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जिसकी कुण्डली में भद्र योग हो उसे क्या नहीं देता अर्थात सबकुछ देता है ।।

जिसकी कुण्डली में भद्र योग हो उसे क्या नहीं देता अर्थात सबकुछ देता है ।। Bhadra Yoga Kya Nahi Deta Arthat Sabkuchh Deta Hai.


हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,

मित्रों, आज हम पंचमहापुरुष योगों में से एक भद्र योग के विषय में विस्तृत चर्चा करेंगे । भद्र योग को वैदिक ज्योतिष के अनुसार किसी कुण्डली में बनने वाले बहुत सारे शुभ योगों में से एक माना जाता है ।।

यह योग पंचमहापुरुष योगों में से एक होता है । पंच महापुरुष योग में आने वाले शेष चार योग हंस योग, मालब्य योग, रूचक योग एवम शश योग हैं ।।

वैदिक ज्योतिष में भद्र योग तब बनता है जब बुध यदि किसी कुण्डली में लग्न से अथवा चन्द्रमा से केन्द्र के घरों में स्थित हों अर्थात बुध यदि किसी कुण्डली में लग्न अथवा चन्द्रमा से 1, 4, 7 अथवा 10वें घर में मिथुन अथवा कन्या राशि में स्थित हों तो ऐसी कुण्डली में भद्र योग बनता है ।।

जिसकी कुण्डली में भद्र योग हो उस जातक को युवापन, बुद्धि, वाणी कौशल, संचार कौशल, विशलेषण करने की क्षमता, परिश्रम करने का स्वभाव, चतुराई, व्यवसायिक सफलता, कलात्मकता तथा अन्य कई प्रकार के शुभ फल प्रदान करता है ।।

अपनी इन विशेषताओं के चलते भद्र योग के प्रभाव में आने वाले जातक विभिन्न प्रकार के व्यवसायिक क्षेत्रों में सफल देखे जाते हैं । जिनमें पत्रकार, टीवी रिपोर्टर, वकील, जज, प्रवक्ता, सलाहकार तथा विशेषतया वित्तिय सलाहकार, ज्योतिषी, व्यापारी, राजनीतिज्ञ तथा शिक्षक आदि शामिल हैं ।।

इस योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक अपने-अपने व्यवसायिक क्षेत्रों के माध्यम से धन तथा ख्याति अर्जित करते हैं । फिर भी इसमें धन और ख्याति की मात्रा जातक की कुंडली के आधार पर ही होती है ।।

भद्र योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक अपनी आयु की तुलना में युवा दिखाई देते हैं । इस योग का प्रबल प्रभाव जातक को लंबी आयु भी प्रदान करता है । भद्र योग के विशेष प्रभाव में आने वाले कुछ जातक सफल राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ तथा खिलाड़ी भी बनते हैं ।।

मित्रों, भद्र योग का यदि ध्यानपूर्वक अध्ययन करें तो यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है, कि लगभग हर 16वीं कुंडली में भद्र योग का निर्माण होता ही है । भद्र योग वैदिक ज्योतिष में वर्णित एक अति शुभ तथा दुर्लभ योग है ।।

इसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले शुभ फल प्रत्येक 16वें व्यक्ति में देखने को नहीं मिलते । जिसके कारण यह कहा जा सकता है, कि केवल बुध की कुण्डली के किसी घर तथा किसी राशि विशेष के आधार पर ही इस योग के निर्माण का निर्णय नहीं किया जा सकता है ।।

अपितु मेरे विचार से किसी भी अन्य शुभ योगों कि तरह ही भद्र योग के निर्माण के लिए भी यह आवश्यक है, कि कुण्डली में बुध शुभ हों । क्योंकि कुण्डली में बुध के अशुभ होने से बुध के उपर बताए गए विशेष घरों तथा राशियों में स्थित होने पर भी भद्र योग का शुभ फल लगभग नहीं मिलेगा ।।

अपितु इस स्थिति में बुध कुंडली में किसी गंभीर दोष का निर्माण कर सकते हैं । उदाहरण के लिए किसी कुंडली के सातवें घर में मिथुन राशि में स्थित अशुभ बुध भद्र योग नहीं बनाएंगे ।।

बल्कि ऐसी कुंडली में अशुभ बुध की स्थिति के कारण कई दोष बन सकता है । जिसके कारण जातक के वैवाहिक जीवन तथा व्यवसायिक क्षेत्र में समस्याएं उत्पन्न हो सकतीं हैं ।।

इस लिए किसी कुंडली में भद्र योग के लिए बुध का कुंडली में शुभ होना अति आवश्यक है । कुंडली में बुध के शुभ होने के पश्चात यह भी देखना चाहिए कि कुंडली में बुध को कौन से शुभ अथवा अशुभ ग्रह प्रभावित कर रहे हैं ।।

क्योंकि किसी कुंडली में शुभ बुध पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव बुध द्वारा बनाए जाने वाले भद्र योग के शुभ फलों को कम कर सकता है । किसी कुंडली में शुभ बुध पर दो या दो से अधिक अशुभ ग्रहों का प्रबल प्रभाव कुंडली में बनने वाले भद्र योग को प्रभावहीन भी बना सकता है ।।

इसके विपरीत किसी कुण्डली में शुभ बुध पर शुभ ग्रहों का प्रभाव कुण्डली में बनने वाले भद्र योग के शुभ फलों को और भी बढ़ाता है । परिणामतः जातक को प्राप्त होने वाले शुभ फलों में बहुत वृद्धि हो जाती है ।।

इसके अतिरिक्त कुंडली में बनने वाले अन्य शुभ-अशुभ योगों अथवा दोषों का भी भली भांति अध्ययन करना चाहिए । क्योंकि कुंडली में बनने वाले पित्र दोष, मांगलिक दोष तथा काल सर्प दोष जैसे दोष भद्र योग के प्रभाव को कम कर सकते हैं ।।

जबकि कुंडली में बनने वाले अन्य शुभ योग इस योग के प्रभाव को और अधिक बढ़ा सकते हैं । इसलिए किसी कुंडली में भद्र योग के निर्माण तथा इसके शुभ फलों का निर्णय करने से पहले इस योग के निर्माण तथा फलादेश से संबंधित सभी नियमों का उचित रूप से अध्ययन कर लेना चाहिए ।।

कुंडली के लग्न में बनने वाला भद्र योग जातक को स्वास्थय, व्यवासायिक सफलता, ऐश्वर्य तथा ख्याति आदि जैसे शुभ फल प्रदान करता है ।।

कुंडली के चौथे घर में बनने वाला भद्र योग जातक को संपत्ति, वैवाहिक सुख, वाहन, घर, विदेश भ्रमण तथा वयवसायिक सफलता जैसे शुभ फल प्रदान करता है ।।

कुण्डली के सातवें घर का भद्र योग जातक को वैवाहिक सुख, व्यवसायिक सफलता तथा प्रतिष्ठा और प्रभुत्व वाला कोई पद प्रदान करता है ।।

दसवें घर का भद्र योग जातक को उसके व्यवसायिक क्षेत्र में बहुत अच्छे परिणाम देता है । इस योग के प्रभाव में आने वाले जातक किसी सरकारी अथवा निजी संस्था में लाभ, प्रभुत्व तथा प्रतिष्ठा वाला पद प्राप्त कर सकते हैं ।।

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