए थे । वास्तु के अनुसार प्रवेश द्वार अथवा मुख्य द्वार का अग्निकोण पर नहीं होना चाहिए क्योंकि यह प्रगति में बाधक होता है । आग्नेय कोण में द्वार पड़ोसियों से झगडों और मुकदमेबाजी का भी कारण भी बनता है ।।
वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार बनाया गया घर का मुख्य दरवाजा परिवार के लिए सुख, समृद्धि एवं खुशहाली प्रदान करता है । यदि मुख्य द्वार दोषपुर्ण स्थान पर हो तो निवास स्थान दु:ख और मुसीबतों का स्थान बन जाता है । अत: किसी जानकार वास्तु विशेषज्ञ से सलाह लेकर ही मुख्य दरवाजा लगवाएं । आजकल अधिकांशतः बिल्डरों द्वारा निर्मित भवनों में सैकड़ों प्रकार के वास्तु दोष देखने को सहज ही मिल जाता है ।।
इसमें उनकी भी कोई गलती नहीं है, महंगाई में उनको भी तो कमाना है न ? लेकिन आभविष्य एवं अपने परिवार की पने खुशहाली के लिए लाखों करोड़ों के घर में किस वास्तु विशेषज्ञ के फीस को तो शामिल कर ही सकते हैं । बनवाते समय ही थोड़ी सी तोड़-फोड़ करवाकर उसे ठीक करावा सकते हैं, एवं अपने भविष्य और अपने परिवार की खुशहाली सुनिश्चित कर सकते हैं ।।
==============================================
किसी विशिष्ट मनोकामना की पूर्ति के लिए संपर्क करें ।।
==============================================
किसी भी तरह के पूजा-पाठ, विधी-विधान, ग्रह शान्ति आदि के लिए तथा बड़े से बड़े अनुष्ठान हेतु योग्य एवं विद्वान् ब्राह्मण हमारे यहाँ उपलब्ध हैं ।।
==============================================
संपर्क करें:- बालाजी ज्योतिष केंद्र, गायत्री मंदिर के बाजु में, मेन रोड़, मन्दिर फलिया, आमली, सिलवासा ।।
WhatsAap+ Viber+Tango & Call: +91 - 8690522111.
E-Mail :: astroclassess@gmail.com
Website :: www.astroclasses.com
www.astroclassess.blogspot.in
www.facebook.com/astroclassess
।।। नारायण नारायण ।।।
क्या आपके घर का मुख्य दरवाजा वास्तु शास्त्र के अनुसार है ? अगर हाँ तो भी इस लेख को पढ़ें और नहीं तो भी इसे अवश्य पढ़े । क्योंकि ये ज्ञान आपका और आपके परिवार की खुशहाली सुनिश्चित कर सकता है ।। Astro Classes, Silvassa.
(वास्तु के अनुसार आपका मुख्य द्वार (दरवाजा) main Gate कहाँ होना चाहिए ।। इसे पढने के लिए इस लिंक को क्लिक करें - http://www.vedicsangrah.com/2015/02/main-gate-astro-classes-silvassa.html )
मित्रों, वास्तुशास्त्र के सभी प्राचीन ग्रन्थों में किसी भी घर के मुख्य द्वार के विषय में विस्तार से चर्चा मिलता है । अत: सज्जनों मुख्य द्वार को बहुत सोंच-विचार करने के उपरांत ही स्थपित किया जाना चाहिए । भवन के मुख्य प्रवेश स्थान को महाद्वार का नाम दिया गया है । मुख्य द्वार (महाद्वार) पूर्णतया वास्तु सिद्धांतों के अनुसार ही स्थापित करना चाहिए क्योंकि इससे अत्यंत शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं । जैसे उत्तम स्वास्थ्य, समृद्धि और परिवार के सभी सदस्यों का हर्षोल्लासमय जीवन आदि-आदि ।।
मुख्य द्वार भवन की सुंदरता का ही नहीं अपितु गृहस्वामी के स्वभाव और उसके जीवन के लक्ष्य का भी प्रतिक माना जाता है । घर का मुख्य द्वार और मुख्य द्वार का रास्ता सुंदर और सुसज्जित होना चाहिए । मुख्य द्वार साफ सुथरा और किसी भी प्रकार के कूड़ा करकट से मुक्त होना चाहिए । दरवाजे की घंटी सदैव ठीक हालत में होनी चाहिए और बेहतर होगा यदि इसकी आवाज़ कर्कश न हो । गृहस्वामी का नेम-प्लेट साफ और चमकता हुआ होना चाहिए ।।
मुख्य द्वार घर के अन्य द्वारों की अपेक्षा बड़ा होना चाहिए । मुख्य द्वार पूर्ण भवन का परिचायक है, अत: मुख्य द्वार का मजबूत, सुंदर और भव्य होना अत्यावश्यक है । घर के सभी द्वार और खिड़कियाँ भवन के अनुरूप होनी चाहिए । शास्त्रों के अनुसार भवन के अनुपात में बहुत बड़े या फिर छोटे भी, दोनों ही प्रकार के दरवाजे अशुभ माने जाते हैं । वराहमिहिर के अनुसार जो दरवाजे स्वत: ही बन्द हो जाते या खुल जाते हैं, वे अशुभ माने गये हैं । ज्यादा खड़े अथवा बौने टाइप के दरवाजे भी परिवार के सदस्यों को एक बौनेपन का एहसास करवाते हैं और निवास स्थानों के लिए अशुभ माने जाते हैं ।।
