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शुभ या अशुभ योगों वाले ग्रह कब और कितनी मात्रा में फल देते हैं ?।।



शुभ या अशुभ योगों वाले ग्रह कब और कितनी मात्रा में फल देते हैं ?।। Shubh Ya Ashubh Yogo Wale Grah Kab Aur Kitana fal Dete Hai.

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,

मित्रों, आज हम बात करेंगे, कि आपकी कुण्डली में जो शुभ या अशुभ ग्रह होते हैं ? उनका शुभ या अशुभ फल जातक को मिलता कब है ?।।

फिर चाहे वो पंच महापुरुष योग में जो फल बतलाए गए फल हों या अशुभ कालसर्पादि योग के फल हों । वह सब शुभाशुभ फल उन-उन ग्रहों की दशा में ही जातक को प्राप्त होते हैं ।।

मित्रों, शीर्षोदय राशिगत ग्रह दशा के आरंभ काल में, उभयोदयगत दशा के मध्य में, पृष्ठोदय गत राशि तथा नीच राशि के ग्रह दशा के अंत में उपरोक्त बतलाए हुए अपने-अपने फल को देते हैं ।।

3, 5, 6, 7, 8, 11 ये छः राशियाँ शीर्षोदय होती हैं । शीर्षोदयी अर्थात् पूर्वीय क्षितिज पर उदय के समय जिन राशियों का सिर वाला भाग पहले दृष्टिगोचर होता है ।।

मित्रों, मकर, वृषभ, धनु, कर्क और मेष - 1, 2, 4, 9, 10 ये पाँच राशियाँ पृष्ठोदयी होती हैं । पृष्ठोदयी अर्थात् पूर्वीय क्षितिज पर उदय के समय इनका पृष्ठभाग पहले उदित होता है ।।

मीन राशि उभयोदय कही गयी है, क्योंकि मीन राशि का स्वरुप दो मछलियों वाला है । ये दोनों मछलियाँ एक-दूसरे से विपरीत दिशा में अपना मुख रखे हुए होती हैं ।।

मित्रों, इसीलिए, उदय के समय एक साथ सिर एवं पूंछ दिखने से इसे उभयोदय अर्थात् सिर एवं पूंछ से एक साथ उदित होने वाली कहा जाता है ।।

शीर्षोदय राशियाँ मूलतः शुभ फलदायी कही गयी हैं । परन्तु पृष्ठोदयी राशियों के बारे में ज्योतिष के जानकारों में भ्रांतियां है । कोई इन राशियों का फल अशुभ कोई देर से कहता है ।।

मित्रों, मीन राशि सदैव मिश्रित या मध्यम फलद होती है । इसके अतिरिक्त, पृष्ठोदयी राशियाँ उत्तरार्द्ध में और शीर्षोदयी राशियाँ पूर्वार्ध में विशेष फलप्रद हैं ।।

उभयोदय राशि मध्य में फलप्रद होती है । अर्थात्, पृष्ठोदय राशिस्थ ग्रह सम्पूर्ण दशा के अंत में, शीर्षोदय स्थित ग्रह आदि में उभयोदय मध्य में फलप्रद होते हैं । प्रश्न विचार में, शीर्षोदय कार्यसाधक और पृष्ठोदय कार्यनाशक होती है ।।

मूल दशापति के साथ में रहने वाले ग्रह की अंतर्दशा आधा, दशापति से त्रिकोण में स्थित ग्रह तृतीयांश तथा दशापति से सप्तमस्थ ग्रह सप्तमांश और दशा स्वामी से चतुर्थ और अष्टम भाव में स्थित ग्रह की अंतर्दशा चतुर्थांश फल देती है फिर चाहे वो शुभ हो अथवा अशुभ ।।

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।।। नारायण नारायण ।।।

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