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सटीक फलादेश की सरल विधी ।। Faladesh Ki Saral Vidhi.

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,


मित्रों, ज्योतिष एक बहुत ही सरल विषय है । परन्तु जबतक आपका ध्यान एकाग्र नहीं हो पायेगा तबतक आप ज्योतिष में कुछ भी नहीं सिख पाएंगे । इस बात का प्रमाण आज बाजार में ज्योतिषियों की भरमार है ।।

बहुत से लोगों को देखता हूँ, कि अपने नाम के आगे ज्योतिष लिखते हैं । जब उन्हें यही नहीं पता की क्या लिखना चाहिये तो इसी से पता चल जाता है, कि श्रीमानजी कितने बड़े विद्वान् होंगे ।।

मित्रों, आइये आज हम कुछ ज्योतिष के महत्वपूर्ण विषय पर बात कर लेते हैं । आप जब भी किसी कुण्डली को देखते हैं, तो उसपर किसी भी प्रकार का फलादेश करना बड़ा कठिन लगता है । परन्तु ज्योतिष के हरएक पहलू को जब आप समझ जायेगें तो ऐसा नहीं होगा ।।


सर्वप्रथम तो आपको ये जानना है, कि सामने वाले का प्रश्न किस ग्रह एवं किस भाव से सम्बन्धित है ? उसके बाद ही आप ये निर्णय कर पाएंगे की आपको अब आगे क्या बोलना है अथवा किस प्रकार बोलना है । बोलने से अभिप्राय ये है, कि जातक को अपने समस्या का समाधान मिले ।।

मित्रों, इसी विषय के अनुसार आज हम ग्रहों के अस्तंगत होने की स्थितियों पर गहनता से विचार करेंगे । अगर सूर्य की बात करें तो ये सभी ग्रहों का राजा है और उसके नजदीक 3 डिग्री में जो भी ग्रह आता है वो संपूर्ण रूप से अस्त एवं निर्बल हो जाता है ।।

कोई भी ग्रह सूर्य से 3 डिग्री से लेकर 12 डीग्री तक अस्त होता है । वैसे तो अनादि सत्य है कि सूर्य के आसपास सभी ग्रह भ्रमण करते रहते हैं । चंद्र, बुध, शुक्र, मंगल, गुरु, शनि । परन्तु मात्र बुध एक ऐसा ग्रह है जो सूर्य से ज्यादा नजदीक होने के बावजूद भी अस्त नहीं होता और बुधादित्य योग बनाता है ।।


मित्रों, कुछ ग्रह कुछ विशेष राशियों में जाने से भी अस्त हो जाते हैं । जैसे सूर्य की राशि में शनि अस्त हो जाता है तथा शनि की राशि में सूर्य अस्त हो जाता है । चंद्र की राशि में शनि अस्त हो जाता है जबकि शनि की राशि में चन्द्रमा अस्त हो जाता है ।।

इसी प्रकार मंगल की राशि में शुक्र अस्त हो जाता है तथा शुक्र की राशि में मंगल अस्त हो जाता है । बुध की राशि में गुरु और गुरु की राशि में बुध अस्त हो जाता है । यदि गोचर में सूर्य वृश्चिक राशि में भ्रमण कर रहा हो और शनि भी वृश्चिक राशि में गोचरवश भ्रमण करता हुआ आ जाय तो यहाँ शनि अस्त हो जाता है ।।


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।।। नारायण नारायण ।।।

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