गुरु ग्रह गला, पेट, वसा एवं श्वसनतंत्र का रोग देता है ।। Guru Gala Pet Vasa And Shwas Ka Rog Deta Hai.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, गुरु ग्रह मनुष्य शरीर में गला, पेट, वसा, का कारक ग्रह माना जाता है । बृहस्पति से सम्बन्धित रोग और रत्न कि बात करते हैं । मूलतः बृहस्पति को गुरू का स्थान प्राप्त है ।।
इस ग्रह के अधीन विषय हैं गला, पेट, वसा, श्वसनतंत्र आदि-आदि । कुण्डली में जब यह ग्रह कमजोर होता है तो व्यक्ति को कई प्रकार के रोग का सामना करना पड़ता है ।।
ऐसी स्थिति में व्यक्ति सर्दी, खांसी और कफ से पीड़ित होता है । कमजोर गुरु के वजह से व्यक्ति गले के रोग से परेशान रहता है । इतना ही नहीं वाणी सम्बन्ध दोष भी होता है ।।
पीलिया, गठिया, पेट की खराबी एवं किडनी सम्बन्धी रोग बृहस्पति के कारण ही उत्पन्न होता है । रत्नशास्त्र में पुखराज को बृहस्पति का रत्न माना गया है ।।
इस रत्न के धारण करने से शरीर में बृहस्पति की उर्जा का संचार होता है । जिससे इन रोगों की संभावना कम होती है एवं रोग ग्रस्त होने पर जल्दी लाभ मिलता है ।।
अगर मोटापा, लीवर सम्बधित रोग, पीलिया, थॉयरॉयड, मधुमेह, कैंसर, ट्यूमर एवं कान में कोई तकलीफ हो तो आपको चने की दाल, पीले वस्त्र, स्वर्ण, मिठाइयाँ, पीले फल, पुस्तकें एवं पुखराज आदि किसी श्रेष्ठ ब्राह्मण को दान करना चाहिये ।।
इन वस्तुओं का दान आपको बृहस्पतिवार को करना चाहिये । गुरु अशुभ हो तो गुरु से अनुकूल फल प्राप्ति हेतु इस मन्त्र "ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम:" का जप करना करवाना चाहिये ।।
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मित्रों, गुरु ग्रह मनुष्य शरीर में गला, पेट, वसा, का कारक ग्रह माना जाता है । बृहस्पति से सम्बन्धित रोग और रत्न कि बात करते हैं । मूलतः बृहस्पति को गुरू का स्थान प्राप्त है ।।
इस ग्रह के अधीन विषय हैं गला, पेट, वसा, श्वसनतंत्र आदि-आदि । कुण्डली में जब यह ग्रह कमजोर होता है तो व्यक्ति को कई प्रकार के रोग का सामना करना पड़ता है ।।
ऐसी स्थिति में व्यक्ति सर्दी, खांसी और कफ से पीड़ित होता है । कमजोर गुरु के वजह से व्यक्ति गले के रोग से परेशान रहता है । इतना ही नहीं वाणी सम्बन्ध दोष भी होता है ।।
पीलिया, गठिया, पेट की खराबी एवं किडनी सम्बन्धी रोग बृहस्पति के कारण ही उत्पन्न होता है । रत्नशास्त्र में पुखराज को बृहस्पति का रत्न माना गया है ।।
इस रत्न के धारण करने से शरीर में बृहस्पति की उर्जा का संचार होता है । जिससे इन रोगों की संभावना कम होती है एवं रोग ग्रस्त होने पर जल्दी लाभ मिलता है ।।
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