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मंगलकृत पितृदोष के निवारण की अत्यन्त सरल विधी (उपाय) ।।



मंगलकृत पितृदोष के निवारण की अत्यन्त सरल विधी (उपाय) ।। MangalKrut Pitrudosha Nivaran Ki Saral Vidhi.

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,

मित्रों, हमने अपने पिछले लेख में आपलोगों को बताया था, पितृदोष के लक्षण एवं प्रकार । मुख्यरूप से पितृदोष दो प्रकार का होता है । एक सुर्यकृत पितृदोष तथा दूसरा मंगलकृत पितृदोष । इन दोनों के विषय में विस्तृत चर्चा हमने की थी ।।

परन्तु आज हम अपने इस लेख में पितृदोष के इन दोनों कारणों में से दूसरा मंगलकृत पितृदोष के निवारण की सरल प्रक्रिया बतायेंगे । वैसे तो मैंने इस विषय पर कई लेख लिख रखा है अपने ब्लॉग पर । आप हमारे ब्लॉग पर जाकर इस विषय के अन्य लेखों को आसानी से पढ़ सकते हैं ।।

मित्रों, करना ये है, कि किसी भी शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार के दिन घर में मंगल यंत्र की स्थापना पूर्ण विधि-विधान से करें । जब घर के बाहर जाएं तो इस यंत्रराज का दर्शन अवश्य करके जाएं ।।

नित्य प्रातःकाल उगते हुए सूर्य को अघ्र्य दें । मन्त्र - ॐ अंगारकाय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहि ! तन्नो भौमः प्रचोदयात् ।। इस मंगल गायत्री मन्त्र की एक माला का जप प्रतिदिन अवश्य करें । हनुमान जी एवं भगवान शिवजी की उपासना करें तथा भूमि पर ही शयन करें ।।

मित्रों, शुक्लपक्ष के प्रथम मंगलवार से आरंभ करके 11 मंगलवार का व्रत करें । मंगलवार के दिन 5 रत्ती से अधिक का मूंगा सोने, तांबे अथवा पंचधातु में जड़वाकर विधि-विधान से धारण करें । तीनमुखी रूद्राक्ष का एक दाना भी धारण कर सकते हैं । प्रतिदिन प्रातःकाल द्वादश ज्योतिर्लिंगों का स्मरण करें ।।

बहनों का भूलकर भी अपमान न करें । लालमुख वाले बंदरों को गुड़ एवं चना खिलाएं । जब भी अवसर मिले रक्तदान अवश्य करें । 100 ग्राम मसूर की दाल जल में प्रवाहित कर दें । सुअर को मसूर की दाल एवं मछलियों को आटे की गोलियां खिलाया करें ।।

मित्रों, कभी-कभी ऐसा होता है, इसलिए हो सकता है, कि आपकी कुण्डली में सूर्य एवं मंगलकृत दोनों ही पितृदोष हो । वैसे तो यह स्थिति अत्यंत घातक हो सकती है । परन्तु यदि ऐसी स्थिति हो तो आपके जीवन में आपको बहुत से कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है ।।

परन्तु घबरायें नहीं, वैसे सूर्य-मंगल-राहु की युति विशेष रूप से कष्टकारी होती है । अतः अनिष्टकारी प्रभावों से बचने के लिए कुछ उपाय बता रहे हैं उसे अवश्य करें । शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को सांय काल पानी वाला नारियल अपने ऊपर से 7 बार उतार कर तीव्र प्रवाह वाले जल में प्रवाहित कर दें ।।

मित्रों, अपने पितरों से प्रार्थना पूर्वक प्रतिदिन आशीर्वाद मांगें । अष्टमुखी रूद्राक्ष धारण करें और अपने घर में 21 मोर के पंख रखें । शिवलिंग पर प्रतिदिन जलमिश्रित दूध अर्पित करें इससे आपके जीवन में अवश्य ही लाभ होगा ।।

राहु की महादशा या अंतर्दशा में जातक को कंबल का प्रयोग नहीं करना चाहिये । सफाईकर्मचारियों को समय-समय पर कुछ दान दक्षिणा देते रहना चाहिये । इन सभी उपायों को पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास के साथ करने पर पितृदोष के दुष्प्रभावों का शमन होता है ।।

मित्रों, अगर भूत-प्रेत अथवा उपरी बाधा लक्षित हो रही हो तो उसके निवारण के लिए हनुमानजी की भक्ति-आराधना करनी चाहिये । हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुन्दर काण्ड अथवा हनुमान जी का कोई भी पाठ कर सकते हैं । क्योंकि हनुमानजी के प्रत्येक पाठ चमत्कारी होते हैं ।।

वैसे तो हनुमान जी के स्मरण मात्र से ही व्यक्ति मुसीबतों से पार हो जाता है । चाहे वह चालीसा हो, सुन्दरकांड हो, कवच हो या फिर कोई स्तोत्र हो इनमें से किसी का भी पाठ कर लेने से बाधाओं में फँसा हुआ व्यक्ति अपने दु:खों से पार हो जाता है ।।

मित्रों, किसी भी प्रकार की बाधा हो चाहे व्यक्ति आर्थिक संकट से ग्रस्त हो या भूतपिशाच जैसे ऊपरी बाधाओं से परेशान तथा मारण, सम्मोहन अथवा उच्चाटन आदि से ग्रस्त व्यक्ति को हनुमान आराधना से बहुत ही लाभ मिलता है ।।

यदि कोर्ट कचहरी लड़ाई मुकदमों से ग्रस्त व्यक्ति भी हनुमान जी की शरण में आएं तो उसे लाभ अवश्य मिलता है । मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी के मन्दिर में भक्तों का आकर्षण, भक्तों का भीड़ इस बात का प्रमाण है ।।


  
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।।। नारायण नारायण ।।।

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