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कुण्डली में राहू की स्थिति एवं राहू का कमाल ।। in your horoscope Rahu conditions & miracle.

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz, astro classes, Silvassa.


मित्रों, असल में ज्योतिष में राहु का अपना कोई भौतिक आस्तित्व नहीं होता है । मूल रूप में यह एक छाया ग्रह है, लेकिन छाया ग्रह होते हुए भी कुण्डली पर सदैव ही अपना बहुत अधिक प्रभाव बनाये रखता है । मित्रों, राहु हर समय अशुभ प्रभाव ही केवल नही देता है ।।

सदैव से ही टेक्नोलॉजी एवं अनुसन्धान का क्षेत्र राहू का ही रहा है । और आज के समय में भी बहुत सी नई टेक्नोलॉजी के जो अनुसन्धान कर्ता रहें हैं, वो राहू प्रभावी व्यक्ति रहे है । राहु के अधिकार क्षेत्र में जो विभाग आता है, वो बिना उसकी मर्जी अथवा उसकी कृपा के किसी को भी प्राप्त नहीं हो सकती ।।

इन सभी बातों पर जब हम विचार करते हैं, तो हम इसे अशुभ नहीं मान सकते है । हाँ अवश्य ही कई बार स्वास्थ्य के नजरिये से यह ऎसी बीमारी दे देता है, जिसके निवारण में आधी से ज्यादा उम्र ही निकल जाती है । एक और बात देखने को मिलता है अक्सर की इसकी दशा/अन्तर्दशा में व्यक्ति की बुद्धि कुछ भ्रमित सी हो जाती है ।।

ऐसी स्थिति में व्यक्ति कई बार कुछ ऎसे निर्णय ले लेता है, जिसके लिए उसे भविष्य में पछताना पड़ता है । ऐसे व्यक्ति के लिए कई बार सही और गलत में अंतर करना मुश्किल हो जाता है । राहु के कुप्रभाव को दूर करने के लिए राहु के मंत्र का जप अवश्य करना चाहिए । इस मंत्र का जप रात के समय करना चाहिए और शनिवार से मंत्र जप आरंभ करने चाहिए ।।

मित्रों, शेयर बाजार का क्षेत्र भी राहू का ही है । अत: आप राहू के बीज मन्त्र का जप तो लगातार शुरू ही रखें । एवं जैसा की कल के भी अपने शेयर बाजार वाले लेख में मैंने बताया था, कि जिस दिन आप कुछ मुड़ में हों, गम्भीर खेल-खेलने के, तो उपरोक्त मन्त्र से ही १०८ आहुति गूगल आदि मिलाकर हवन सामग्री में करें । इस प्रयोग को करके आप अपना कार्य करें, फिर आप देखेंगे की स्वयं ही आमदनी के नए-नए दरवाजे स्वयं ही खुलते चले जायेंगे ।।

मैं आज आपलोगों को राहू के सभी प्रकार के मन्त्रों के विषय में आज बता ही देता हूँ ।।
राहु का वैदिक मंत्र:ऊँ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदा वृध: सखा । कया शश्चिष्ठया वृता ।।

राहु का तन्त्रोक्त मंत्र:–  ऊँ ऎं ह्रीं राहवे नम: ।।
ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: ।।
ऊँ ह्रीं ह्रीं राहवे नम: ।।

नाम मंत्र:– ऊँ रां राहवे नम: ।।

राहु का पौराणिक मंत्र:– ऊँ अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्यविमर्दनम् ।
सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम ।।

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