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श्रीवेङ्कटेश्वर वज्रकवच स्तोत्रम् ।। Shri Venkateshvara vajra kavacha stotram.

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मित्रों, इस स्तोत्र का परायण करके घर से बाहर निकलने वाले का काल भी बाल बाँका नहीं कर सकता । चाहे व्यक्ति कितने भी कठिन मार्ग (अभियान) पर घर से अकेला ही क्यों न निकला हो, मृत्यु को भी मात देकर घर वापस सहज ही घर लौटकर आता है 

श्रीवेङ्कटेश्वर वज्रकवच स्तोत्रम् ।। Shri Venkateshvara vajra kavacha stotram.

मार्कन्डेय उवाच:-
नारायणं परब्रह्म सर्वकारणकारकम् ।
प्रपद्ये वेङ्कटेशाख्यं वन्दे कवचमुत्तमम् ॥ १॥

सहस्रशीर्षा पुरुषो वेङ्कटेशश्शिरोवतु ।
प्राणेशः प्राणनिलयः प्राणान् रक्षतु मे हरिः ॥ २॥

आकाशराट् सुतानाथ आत्मानं मे सदावतु ।
देवदेवोत्तमः पाया द्देहं मे वेङ्कटेश्वरः ॥ ३॥

सर्वत्र सर्वकालेषु मङ्गाम्बाजानिरीश्वरः ।
पालयेन्मां कर्मसाफल्यं सः प्रयच्छ ॥ ४॥

य एतद्वज्रकवचमभेद्यं वेङ्कटेशितु ।
सायं प्रातः पठेन्नित्यं मृत्युं तरति निर्भयः ॥ ५॥

।। इति श्री वेङ्कटेश्वर वज्रकवच स्तोत्रम् सम्पूर्णं ।।


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