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मेष, वृष एवं मिथुन लग्न की कुण्डली में विदेश यात्रा के योग ।। foreign travel yoga in your Horoscope. Astro Classes, Silvassa.

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz.

मेष, वृष एवं मिथुन लग्न की कुण्डली में विदेश यात्रा के योग ।। Astro Classes, Silvassa.

मित्रों, आइये आज बिना किसी भूमिका के आपलोगों को मेष, वृष एवं मिथुन लग्न की कुण्डली में विदेश यात्रा के योग किन स्थितियों में निर्मित होते हैं, तथा किस ग्रह की दशा एवं अन्तर्दशा में आप विदेश यात्रा करके सफल भी हो सकते हैं, ये बताते हैं ।।

मित्रों, मेष लग्न की कुण्डली में लग्नेश तथा सप्तमेश किसी भी भाव में एक साथ बैठे हों, अथवा उनमें आपस में परस्पर दृष्टि संबंध भी हो तो भी विदेश यात्रा का अच्छा योग बनता है । इस कुण्डली में यदि शनि अष्टम भाव में बैठा हो तथा गुरु बलवान हो तो अपनी दशा के उत्तरार्द्ध में जातक कई बार प्रतिष्ठापूर्वक विदेश यात्राएं करवाता है ।।

इस मेष लग्न की कुण्डली में एक और चीज देखा गया है, कि लग्न, लग्नेश एवं भाग्येश अपने-अपने घर में हों या उनमें आपस में स्थान परिवर्तन योग बन रहा हो तो निश्चित विदेश यात्रा के योग बनते हैं । अष्टम भाव में बैठा शनि जातक को जन्म स्थान से दूर ले जाता है तथा बार-बार विदेश यात्राएं करवाता है ।।

वृष लग्न की कुण्डली में चतुर्थेश सूर्य एवं पञ्चमेश चंद्रमा द्वादश भाव में बैठे हों तो जातक विदेश यात्रा तो करता है । तथा ऐसे जातक विदेश में ही व्यापार-व्यसाय करते हैं और सफल भी होते हैं । शुक्र अगर किसी केंद्र में बैठा हो तथा शनि नवम भाव में बैठा हो तो जातक के जीवन में विदेश यात्रा के सफल योग बनते हैं ।।

मित्रों, वृष लग्न की कुण्डली में शनि अगर अष्टम भाव में भी हो तो भी जातक अनेकों बार विदेश जाता है । भाग्य भाव में अथवा कुण्डली के तीसरे भाव में मंगल अगर राहु के साथ बैठा हो तो ऐसा जातक स्वदेश की रक्षा में नियुक्त सेनानायक के रूप में विदेश यात्राएं करता है । इस कुण्डली में राहु लग्न, दशम या द्वादश भाव में बैठे तो भी विदेश यात्रा का योग बनाता ही है ।।

मित्र, यदि आपकी कुण्डली मिथुन लग्न की है, तो आप इन सूत्रों को गौर से पढ़ें और समझें । यदि आपकी कुण्डली में बुध अष्टम या नवम में बैठा हो तथा शनि लग्न में बैठा हो तो इस लग्नेश एवं नवमेश के स्थान परिवर्तन योग से जातक के जीवन में विदेश यात्रा का अच्छा योग बनता है । और यदि लग्न में शनि वक्री होकर बैठा हो तो जातक को कई बार विदेश यात्राएं करवाता हैं । यदि नवम एवं द्वादश भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तथा राहु या केतु अनुकूल स्थिति में लग्न में बैठे हों तो भी विदेश यात्रा का अकाट्य योग बनता है ।।

मित्रों, आप सभी से निवेदन है, की पेज पर विजिटर्स तो लाखों में आते हैं, लेकिन पेज एवं पोस्ट लाइक ०% के आसपास होता है । ऐसा क्यों होता है, मुझे नहीं पता । लेकिन आपसभी से आग्रह करता हूँ, कि अगर आपलोग मेरे ज्ञान का फायदा ईमानदारीपूर्वक लेंगे तो शायद आपलोगों को भी लाभ हो सकता है, लेकिन कॉपी करके ले जाना और लाइक करके आभार प्रकट न करना एक तरह की चोरी है । तो प्लीज आपलोग पेज और पोस्ट दोनों लाइक करें प्लीज ।।


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