सूर्यकृत पितृदोष के निवारण की अत्यन्त सरल विधी (उपाय) ।। SuryaKrut Pitrudosha Nivaran Ki Saral Vidhi.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, हमने अपने पिछले लेख में आपलोगों को बताया था, पितृदोष के लक्षण एवं प्रकार । मुख्यरूप से पितृदोष दो प्रकार का होता है । एक सुर्यकृत पितृदोष तथा दूसरा मंगलकृत पितृदोष । इन दोनों के विषय में विस्तृत चर्चा हमने की थी ।।
परन्तु आज हम अपने इस लेख में पितृदोष के इन दोनों कारणों में से पहला सुर्यकृत पितृदोष के निवारण की सरल प्रक्रिया बतायेंगे । वैसे तो मैंने इस विषय पर कई लेख लिख रखा है अपने ब्लॉग पर । आप हमारे ब्लॉग पर जाकर इस विषय के लेखों को पढ़ सकते हैं ।।
मित्रों, इस दोष की शान्ति हेतु सर्वप्रथम किसी भी शुक्लपक्ष के प्रथम रविवार के दिन घर में विधि-विधान से सूर्ययंत्र स्थापित करें । प्रतिदिन भगवान सूर्य को इस मन्त्र से (एही सूर्य सहस्रान्सो तेजो राशे जगत्पते । अनुकम्प्य मां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर ।।) तांबे के पात्र से अर्घ्य प्रदान करें ।।
सूर्यार्घ्य वाले जल में लाल पुष्प, अष्टगंध, काला तिल, चावल एवं शहद अवश्य मिश्रित करके अर्घ्य दें । इस बात का ध्यान रखें कि जब घर से बाहर जाएं तो भगवान सूर्य के यंत्र का दर्शन अवश्य करें ।।
मित्रों, सूर्य गायत्री मन्त्र की एक माला का जप नित्य ही अवश्य करें । जप के समय आपका मुख पूर्व दिशा में रहे । मन्त्र - "ॐ आदित्याय विद्महे प्रभाकराय धीमहि ! तन्नो सूर्यः प्रचोदयात् ।।
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से आरम्भ करके कम से कम 12 तथा अधिक से अधिक 30 रविवार का व्रत रखें । सूर्यास्त के पूर्व गेहूं गुड घी आदि से बनी कोई सामग्री भोजन में ग्रहण करके व्रत को पूर्ण करें तथा व्रत के दिन सूर्य स्तोत्र का पाठ भी करें ।।
मित्रों, कुण्डली में सूर्य की स्थिति के अनुसार सोने, तांबे अथवा पंचधातु में 5 रत्ती के ऊपर का माणिक्य रविवार के दिन विधि-विधान से धारण करें । पांच मुखी रूद्राक्ष का एक दाना धारण करें तथा नित्य द्वादश ज्योतिर्लिंगो का स्मरण करें ।।
पिता एवं पिता तुल्य बड़े बुजुर्गों को सम्मान दें उनका अपमान भूलकर भी ना करें । रविवार के दिन गाय को गेहूं एवं गुड़ खिलाएं तथा घर से बाहर जाते समय गुड़ खाकर निकला करें । दूध में शहद मिलाकर पियें तथा सदैव लाल रंग का एक रूमाल अपने पास अवश्य रखें ।।
किसी भी तरह के पूजा-पाठ, विधी-विधान, ग्रह दोष शान्ति आदि के लिए तथा बड़े से बड़े अनुष्ठान हेतु योग्य एवं विद्वान् ब्राह्मण हमारे यहाँ उपलब्ध हैं ।।
संपर्क करें:- बालाजी ज्योतिष केन्द्र, गायत्री मंदिर के बाजु में, मेन रोड़, मन्दिर फलिया, आमली, सिलवासा ।।
।।। नारायण नारायण ।।।
