गुणों का खजाना जन्म कुण्डली का प्रथम भाव ।। know about success from first home of your horoscope.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, हमारे ज्योतिष शास्त्र में जन्म कुण्डली के प्रथम भाव को लग्न भाव या लग्न कहा जाता है । ज्योतिष के अनुसार इसे कुण्डली के बारह घरों में सबसे महत्त्वपूर्ण घर माना जाता है ।।
मित्रों, किसी भी व्यक्ति विशेष के जन्म के समय उसके जन्म तारीख, समय और स्थानानुसार उदित राशि को उस व्यक्ति का जन्म लग्न माना जाता है ।।
इसी राशि को लग्न राशि के रूप में उस व्यक्ति की जन्म कुण्डली बनाते समय पहले घर में स्थान दिया जाता है । इसके बाद आने वाली राशियों को कुंडली में क्रमश: दूसरे, तीसरे.......
बारहवें घर में स्थान दिया जाता है । उदाहरण के तौर पर यदि दिन में दस बजे किसी व्यक्ति का जन्म होता है और नव बजे से ग्यारह बजे तक सिंह राशी भोग कर रही हो तो लग्न स्थान में पांच लिखा जायेगा ।।
मित्रों, अब इस सिंह राशि के बाद आने वाली राशियों को कन्या से लेकर मीन फिर आगे कर्क राशी को तक क्रमश: दूसरे से लेकर बारहवें घर में स्थान दिया जाता है ।।
किसी भी कुंडली में लग्न स्थान अथवा पहले घर का महत्त्व सबसे अधिक होता है । ऐसे जातक के जीवन के लगभग सभी महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में इस घर का प्रभाव पाया जाता है ।।
मित्रों, जातक के स्वभाव तथा चरित्र के बारे में जानने के लिए प्रथम भाव विशेष महत्त्व रखता है । इस घर से जातक की आयु, स्वास्थ्य, व्यवसाय, सामाजिक प्रतिष्ठा तथा अन्य कई महत्त्वपूर्ण विषयों के बारे में पता चलता है ।।
कुण्डली के प्रथम भाव से मानव शरीर के अंगों में सिर, मस्तिष्क तथा इसके आस-पास के हिस्सों को दर्शाता है । इस घर पर किसी भी बुरे ग्रह का प्रभाव शरीर के इन अंगों से संबंधित रोगों, चोटों अथवा परेशानियों का कारण बन सकता है ।।
मित्रों, प्रथम भाव से हम पिछले जन्मों में संचित किए गए अच्छे-बुरे कर्मों तथा वर्तमान जीवन में इन कर्मों के कारण मिलने वाले फलों के बारे में भी पता लगा सकते है ।।
यह घर व्यक्ति की सामाजिक प्राप्तियों, उसके व्यवसाय तथा जीवन में उसके अपने प्रयासों से मिलने वाली सफलताओं के बारे में भी बताता है ।।
मित्रों, कुण्डली के प्रथम भाव से जातक के वैवाहिक जीवन, सुखों के भोग, बौद्धिक स्तर, मानसिक विकास, स्वभाव में कोमलता अथवा कठोरता एवं अन्य बहुत सारे विषयों के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।।
प्रथम भाव व्यक्ति के स्वाभिमान तथा अहंकार की सीमा को भी दर्शाता है । कुंडली के पहले घर पर एक या एक से अधिक बुरे ग्रहों का प्रभाव जातक के जीवन के किसी भी क्षेत्र में समस्या का कारण बनता है ।।
मित्रों, कुण्डली के प्रथम भाव पर एक या एक से अधिक अच्छे ग्रहों का प्रभाव जातक के जीवन के किसी भी क्षेत्र में बड़ी सफलताओं, उपलब्धियों तथा खुशियों का कारण बन जाता है ।।
इसीलिए मित्रों, किसी भी व्यक्ति की जन्म कुण्डली देखते समय उसकी कुण्डली के प्रथम भाव तथा उससे जुड़े सभी तथ्यों पर बहुत ही ध्यानपूर्वक विचार करना चाहिए ।।
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वास्तु विजिटिंग के लिये तथा अपनी कुण्डली दिखाकर उचित सलाह लेने एवं अपनी कुण्डली बनवाने अथवा किसी विशिष्ट मनोकामना की पूर्ति के लिए संपर्क करें ।।
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किसी भी तरह के पूजा-पाठ, विधी-विधान, ग्रह दोष शान्ति आदि के लिए तथा बड़े से बड़े अनुष्ठान हेतु योग्य एवं विद्वान् ब्राह्मण हमारे यहाँ उपलब्ध हैं ।।
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संपर्क करें:- बालाजी ज्योतिष केंद्र, गायत्री मंदिर के बाजु में, मेन रोड़, मन्दिर फलिया, आमली, सिलवासा ।।
WhatsAap+ Viber+Tango & Call: +91 - 8690 522 111.
