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मनपसंद “जॉब” मिलेगी या नहीं ? कुण्डली से नौकरी या व्यवसाय के बारे में कैसे जानें ।।



कुण्डली से आजीविका या व्यवसाय के बारे में सहजता से कैसे जानें ।। Naukari Ya Vyapar for your Horoscope.

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz.

मित्रों, ज्योतिष एक ऐसी विद्या है, जिसके माध्यम से आप अपने भविष्य में होनेवाले शुभाशुभ घटनाओं के विषय में जान सकते हैं । आप अपने कैरियर, व्यवसाय, तरक़्क़ी, जीवन-यात्रा, आजीविका, प्रगति, पेशा तथा वृत्ति के विषय में अधिक-से-अधिक जानकारी सहजता से हासिल कर सकते हैं ।।

आपको बिजनेश में तरक्की मिलेगी अथवा आपके लिए नौकरी ही अच्छा है । ये बात बिलकुल आसानी से पता लगाया जा सकता है ज्योतिष के माध्यम से । पर कैसे ? आइये आज इसी विषय में हम आप सभी को विस्तृत रूप में बताने का प्रयत्न करते हैं ।।

मित्रों, कुण्डली के कौन से भाव सीधे-सीधे किस आजीविका व व्यवसाय की ओर इशारा करते हैं । ये जानने के लिए किसी भी जातक की कुण्डली में इस सूत्र को देखें । कुण्डली के लग्न, दशम एवं दशम से दशम यानि सप्तम तथा नवम भाव सीधे-सीधे व्यक्ति की आजीविका निर्धारित करते हैं । इसके अलावा किसी की कुण्डली में शुक्र अगर छठवें या बारहवें भाव में बैठा हो तो ये भी जातक के जीवन एवं जीविका में बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है ।।

ज्योतिष के जितने भी ग्रन्थ हैं, उनमें से किसी भी सिद्धांत को ले लें, तो दशमेश तथा नवमेश की युति, दृष्टि या क्षेत्र व राशि स्थानांतर संबंध भी उस जातक के लिए विशिष्ट राजयोग बनाते हैं । जैसे यदि किसी जातक की कुण्डली तुला लग्न की हो और उसके प्रथम भाव में शुक्र यदि राहु के साथ बैठा हो, तीसरे स्थान में बुध-सूर्य की युति हो, छठे भाव में मीन राशि पर स्वगृही गुरु विराजमान हो, सातवें भाव में केतु मौज़ूद हो, अष्टम भाव में मंगल, नवम भाव में चंद्र तथा दशम भाव में शनि मौज़ूद हो । तथा इसके अलावा अब ये भी देखना आवश्यक होता है, कि ग्रहों की अवस्थाओं एवं अंश बल भी उस जातक के भविष्य के लिए बहुत ही सहायक होते हैं ।।

मित्रों, इस कुण्डली को ध्यानपूर्वक देखिए आपको पता चलेगा कि चतुर्थेश व पंचमेश शनि जो कि इस कुण्डली का कारक ग्रह है, वह दशम भाव में शत्रु गृही होकर बैठा है । हालांकि यहाँ शनि केंद्रेश व त्रिकोणेश होने के कारण बलाबल से मजबूत है । फिर भी ये शनि ऐसे जातक को कभी भी व्यवसाय नहीं करने देगा । क्योंकि दशम भाव में बैठा हुआ शनि नौकर ही बनाता है । यानि ऐसे जातक के भाग्य में आजीवन नौकरी करके जीविकोपार्जन करना ही लिखा है ।।

मित्रों, अब ये देखना है, की इस जातक की नौकरी का प्रकार क्या होगा ? इसके लिए हमें नवमेश-दशमेश का दृष्टि संबंध देखना पड़ेगा । तो जैसा कि इस जातक की कुण्डली में दशमेश चंद्रमा व नवमेश बुध जो कि भाग्येश है । इनका एक-दूसरे से दृष्टि संबंध है । साथ ही बुध व सूर्य का तृतीय भाव में बुधादित्य योग निर्मित होता है ।।

मित्रों, शनि की दशम स्थिति, जातक की जीविका के लिए नौकरी अवश्य करवाएगा, लेकिन ये शनि क्योंकि शत्रुगृही है, इसलिए सरकारी नौकरी भी नहीं दिलाएगा । इस कुण्डली में नवमेश बुध जो सूर्य के साथ बैठकर बुधादित्य योग बना रहा है तथा बुध को चन्द्रमा की दृष्टि भी प्राप्त है । ऐसे में जबकि बुध यहाँ एक ऐसे ग्रह के साथ बैठा है, जो की लाभेश व प्रतिष्ठाकारक ग्रह है । ऐसे में इस सूर्य के साथ बैठा बुध जातक की वाणी में प्रभाव देगा अर्थात जातक की वाणी को प्रभावी बनाएगा । इसलिए मेरे ख्याल से यह जातक उच्च स्तर का लेखक, संपादक (मीडियाकर्मी) अथवा शिक्षक होना चाहिए ।।

किसी व्यक्ति विशेष की कुण्डली की चर्चा हम अपने लेखों में कदापि नहीं करते । लेकिन यह स्थिति (जिस प्रकार के ग्रहों की चर्चा यहाँ हुई है) एक बहुत बड़े लेखक के कुण्डली की है । हम उनका नाम नहीं बता सकते बिना उनकी अनुमति के । लेकिन इस तरह यदि किसी भी इंसान की सही जन्मतिथि व जन्मसमय तथा जन्म स्थान पता हो तो उसके व्यवसाय का सटीक अंदाज़ा लगाया जा सकता है, इसमें कोई संशय नहीं है ।।


  
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।।। नारायण नारायण ।।।

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