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, हमने अपने पिछले लेख में आपलोगों को बताया था, पितृदोष के लक्षण एवं प्रकार । मुख्यरूप से पितृदोष दो प्रकार का होता है । एक सुर्यकृत पितृदोष तथा दूसरा मंगलकृत पितृदोष । इन दोनों के विषय में विस्तृत चर्चा हमने की थी ।।
परन्तु आज हम अपने इस लेख में पितृदोष के इन दोनों कारणों में से पहला सुर्यकृत पितृदोष के निवारण की सरल प्रक्रिया बतायेंगे । वैसे तो मैंने इस विषय पर कई लेख लिख रखा है अपने ब्लॉग पर । आप हमारे ब्लॉग पर जाकर इस विषय के लेखों को पढ़ सकते हैं ।।
मित्रों, इस दोष की शान्ति हेतु सर्वप्रथम किसी भी शुक्लपक्ष के प्रथम रविवार के दिन घर में विधि-विधान से सूर्ययंत्र स्थापित करें । प्रतिदिन भगवान सूर्य को इस मन्त्र से (एही सूर्य सहस्रान्सो तेजो राशे जगत्पते । अनुकम्प्य मां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर ।।) तांबे के पात्र से अर्घ्य प्रदान करें ।।
सूर्यार्घ्य वाले जल में लाल पुष्प, अष्टगंध, काला तिल, चावल एवं शहद अवश्य मिश्रित करके अर्घ्य दें । इस बात का ध्यान रखें कि जब घर से बाहर जाएं तो भगवान सूर्य के यंत्र का दर्शन अवश्य करें ।।
मित्रों, सूर्य गायत्री मन्त्र की एक माला का जप नित्य ही अवश्य करें । जप के समय आपका मुख पूर्व दिशा में रहे । मन्त्र - "ॐ आदित्याय विद्महे प्रभाकराय धीमहि ! तन्नो सूर्यः प्रचोदयात् ।।
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से आरम्भ करके कम से कम 12 तथा अधिक से अधिक 30 रविवार का व्रत रखें । सूर्यास्त के पूर्व गेहूं गुड घी आदि से बनी कोई सामग्री भोजन में ग्रहण करके व्रत को पूर्ण करें तथा व्रत के दिन सूर्य स्तोत्र का पाठ भी करें ।।
मित्रों, कुण्डली में सूर्य की स्थिति के अनुसार सोने, तांबे अथवा पंचधातु में 5 रत्ती के ऊपर का माणिक्य रविवार के दिन विधि-विधान से धारण करें । पांच मुखी रूद्राक्ष का एक दाना धारण करें तथा नित्य द्वादश ज्योतिर्लिंगो का स्मरण करें ।।
पिता एवं पिता तुल्य बड़े बुजुर्गों को सम्मान दें उनका अपमान भूलकर भी ना करें । रविवार के दिन गाय को गेहूं एवं गुड़ खिलाएं तथा घर से बाहर जाते समय गुड़ खाकर निकला करें । दूध में शहद मिलाकर पियें तथा सदैव लाल रंग का एक रूमाल अपने पास अवश्य रखें ।।
वास्तु विजिटिंग के लिये तथा अपनी कुण्डली दिखाकर उचित सलाह लेने एवं अपनी कुण्डली बनवाने अथवा किसी विशिष्ट मनोकामना की पूर्ति के लिए संपर्क करें ।।
किसी भी तरह के पूजा-पाठ, विधी-विधान, ग्रह दोष शान्ति आदि के लिए तथा बड़े से बड़े अनुष्ठान हेतु योग्य एवं विद्वान् ब्राह्मण हमारे यहाँ उपलब्ध हैं ।।
संपर्क करें:- बालाजी ज्योतिष केन्द्र, गायत्री मंदिर के बाजु में, मेन रोड़, मन्दिर फलिया, आमली, सिलवासा ।।
WhatsAap & Call: +91 - 8690 522 111.
।।। नारायण नारायण ।।।
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