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जन्म कुण्डली के सातवें घर में बैठे गुरु का शुभाशुभ फल ।।

जन्म कुण्डली के सातवें घर में बैठे गुरु का शुभाशुभ फल ।। Satave Ghar Me Baithe Guru Ka fal.


हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,

मित्रों, आज हम बात करेंगे कुण्डली के सप्तम घर में बैठे गुरु के विषय में, कि यदि आपकी कुण्डली के सप्तम भाव में गुरु बैठा हो तो आपको किस प्रकार का क्या शुभ या अशुभ फल दे सकता है ।।

जिस जातक के जन्म लग्न से सप्तम भाव में बृहस्पति हो, तो ऐसा जातक, बुद्धिमान, सर्वगुणसंपन्न, अधिक स्त्रियों में आसक्त रहने वाला, धनी, सभा में भाषण देने में कुशल, संतोषी और धैर्यवान होता है ।।

सप्तमस्थ गुरु वाला जातक विनम्र और अपने पिता से भी अधिक और उच्च पद को प्राप्त करने वाला होता है । इसकी पत्नी पतिव्रता होती है । मेष, सिंह, मिथुन एवं धनु में गुरु हो, तो शिक्षा के लिए श्रेष्ठ होता है ।।

इसके वजह से ऐसा व्यक्ति विद्वान्, बुद्धिमान, शिक्षक, प्राध्यापक और न्यायाधीश हो सकता है । जिस जातक के जन्म लग्न से सप्तम भाव में बृहस्पति हो, तो ऐसा जातक, बुद्धिमान और सर्वगुण संपन्न होता है ।।

सदैव स्त्रियों में आसक्त रहने वाला परन्तु अति धनी होता है । लोगों के बीच जब ये बोलने लगे तो लोग दंग हो जाते हैं । यह कुशल, संतोषी, धैर्यवान, विनम्र और अपने कुल में सबसे ऊँचे पद को प्राप्त करने वाला होता है ।।

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