कुण्डली में कुछ रोगों के योग ।। Rog Yoga in Your Horoscope.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, किसी कि भी जन्म पत्रिका को देखकर हम यह जान सकते हैं, कि उसकी कुण्डली में किस प्रकार के रोगों का योग है अथवा नहीं है । किसी स्त्री कि कुण्डली से उसके रोगों के बारे में पता लगाया जा सकता है ।।
हर बीमारी का सम्बन्ध किसी न किसी ग्रह से होता है जो आपकी कुण्डली में या तो कमजोर है या फिर दुसरे ग्रहों से बुरी तरह प्रभावित है । यहाँ कुछ बीमारियों का जिक्र जो आजकल बहुत से लोगों को हैं उन्ही का करेंगे ।।
कहा जाता है, "हेल्थ इज वेल्थ" यदि स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है तो आज लगभग धनवान कोई नहीं है । हर व्यक्ति की कोई न कोई कमजोरी होती है जहाँ आकर व्यक्ति बीमार हो ही जाता है ।।
हर व्यक्ति के शरीर की संरचना अलग-अलग होती है । किसे कब क्या कष्ट होगा यह तो डाक्टर भी नहीं बता सकता । परन्तु ज्योतिष इसकी पूर्वसूचना दे देता है, कि आप किस रोग से पीड़ित होंगे ।।
अथवा यूँ कहें कि कौन सी व्याधि आपको शीघ्र प्रभावित करेगी । कुण्डली में यदि षष्ठेश सूर्य के साथ 1 या 8वें भाव में बैठा हो तो जातक को मुख का रोग देता ही है ।।
षष्ठेश चन्द्र के साथ 1 या 8वें भाव में हो तो तालुरोग देता है । 12वें भाव में गुरू और चन्द्र साथ हों तो अपनी दशान्तर्दशा में जातक को रोगी बनाते ही हैं ।।
मंगल और शनि का योग 6 या 12वें भाव में हो, लग्नेश रवि का योग 6, 8 एवं 12वें स्थान में हो, मंगल और शनि लग्न स्थान या लग्नेश को देखते हों तो जातक को रोगी होने से कोई नहीं रोक सकता ।।
सूर्य, मंगल तथा शनि ये तीनों जिस स्थान में हो, उस स्थान वाले अगं पर रोग होता ही है । पापी मंगल पापराशि में हो, शुक्र और मंगल के साथ सूर्य का योग हो तो जातक का रोगी होना तय है ।।
अष्टमेश और लग्नेश साथ हो, छठे स्थान पर शनि की पूर्ण दृष्टी हो, चन्द्र और शनि एक साथ कर्क राशि में हो तो जातक को कोई गम्भीर बीमारी होती है ।।
छठे भाव में चन्द्र, शनि और बुध हों, तो जातक कोढ़ी होता है । अष्टमेश नीच ग्रहों के बीच में हो अथवा सूर्य पापग्रह द्वारा दृष्ट हो तो ऐसा जातक गम्भीर रोगों से ग्रस्त रहता है ।।
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मित्रों, किसी कि भी जन्म पत्रिका को देखकर हम यह जान सकते हैं, कि उसकी कुण्डली में किस प्रकार के रोगों का योग है अथवा नहीं है । किसी स्त्री कि कुण्डली से उसके रोगों के बारे में पता लगाया जा सकता है ।।
हर बीमारी का सम्बन्ध किसी न किसी ग्रह से होता है जो आपकी कुण्डली में या तो कमजोर है या फिर दुसरे ग्रहों से बुरी तरह प्रभावित है । यहाँ कुछ बीमारियों का जिक्र जो आजकल बहुत से लोगों को हैं उन्ही का करेंगे ।।
कहा जाता है, "हेल्थ इज वेल्थ" यदि स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है तो आज लगभग धनवान कोई नहीं है । हर व्यक्ति की कोई न कोई कमजोरी होती है जहाँ आकर व्यक्ति बीमार हो ही जाता है ।।
हर व्यक्ति के शरीर की संरचना अलग-अलग होती है । किसे कब क्या कष्ट होगा यह तो डाक्टर भी नहीं बता सकता । परन्तु ज्योतिष इसकी पूर्वसूचना दे देता है, कि आप किस रोग से पीड़ित होंगे ।।
अथवा यूँ कहें कि कौन सी व्याधि आपको शीघ्र प्रभावित करेगी । कुण्डली में यदि षष्ठेश सूर्य के साथ 1 या 8वें भाव में बैठा हो तो जातक को मुख का रोग देता ही है ।।
षष्ठेश चन्द्र के साथ 1 या 8वें भाव में हो तो तालुरोग देता है । 12वें भाव में गुरू और चन्द्र साथ हों तो अपनी दशान्तर्दशा में जातक को रोगी बनाते ही हैं ।।
मंगल और शनि का योग 6 या 12वें भाव में हो, लग्नेश रवि का योग 6, 8 एवं 12वें स्थान में हो, मंगल और शनि लग्न स्थान या लग्नेश को देखते हों तो जातक को रोगी होने से कोई नहीं रोक सकता ।।
सूर्य, मंगल तथा शनि ये तीनों जिस स्थान में हो, उस स्थान वाले अगं पर रोग होता ही है । पापी मंगल पापराशि में हो, शुक्र और मंगल के साथ सूर्य का योग हो तो जातक का रोगी होना तय है ।।
अष्टमेश और लग्नेश साथ हो, छठे स्थान पर शनि की पूर्ण दृष्टी हो, चन्द्र और शनि एक साथ कर्क राशि में हो तो जातक को कोई गम्भीर बीमारी होती है ।।
छठे भाव में चन्द्र, शनि और बुध हों, तो जातक कोढ़ी होता है । अष्टमेश नीच ग्रहों के बीच में हो अथवा सूर्य पापग्रह द्वारा दृष्ट हो तो ऐसा जातक गम्भीर रोगों से ग्रस्त रहता है ।।
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