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व्यापार में मनोवांछित उन्नति हेतु करें ये उपाय ।। the business growth-tips.

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,


मित्रों, हर एक व्यापारी चाहता है कि उसका व्यापर सर्वोच्च परिणति तक पहुंचे । और उसके लिए सभी अपने-अपने स्तर से मेहनत और प्रयत्न भी करते ही हैं । फिर भी घाटा हो ही जाता है न चाहते हुए भी ।।

संस्कृत में एक कहावत है, कि - भाग्यं फलती सर्वदा न विद्या न च पौरुषम् ।। अर्थात् बड़े-से-बड़े विद्वान् और बड़े-से-बड़े मेहनती लोग भी असफल हो जाते हैं क्योंकि भाग्य ही फलित होता है ।।

अगर विद्वानों की बात करें तो मेरे पास एम.बी.ए. की डिग्री लेकर आते हैं लोग । गुरूजी कोई उपाय बतायें कोई छोटी-मोटी नौकरी ही मिल जाय । अगर मेहनत की बात करें तो गदहों और कुलियों से ज्यादा मेहनत कौन करता है ?

मैं अपने सामने ही देख रहा हूँ, एक-से-बड़े-एक मुर्खाधिराज लोग जगतगुरु बने बैठे हैं, जबकि विद्वानों को कोई पूछता नहीं है । एम.पी. एम.एल.ए. लोग आज अधिकांशतः पढ़े-लिखे नहीं हैं अथवा बहुत कम पढ़े हैं ।।

ऐसे लोग अपने किस्मत के बदौलत ही तो दुनियाँ के सर्वश्रेष्ठ सुखों को भोग रहे हैं । इसलिए किस्मत को अनदेखी करने से बड़ी मुर्खता और कुछ भी नहीं है । परन्तु एक बात और है की किस्मत के भरोसे बैठना भी नहीं है ।।


अगर आप चाहते हैं, कि अपने व्यापार में मनोवांछित उन्नति की प्राप्ति हो तो आपको भगवान पर पूर्ण भरोसा रखकर ये उपाय करना होगा । आपको करना ये है कि अपनी जन्मकुण्डली अथवा जन्म राशि के अनुसार व्यापार में सफलता देनेवाले ग्रह की अंगूठी बनवायें ।।

ये काम आपको किसी श्रेष्ठ विद्वान् एवं अनुभवी ज्योतिषी के निर्देशानुसार करना होगा । क्योंकि ज्योतिष में अनुभव ही प्रधान होता है ज्ञान से भी ज्यादा । इसलिए आपको किसी अनुभवी ज्योतिषी से ही परामर्श लेनी होगी ।।

अब सोमवार के दिन प्रातः नवनिर्मित उस अंगूठी को गंगाजल में धोकर गाय के दूध में डुबो दें । उसमें थोड़ी-सी शक्कर, तुलसी के पत्ते और कोई भी सफ़ेद फूल भी चढायें ।।

इसके पश्चात स्नान ध्यान से निवृत्त होकर उस अंगूठी को वहां से निकाल लें । उसे भगवान के स्थान पर रखकर अंगूठी की पूजा करके उसे पहन लें । इसके बाद से ही आप अपने व्यापार में हो रहे बदलाव और उन्नति को अनुभव करेंगे ।।


मित्रों, अगर आप चाहते हैं, कि आपका किया गया सभी कार्य सफल हो परन्तु कार्य के आरम्भ में ही उसमें विध्न आने लगते हैं । बहुत प्रयत्नों के बाद भी आपका कार्य असफल हो जाता है ।।

आपका प्रयत्न विफल हो जाता है, तो इसके लिए आप सुबह जगते ही प्रातःकाल कच्चा सूत लेकर सूर्य के सामने मुंह करके खड़े हो जाएं । फिर सूर्य देव को इस मन्त्र से अर्घ्य देवें - "ॐ हीं घृणी सूर्याय आदित्याय श्रीम" और नमस्कार करें ।।

जल में लाल चन्दन, सफेद चावल, गुड़ एवं लाल पुष्प मिश्रित करके अर्घ्य देवें । अर्घ्य देने के बाद कच्चे सूत को सूर्य देव को देखें एवं भगवान गणेशजी का स्मरण करते हुए उस सूत में सात गाँठे लगाएं ।।

भगवान सूर्य एवं भगवान गणपति का स्मरण एवं प्रार्थना करें तथा अपनी समस्या को व्यक्त करें । इसके बाद उस सूत को किसी कवर में रखकर अपने कुरते के जेब में रख लें आपके बिगड़े कार्य बनने लगेंगे ।।

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।। नारायण नारायण ।।

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