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साढ़ेसाती है क्या ? आइये जानते हैं ।।



साढ़ेसाती है क्या ? आइये जानते हैं ।। What is Sadhesati, Let us know.

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,

मित्रों, साढ़ेसाती है क्या ? क्यों ड़रते हैं लोग इससे इतना ? आखिर इस साढ़ेसाती का रहस्य है क्या जो लोगों के प्राण आधे हुए जाते हैं ? क्या ये लोगों के प्राण ले लेता है ? अगर हाँ तो क्या प्रमाण है ? अगर नहीं तो डरना क्यों ? ।।

हमारे वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब शनि गोचर में जन्मकालीन राशि से द्वादश, चन्द्र लग्न एवं द्वितीय भाव में स्थित होता है तब इसे शनि की "साढ़ेसाती" या "दीर्घ कल्याणी" कहा जाता है ।।

मित्रों, वैसे शनिदेव किसी भी एक राशी में ढ़ाई वर्ष तक रहते हैं । उपरोक्त तीनों में जब साथ में ही शनिदेव भ्रमण करते हैं तो "साढ़ेसाती" की संपूर्ण अवधि साढ़े सात वर्ष की मानी जाती है ।।

शास्त्रानुसार सामान्य रूप से साढ़ेसाती अशुभ व कष्टप्रद मानी जाती है । परन्तु यह एक भ्रांत धारणा ही है, क्योंकि कुण्डली में स्थित शनि की स्थिति को देखकर ही शनि की साढ़ेसाती का फल निर्धारित किया जा सकता है ।।

मित्रों, ठीक इसी प्रकार शनि जब गोचर में जन्मकालीन राशि से भ्रमण करते हुए चतुर्थ व अष्टम भाव में पहुँचते हैं तब इसे शनि का "ढैय्या" या "लघु कल्याणी" कहा जाता है ।।

इसे ढ़ैया कहा जाता है और इसकी अवधि ढाई वर्ष की होती है । ये रहता कम समय तक अवश्य ही है परन्तु इसका फल भी साढ़ेसाती के अनुसार ही होता है । लेकिन इन दोनों से घबराना नहीं चाहिए ।।

मित्रों, ऐसी स्थिति में शनि का पाया भी देखना और उसपर विचार करना जरुरी होता है । जन्मकालीन राशि से जब शनि १, ६ और ११ वीं राशि में हो तो सोने का पाया होता है ।।

शनिदेव जब २, ५ और ९ वीं राशि में होते हैं तो चांदी का पाया, ३, ७ एवं १० वीं राशि में हों तो तांबे का पाया तथा ४, ८ और १२ वीं राशि में हो तो लोहे का पाया माना जाता है । इसमें सोने का पाया सर्वोत्तम, चांदी का मध्यम, तांबे और लोहे के पाये को निम्न एवं नेष्ट माना जाता है ।।

मित्रों, जब भी आपकी कुण्डली में ऐसी स्थिति बने तो शनि की शांति के उपाय करें घबरायें नहीं । कुछ उपाय मैं बताता हूँ, शनि की प्रतिमा पर सरसों के तेल से अभिषेक करना एवं महाराज दशरथ द्वारा रचित शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए ।।

हनुमान चालीसा का पाठ एवं हनुमान जी का दर्शन नित्य ही करना चाहिए । शनि की पत्नियों के नामों का उच्चारण करते हुए उनसे प्रार्थना करना चाहिए । किसी भी पीपल वृक्ष के जड़ में चींटियों के आटा शक्कर मिलाकर डालना चाहिए ।।

मित्रों, बाजार में डाकोत को तेल मिलता है इस तेल का दान करना चाहिए । काले कपड़े में उड़द, लोहा, तेल और काजल रखकर दान देने से शुभ फल की प्राप्ति होती है । काले घोड़े की नाल की अंगूठी मध्यमा अंगुली में धारण करना एवं नौकरों से अच्छा व्यवहार करना तथा छाया दान करना श्रेयस्कर होता है ।।


  
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।।। नारायण नारायण ।।।

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