मित्रों, सार्वजनिक भवनों, फैक्ट्रीयों या बडे संस्थानों के लिए ज्यादा खड़े और ऊँचे या फिर भिंचे हुए दरवाजे भी उत्तम माने जाते है । परन्तु छोटे या भिंचे हुए (चौडाई में कम और ज्यादा लम्बाई लिए दरवाजे) दरवाजे किसी घर में हो तो परिवार के सदस्यों में तनाव उत्पन्न करते हैं । प्रयत्न यह होना चाहिए कि दरवाजे दो पल्लों वाले हों । यदि सभी द्वार ऐसे न बनाए जा सकें तो कम से कम मुख्य द्वार, पूजा कक्ष और गृह स्वामी के शयन कक्ष के द्वार अवश्य दो पल्ले वाले होने ही चाहिएँ ।।
मुख्य द्वार के सम्मुख कोई भी वेध (वेध के विषय में विस्तार से जानने के लिए हमारे ब्लॉग पर जाएँ) नहीं होना चाहिए । ये वेध किसी पेड़, कुएँ या मंदिर के रूप में हो सकता है । अथवा यदि किसी दूसरे भवन का नुकीला किनारा मुख्य द्वार को चीरता हुआ प्रतीत हो तो यह भी एक प्रकार का वेध है । यदि वेध और मुख्य द्वार में भवन की दूरी से दुगना अन्तर हो तो ऐसे वेध का कोई दोष नहीं लगता ।।
मुख्य द्वार की स्थापना सदैव शुभ पद विन्यास में ही होनी चाहिए । दरवाजे का प्रयोग नियमित रूप से करते रहना चाहिए अर्थात् प्रतिदिन खुलना बन्द होना चाहिए । और यदि दिन में कुछ समय के लिए इसे खुला रखा जाये तो घर में सकारात्मक उर्जा एवं शुभ शक्तियों का प्रवाह होता है । कई बार ऐसा देखा गया है कि लोग मुख्य द्वार को बन्द ही रखते हैं तथा किसी अन्य दरवाजे का प्रयोग निरंतर करते हैं जो कई बार हानिकारक ही सिद्ध होता है ।।
मेरे एक मित्र हैं, जिन्होंने आग्नेय कोण में बनी रसोई घर के दरवाजे को ही मुख्य दरवाजे की जगह प्रयोग करना शुरू कर दिया । अब मुख्य द्वार तो ज्यादातर बन्द ही रहता था । परिणाम ये हुआ की घर में तकलीफें बढ़ने लगी जबकि दरवाजे, रसोईघर आदि सभी वास्तु के सिद्धांत के अनुसार बने हुए थे । वास्तु के अनुसार प्रवेश द्वार अथवा मुख्य द्वार का अग्निकोण पर नहीं होना चाहिए क्योंकि यह प्रगति में बाधक होता है । आग्नेय कोण में द्वार पड़ोसियों से झगडों और मुकदमेबाजी का भी कारण भी बनता है ।।
वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार बनाया गया घर का मुख्य दरवाजा परिवार के लिए सुख, समृद्धि एवं खुशहाली प्रदान करता है । यदि मुख्य द्वार दोषपुर्ण स्थान पर हो तो निवास स्थान दु:ख और मुसीबतों का स्थान बन जाता है । अत: किसी जानकार वास्तु विशेषज्ञ से सलाह लेकर ही मुख्य दरवाजा लगवाएं । आजकल अधिकांशतः बिल्डरों द्वारा निर्मित भवनों में सैकड़ों प्रकार के वास्तु दोष देखने को सहज ही मिल जाता है ।।
इसमें उनकी भी कोई गलती नहीं है, महंगाई में उनको भी तो कमाना है न ? लेकिन आभविष्य एवं अपने परिवार की पने खुशहाली के लिए लाखों करोड़ों के घर में किस वास्तु विशेषज्ञ के फीस को तो शामिल कर ही सकते हैं । बनवाते समय ही थोड़ी सी तोड़-फोड़ करवाकर उसे ठीक करावा सकते हैं, एवं अपने भविष्य और अपने परिवार की खुशहाली सुनिश्चित कर सकते हैं ।।
==============================================
किसी विशिष्ट मनोकामना की पूर्ति के लिए संपर्क करें ।।
==============================================
किसी भी तरह के पूजा-पाठ, विधी-विधान, ग्रह शान्ति आदि के लिए तथा बड़े से बड़े अनुष्ठान हेतु योग्य एवं विद्वान् ब्राह्मण हमारे यहाँ उपलब्ध हैं ।।
==============================================
संपर्क करें:- बालाजी ज्योतिष केंद्र, गायत्री मंदिर के बाजु में, मेन रोड़, मन्दिर फलिया, आमली, सिलवासा ।।
WhatsAap+ Viber+Tango & Call: +91 - 8690522111.
E-Mail :: astroclassess@gmail.com
Website :: www.astroclasses.com
www.astroclassess.blogspot.in
www.facebook.com/astroclassess
।।। नारायण नारायण ।।।
0 Comments