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बहुत बड़ा एवं सफल राजनेता बना सकता है आपका चन्द्रमा ।।

बहुत बड़ा एवं सफल राजनेता बना सकता है आपका चन्द्रमा ।। the moon position in your horoscope could make a successful politician.
 Bhagwan Shiva With Family.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,

मित्रों, आज कबीरदास जी की कुछ पंक्तियाँ याद आ गयीं उन्होंने कहा है, कि - 




यदि इन पंक्तियों को ज्योतिष के परिपेक्ष्य में देखें तो यहां मन चन्द्रमा है अर्थात जन्म कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति ही हमारे विचारों, हमारे दृष्टिकोण तथा हमारी सोच का निर्मित करती है । यदि किसी की जन्मकुण्डली में चन्द्रमा बली हो तो मन को दृढ़ बनाता है । ऐसी स्थिति में व्यक्ति का मनोबल ऊंचा और दृढ़संकल्पी बनता है । और मनोबल ही व्यक्ति को विपरीत से भी विपरीत परिस्थितियों में भी ल़डने और हिम्मत न हारने की क्षमता प्रदान करता है ।।


मित्रों, जन्मकुण्डली में बलवान चन्द्रमा व्यक्ति को जुझारू बनाता है । उसे दृढ़ विश्वास होता है कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती । परन्तु इसके विपरीत यदि कुंडली में चन्द्रमा क्षीण या कमजोर हो तो यह मनोबल को अत्यन्त कमजोर बनाता है । ऎसा व्यक्ति अक्सर देखा गया है, कि परिस्थितियों के अधीन होता है । मुश्किल समय में ये मैदान-ए-जंग में डटे रहने के बजाय हथियार डाल देना ही अपनी समझदारी मानते हैं ।।


कुण्डली में कमजोर चन्द्रमा निम्न एवं संकुचित मनोवृत्तियाँ प्रदान करता हैं । ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपनी परेशानियों को कई गुना बढ़ाकर देखता है । जीवन में घटी बड़ी-से-बड़ी दुर्घटनाओं से भी बलवान चन्द्रमा वाला व्यक्ति अपने को दु:ख के सागर से जल्दी ही उबार लेता है । और उसकी यही सोंच उसके व्यक्तित्व निर्माण एवं उसकी सफलता के मापदण्ड को तय करता है ।।


मित्रों, हमारे नजरिया अथवा व्यक्ति के दृष्टिकोण का भी कारक ग्रह चन्द्रमा को ही माना गया है । जन्मकुंडली के पक्ष बली चन्द्रमा से उज्जवल पक्ष को हम देखते हैं । तथा वहीँ पक्ष बलहीन चन्द्रमा ऋणात्मक सोच देता हैं । इसी दृष्टिकोण से दो वर्गो का निर्माण होता है एक आशावादी सोच वाले और दूसरे निराशावादी सोच वाले व्यक्ति ।।


आशावादी सोच व्यक्ति में नई ऊर्जा एवं नया जोश भर देती है क्योंकि ऎसा व्यक्ति अपने जीवन में संभावनाओं को ढूंढ़ता है तथा निर्माण की ओर अग्रसर होता है । परन्तु निराशावादी दृष्टिकोण से मनुष्य को किसी भी चीज का विकृत रूप ही दिखाई देता है । अवसर को खोजना तो दूर की बात है, यदि अवसर खुद उनका दरवाजा खटखटाए तो भी वह उसे शोर बताकर टाल देते हैं ।।


किसी की कुण्डली में यदि क्षीण चन्द्रमा को कहीं राहु प्रभावित करे तो ऐसा जातक हर बात को संदेह की ही दृष्टि से देखता है । जीवन में कोई अच्छा अवसर मिले भी तो भी वह उसे किन्तु-परन्तु में उलझाकर उसे भी गवां देता है । ऐसा जातक सोंचने में इतना अधिक वक्त लगा देता है, कि आया अवसर भी उसके हाथ से चला जाता है । वैसे महाकवि कालीदास जी ने तो चन्द्रमा को हंसी-मजाक का कारक ग्रह बताया है ।।


मित्रों, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यद्यपि हास्य-विनोद बुध के विषय माने जाते हैं फिर भी चन्द्रमा का भी इससे सम्बन्ध तो है । पक्ष और अन्य बलों से युक्त चन्द्रमा एक स्वस्थ मन और जिन्दादिल प्रकृति प्रदान करता हैं । ऎसे व्यक्ति की सोच का दायरा संकुचित नहीं होता, वह हास्य के मर्म को समझता है । फिर भले ही हास्य के तीर का निशाना वह खुद ही क्यों न हों । चन्द्रमा एकमात्र ऎसा ग्रह हैं जिसका कोई शत्रु ग्रह नहीं है ।।


शुभ बली चन्द्रमा जब अपना यह गुण व्यक्ति को देता हैं तो ऎसा व्यक्तित्व तैयार होता है जो खुले दिल से, बिना किसी ईर्ष्या के किसी के भी गुण और प्रतिभा की प्रशंसा करता है । चंद्रमा का आधिपत्य रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र पर होता है । इन नक्षत्रों में जन्मे व्यक्ति दूसरों की मदद के लिए सदा तत्पर रहते हैं, जो आपसी भाईचारा एवं मेलजोल के लिए अति आवश्यक है ।।


मन का कारक चंद्रमा ही जातक को किसी के भी मन को पढ़ लेने की शक्ति देता हैं । दूसरे का दर्द समझने के लिए उसे सहने की आवश्यकता नहीं होती सिर्फ महसूस करने की होती है । महसूस करने के लिए कल्पना शक्ति की आवश्यकता होती है, यह कल्पना शक्ति चंद्रमा देता हैं । जन्मकुण्डली में चंद्रमा जितता अधिक शुभ और बली होगा दूसरों के दर्द को समझने और महसूस करने की क्षमता उतनी ही अधिक होगी ।।


जिनकी कुण्डली में चन्द्रमा शुभ होता हैं, वे कोई भी निर्णय लेने से पहले खुद को दूसरों की स्थिति में रखकर देखते हैं । शुभ और बली चन्द्रमा एक और अद्भुत गुण प्रदान करता हैं और वह है क्षमाशीलता । किसी को भी उसकी गलतियों के लिये क्षमा भी वही व्यक्ति कर सकता है जो समझता है कि गलतियां परिस्थितिवश होती हैं और दूसरे अवसर की गुंजाइश हमेशा होनी चाहिए ।।


जन्मकुण्डली में चन्द्रमा को चौथे भाव का कारक ग्रह माना गया । चतुर्थ भाव अर्थात् जातक के जनसंपर्क एवं उसकी लोकप्रियता का स्थान विशेष होता है । कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में लोकप्रिय अपने गुणों अथवा अपने स्वभाव से ही होता है । चन्द्रमा से मिलने वाले जिन गुणों का उल्लेख अभी आपने पढ़ा है, वही गुण व्यक्ति को जन-जन का प्रिय बना देता हैं ।।


मित्रों, इस विडियो में जन्मकुण्डली के दशम भाव में वर्णित कर्म योग एवं कर्म हीन योग जो वृहत्पाराषर होराशास्त्र के नवम भाव फलाध्याय ८ श्लोकों (श्लोक नम्बर 213 से 220 तक) में वर्णित है । तो आइये जानें कर्म योग एवं कर्म हीन योग के विषय में विस्तृत रूप से इस विडियो टुटोरियल में - 



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