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देवताओं की पूर्ण कृपा प्राप्ति हेतु किस पुष्पादि से पूजन करें ?।। DevKripa Hetu Vishisht Pooja Vidhan.

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
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मित्रों, आज मैं आपलोगों को बताऊंगा की कौन से देवता को कौन सा पुष्प चढ़ाना चाहिये । किस देवता को कौन सा पुष्प निषेध है ये भी हम जानेंगे । तुलसी कब तोडना चाहिये और किस समय तुलसी तोडना मना है ये भी हम जानने का प्रयास करेंगे ।।

तो चलिये सबसे पहले गणेशजी से शुरू करते हैं । गणेशजी को तुलसी का पत्र छोड़कर सभी प्रकार के पत्र-पुष्प प्रिय हैं । अतः सभी अनिषिद्ध पत्र-पुष्प भी इनपर चढ़ाये जा सकते हैं । यथा - तुलसीं वर्जयित्वा सर्वाण्यपि पत्रपुष्पाणि गणपतिप्रियाणि ।।(आचारभूषण)

सर्वाधिक प्रिय गणेश जी को दूर्वादल है । इसलिये सफेद या हरा दूर्वा जिसमें तीन या पाँच पत्ती हो ऐसा चढ़ाना चाहिये । यथा - हरिता श्वेतवर्णा वा पञ्चत्रिपत्रसंयुता:। दुर्वांकुरा मया दत्ता एकविंशतिसम्मिता: (गणेशपुराण)। तथा गणेशो लड्डूकप्रियः = गणेश जी को लड्डू का भोग अत्यंत प्रिय है आचारेन्दु)।।
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मैंने अपने महाराष्ट्र की एक परम्परा देखी है, जिसमें गणेश जी को लोग तुलसी चढ़ाते हैं । जबकि आचारभूषण का उपरोक्त श्लोक, आचाररत्न का - न तुलस्या गणाधिपम् । तथा "गणेशं तुलसीपत्रैर्दुर्गां नैव तू दूर्वया" हर जगह गणेशजी को तुलसी निषिद्ध है ।।

मित्रों, भगवान शिव की पूजा में जो पत्र-पुष्प विहित है, वो सब माता गौरी को भी प्रिय हैं । अपामार्ग माताजी को अत्यंत प्रिय है । भगवान शिव पर चढाने के लिये जिन फूलों का निषेध है, वे भी माता भगवती पर चढ़ाये जाते हैं ।।

यथा - यानि पुष्पाणि चोक्तानि शंकरस्यार्चने पुरा । तानि गौर्याः प्रशस्तानि त्वपामार्गो विशेषतः ।। शिवार्चने निषिद्धानि पत्रपुष्पफलानि च । तानि देव्याः प्रशस्तानि अनुक्तानि विशेषतः ।। (पारिजात)

जितने भी लाल फुल होते हैं वे सभी देवी को चढ़ाया जा सकता है । श्वेत फुल भी जिनमें सुगंध हो वो सभी देवी को विशेष प्रिय है । जैसे - बेला, चमेली, केशर, श्वेत और लाल फुल, श्वेत कलम, पलाश, तगर, अशोक, चम्पा, मौलसिरी, मदार, कुंद, लोध, कनेर, आक, शीशम और अपराजित (शंखपुष्पी) के फुल चढ़ाये जाते हैं ।।
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शातातप में लिखा है, कि आक और मदार के फुल जब कोई अन्य फुल न मिले तो ही चढ़ाया जाय । परन्तु दुर्गा को छोड़कर अन्य देवियों को इस फुल को नहीं चढ़ाना चाहिये । इस फुल को माँ दुर्गा को चढ़ाया जा सकता है ।।

दूर्वा, तिलक, मालती, भंगरैया और तमाल ये पुष्प विहित भी हैं और निषिद्ध भी । विहित-प्रतिषिद्ध से अभिप्राय है, कि जब विहित पुष्प न मिले ती इन पुष्पों को चढ़ाया जा सकता है । अर्थात अभाव में इन पुष्पों से पूजा करने में कोई हर्ज नहीं है ।।

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मित्रों, कल हम बाकी के देवताओं तथा भगवान शिव की विशिष्ट कृपा प्राप्ति हेतु कैसे करें पूजन ? इस विषय पर विस्तृत चर्चा करेंगे । इसलिये ज्योतिष के गूढ़-से-गूढ़ ज्ञान एवं अन्य हर प्रकार के टिप्स & ट्रिक्स के लिए हमारे फेसबुक के ऑफिसियल पेज को अवश्य लाइक करें - Astro Classes, Silvassa.

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