E-Mail :: astroclassess@gmail.com
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।।। नारायण नारायण ।।।
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मित्रों, हमारे ज्योतिष शास्त्र में जन्म कुण्डली के प्रथम भाव को लग्न भाव या लग्न कहा जाता है । ज्योतिष के अनुसार इसे कुण्डली के बारह घरों में सबसे महत्त्वपूर्ण घर माना जाता है ।।
मित्रों, किसी भी व्यक्ति विशेष के जन्म के समय उसके जन्म तारीख, समय और स्थानानुसार उदित राशि को उस व्यक्ति का जन्म लग्न माना जाता है ।।
इसी राशि को लग्न राशि के रूप में उस व्यक्ति की जन्म कुण्डली बनाते समय पहले घर में स्थान दिया जाता है । इसके बाद आने वाली राशियों को कुंडली में क्रमश: दूसरे, तीसरे.......
बारहवें घर में स्थान दिया जाता है । उदाहरण के तौर पर यदि दिन में दस बजे किसी व्यक्ति का जन्म होता है और नव बजे से ग्यारह बजे तक सिंह राशी भोग कर रही हो तो लग्न स्थान में पांच लिखा जायेगा ।।
मित्रों, अब इस सिंह राशि के बाद आने वाली राशियों को कन्या से लेकर मीन फिर आगे कर्क राशी को तक क्रमश: दूसरे से लेकर बारहवें घर में स्थान दिया जाता है ।।
किसी भी कुंडली में लग्न स्थान अथवा पहले घर का महत्त्व सबसे अधिक होता है । ऐसे जातक के जीवन के लगभग सभी महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में इस घर का प्रभाव पाया जाता है ।।
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कुण्डली के प्रथम भाव से मानव शरीर के अंगों में सिर, मस्तिष्क तथा इसके आस-पास के हिस्सों को दर्शाता है । इस घर पर किसी भी बुरे ग्रह का प्रभाव शरीर के इन अंगों से संबंधित रोगों, चोटों अथवा परेशानियों का कारण बन सकता है ।।
मित्रों, प्रथम भाव से हम पिछले जन्मों में संचित किए गए अच्छे-बुरे कर्मों तथा वर्तमान जीवन में इन कर्मों के कारण मिलने वाले फलों के बारे में भी पता लगा सकते है ।।
यह घर व्यक्ति की सामाजिक प्राप्तियों, उसके व्यवसाय तथा जीवन में उसके अपने प्रयासों से मिलने वाली सफलताओं के बारे में भी बताता है ।।
मित्रों, कुण्डली के प्रथम भाव से जातक के वैवाहिक जीवन, सुखों के भोग, बौद्धिक स्तर, मानसिक विकास, स्वभाव में कोमलता अथवा कठोरता एवं अन्य बहुत सारे विषयों के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।।
प्रथम भाव व्यक्ति के स्वाभिमान तथा अहंकार की सीमा को भी दर्शाता है । कुंडली के पहले घर पर एक या एक से अधिक बुरे ग्रहों का प्रभाव जातक के जीवन के किसी भी क्षेत्र में समस्या का कारण बनता है ।।
मित्रों, कुण्डली के प्रथम भाव पर एक या एक से अधिक अच्छे ग्रहों का प्रभाव जातक के जीवन के किसी भी क्षेत्र में बड़ी सफलताओं, उपलब्धियों तथा खुशियों का कारण बन जाता है ।।
इसीलिए मित्रों, किसी भी व्यक्ति की जन्म कुण्डली देखते समय उसकी कुण्डली के प्रथम भाव तथा उससे जुड़े सभी तथ्यों पर बहुत ही ध्यानपूर्वक विचार करना चाहिए ।।
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।।। नारायण नारायण ।।।
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