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अशुभ बृहस्पति से शुभ फल प्राप्ति के सरल उपाय ।।

अशुभ बृहस्पति से शुभ फल प्राप्ति के सरल उपाय ।। Ashubh Brihaspati Se Shubh fal Prapti Ke Upay.


हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,

मित्रों, सामान्यतः बृहस्पति विद्या और बुद्धि के स्वामी ग्रह हैं । इस ग्रह से संबंधित लोग अध्ययन, अध्यापन, स्वर्ण के व्यवसाय, आध्यात्म, राजनीति, प्रबंधन, मुद्रा क्रय-विक्रय, चिकित्सा, इंजिनियरिंग, कूटनीतिक सलाहकार, राजदूत इत्यादि क्षेत्रों में आसानी से सफलता अर्जित करते हैं ।।

जिस स्त्री जातक की कुण्डली में बृहस्पति शुभ स्थान और शुभ प्रभाव में होता है । उसे सामाजिक मान-सम्मान तथा ऊँचे पद-प्रतिष्ठा और सांसारिक सुख सहजता से प्राप्त हो जाता है ।।

परन्तु बृहस्पति कुण्डली में अशुभ हो तो उससे शुभ फल प्राप्ति के लिये क्या करें ? बृहस्पति को ठीक करके शुभ फल पाने के लिये जो उपाय हैं उनके लिये जिन वस्तुओं का दान करना चाहिए उनमें चीनी, केला, पीला वस्त्र, केशर, नमक, मिठाईयां, हल्दी, पीला फूल और भोजन उत्तम बताया गया है ।।

गुरु ग्रह की शांति के लिये बृहस्पति से सम्बन्धित रत्न का दान करना भी श्रेष्ठ होता है । दान करते समय आपको ध्यान रखना चाहिए, कि दिन बृहस्पतिवार हो और सुबह का समय हो ।।

दान किसी ब्राह्मण, गुरू अथवा पुरोहित को देना विशेष फलदायक होता है । बृहस्पतिवार के दिन व्रत करना भी श्रेयस्कर होता है । कमज़ोर बृहस्पति वाले व्यक्तियों को केला और पीले रंग की मिठाईयां गरीबों, पंक्षियों विशेषकर कौओं को देना चाहिए ।।

ब्राह्मणों एवं गरीबों को दही चावल खिलाना चाहिए । रविवार और बृहस्पतिवार को छोड़कर अन्य सभी दिन पीपल के जड़ को जल से सिंचना चाहिए । गुरू, पुरोहित और शिक्षकों में बृहस्पति का निवास होता है अत: इनकी सेवा से भी बृहस्पति के दुष्प्रभाव में कमी आती है ।।

केला के सेवन और सोने वाले कमरे में केला रखने से बृहस्पति से पीड़ित व्यक्तियों की कठिनाई बढ़ जाती है । इसलिए इस बात का ध्यान रखना चाहिये इससे बचना चाहिए ।।

ऐसे व्यक्ति को अपने माता-पिता, गुरुजन एवं अन्य पूजनीय व्यक्तियों के प्रति आदर भाव रखना चाहिए । महत्त्वपूर्ण समयों पर इनका चरण स्पर्श कर आशिर्वाद लेते रहना चाहिए ।।

सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर उसका लेप माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए । ऐसे व्यक्ति को मन्दिर में या किसी धर्म स्थल पर निःशुल्क सेवा करनी चाहिए ।।

किसी भी मन्दिर के सम्मुख से निकलने पर अपना सिर श्रद्धा से झुकाना चाहिए । ऐसे व्यक्ति को परस्त्री/परपुरुष से संबंध नहीं रखने चाहिए । गुरुवार के दिन मन्दिर में केले के पेड़ के सम्मुख गौघृत का दीपक जलाना चाहिए ।।

गुरुवार के दिन आटे के लोयी में चने की दाल, गुड़ एवं पीसी हल्दी डालकर गाय को खिलानी चाहिए । गुरु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु गुरुवार का दिन, गुरु के नक्षत्र (पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वा-भाद्रपद) तथा गुरु की होरा में अधिक शुभ होते हैं ।।

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