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कालसर्प दोष का कुछ शुभ एवं कुछ अशुभ प्रभाव ।।



कालसर्प दोष का कुछ शुभ एवं कुछ अशुभ प्रभाव ।। ShubhaaShubh Prabhav is the Kalsarp Yoga.

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,

मित्रों, कहा जाता है कि कालसर्प योग जिसकी कुण्डली में हो उसे उसके पूर्व जन्म के किसी जघन्य अपराध के दंड अथवा किसी साधू व्यक्ति के शाप के फलस्वरूप उसकी जन्मकुण्डली में परिलक्षित होता है ।।

भौतिकता की दृष्टि से देखें तो ऐसा जातक आर्थिक व शारीरिक रूप से ज्यादातर परेशान नजर आता है । जिसकी कुण्डली में कालसर्प दोष हो उसे मुख्य रूप से उसके जीवन में सन्तान से सम्बन्धित एक बड़ी समस्या होती है ।।

ऐसे जातक को सन्तान होती ही नहीं अथवा होती भी है तो वह बहुत ही दुर्बल व रोगी होती है । ऐसे जातक की रोजी-रोटी का जुगाड़ भी बड़ी मुश्किल से हो पाता है । किसी श्रीमन्त के घर में पैदा होकर भी अचानक उपस्थित बाधाओं से घिरा रहता है ।।

ऐसे जातक को कभी-कभी तो अप्रत्याशित रूप से आर्थिक क्षति भी होती है । रोगों से तो परेशान रहता ही है कोई साधारण व्यक्ति भी उसे कुछ कह जाता है और ऐसी स्थिति में भी वो कुछ कह नहीं पाता ।।

मित्रों, जिस व्यक्ति की कुण्डली में पूर्ण कालसर्प दोष हो तो आप स्पष्टता से यह कह सकते हैं कि इस व्यक्ति आने वाली परेशानियां जिनका वर्णन किया गया है ऊपर वो सब इस कालसर्प दोष की वजह से ही हो रही हैं ।।

हाँ साथ ही ये भी उतना ही सत्य है, कि इस दोष का सभी जातकों पर समान प्रभाव नहीं पड़ता । किस भाव में कौन सी राशि बैठी है और उसमें कौन-कौन ग्रह कहां बैठे हैं तथा उनका बलाबल कितना है ?

मित्रों, इन सभी बातों का भी उस जातक पर भरपूर असर पड़ता है । इसलिए मात्र कालसर्प दोष कुण्डली में है ऐसा सुनकर भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है बल्कि किसी विद्वान् और अनुभवी ज्योतिषी से विस्तृत जानकारी लेने में ही भलाई होगी ।।

जब असली कारण ज्ञात एवं स्पष्ट हो जाये तो तत्काल उसका उपाय करना चाहिए । अब हम कुण्डली की कुछ ऐसी स्थितियों का वर्णन कर रहे हैं जिन स्थितियों में कालसर्प योग बड़ी तीव्रता से जातक को परेशान करता है ।।

जब राहु के साथ चंद्रमा लग्न में हो तो ऐसे जातक को भूत-प्रेतों की बाधा सताती है । किसी-किसी को टोने-टोटके से पीड़ित होने की बीमारी आम रूप से परेशान करने लगती है ।।

जब लग्न में मेष, वृश्चिक, कर्क या धनु राशि हो और उसमें बृहस्पति व मंगल स्थित हों, राहु पंचम भाव में हो तथा मंगल या बुध से युक्त अथवा दृष्ट हो, अथवा राहु पंचम भाव में स्थित हो.....

तो ऐसे जातक की संतान पर कभी न कभी भारी मुसीबत आती ही है । ऐसा जातक किसी बड़े संकट या आपराधिक मामले में फंस जाता है । चंद्रमा से द्वितीय व द्वादश भाव में कोई ग्रह न हो ।।

अर्थात् कुण्डली में केमद्रुम योग बन रहा हो तथा चन्द्रमा से अथवा लग्न से केंद्र में कोई ग्रह न हो तो जातक को मुख्य रूप से आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।।

मित्रों, कुण्डली में अगर राहु के साथ गुरु की युति हो तब जातक को तरह-तरह के अनिष्टों का सामना करना पड़ता है । अगर राहु की मंगल से युति भी हो तो ऐसे जातक को भारी कष्टों का सामना करना पड़ता है ।।

राहु अगर सूर्य या चंद्रमा के साथ युति बना रहा हो तब भी जातक पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । शारीरिक व आर्थिक परेशानियां बढ़ने लगती हैं तथा साथ ही ऐसे जातक का रात का नींद और दिन का चैन भी जैसे छिन जाता है ।।

मित्रों, कुण्डली में यदि राहु के साथ शनि की युति अर्थात नंद योग हो तब भी जातक के स्वास्थ्य व संतान पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । उसके कारोबार में परेशानियां दिन-ब-दिन बढ़ती ही हैं ।।

राहु का बुध के साथ युति अर्थात जड़त्व योग निर्मित हो तब भी जातक पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । उसकी आर्थिक व सामाजिक परेशानियां बढ़ने लगती है और बुद्धि सही वक्त पर काम नहीं करती ।।

मित्रों, कुण्डली के अष्टम भाव में राहू बैठा हो और उसपर मंगल, शनि या सूर्य की दृष्टि हो तब जातक के विवाह में बहुत बाधायें आती है । देर से भी विवाह हो जाय तो अच्छा अन्यथा उसे वैधव्य या विधुर ही रहना पड़ जाता है ।।

किसी जातक की जन्मकुण्डली में शनि चतुर्थ भाव में और राहु बारहवें भाव में बैठा हो तो ऐसा जातक बहुत बड़ा धूर्त व कपटी होता है । अपने इस प्रकार के स्वभाव के वजह से उसे बहुत बड़ी विपत्ति में भी फंसना पड़ जाता है ।।

मित्रों, किसी की कुण्डली में लग्न में राहु-चंद्र अर्थात ग्रहण योग हों तथा पंचम, नवम अथवा द्वादश भाव में मंगल या शनि बैठे हों तब जातक की दिमागी हालत ठीक नहीं रहती । उसे प्रेत-पिशाच बाधा से भी पीड़ित होना पड़ सकता है ।।

आज हमने यहाँ कुण्डली में कालसर्प दोष हो और उस कुण्डली में अन्य ग्रहों की स्थिति जिस प्रकार की हो उसके फल के विषय में बहुत विस्तार से वर्णन किया है परन्तु और भी बहुत सी ऐसी स्थितियां हैं, जिनका वर्णन हम अपने अगले लेख में प्रस्तुत करेंगे ।।


  
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।।। नारायण नारायण ।।।

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