कुण्डली में स्त्री रोग एवं सन्तान बाधक योग ।। Stri Rog And Santan Badhak Yoga in Horoscope.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, किसी कि भी जन्म पत्रिका को देखकर हम यह जान सकते हैं, कि उसकी कुण्डली में किस प्रकार के रोगों का योग है अथवा नहीं है । किसी स्त्री कि कुण्डली से उसके रोगों के बारे में पता लगाया जा सकता है ।।
साथ ही यदि किसी दंपत्ति को यदि सन्तान सुख कि प्राप्ति नहीं हो रही है, तो आखिर क्यों ? इसका कारण क्या हो सकता है ? इस बात को हम भलीभांति जान सकते हैं, उस जातक कि कुण्डली से ।।
परन्तु चलिये आज सबसे पहले हम सन्तान बाधा के योगों को देखते हैं, कि किसी कि कुण्डली में क्या दोष हो सकता है, जिससे उस जातक को सन्तान प्राप्ति में अनेकों प्रकार की बढ़ाएं आती है ।।
कुण्डली का तृतीयेश और चंद्रमा यदि किसी केन्द्र या त्रिकोण में स्थित हो तो जातक को संतान सुख में बाधा होती है । लग्न में मंगल, आठवें में शनि या पांचवें भाव में शनि हो तो भी जातक को संतान सुख में बाधा होती है ।।
कुण्डली में बुध और लग्न भाव का अधिपति ये दोनों लग्न के अलावा किसी केन्द्र स्थानों में हो तो भी संतान सुख में बाधा होती है । लग्न, अष्टम एवं बारहवें भाव में पापग्रह हो तो संतान सुख में बाधा उत्पन्न होती है ।।
सप्तम भाव में शुक्र, दशवें भाव में चन्द्रमा, एवं सप्तम भाव में शनि या मंगल हो तो संतान सुख में बाधा होती है । तृतीयेश यदि 1, 2, 3 या 5वें भाव में स्थित हो तथा शुभ ग्रहों से युत या दृष्ट हो तो भी जातक को संतान सुख में बाधा होती है ।।
मित्रों, अब बात करते हैं, किसी स्त्री कि कुण्डली में ग्रहों कि स्थिति के आधार पर कौन सा रोग हो सकता है । यदि किसी स्त्री कि कुण्डली में लग्न में शनि, मंगल या केतु हो तो ऐसी स्त्री गुप्त रोगों से ग्रसित होती है ।।
सप्तमेश 8 या 12वें भाव में हो, सप्तमेश और द्वितियेश पापग्रहों से युक्त हो, नीच का चन्द्रमा सातवें भाव में हो अथवा सातवें भाव में बुध पापग्रहों से दृष्ट हो तो ऐसी स्त्री गुप्त रोगों से ग्रसित होती है ।।
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मित्रों, किसी कि भी जन्म पत्रिका को देखकर हम यह जान सकते हैं, कि उसकी कुण्डली में किस प्रकार के रोगों का योग है अथवा नहीं है । किसी स्त्री कि कुण्डली से उसके रोगों के बारे में पता लगाया जा सकता है ।।
साथ ही यदि किसी दंपत्ति को यदि सन्तान सुख कि प्राप्ति नहीं हो रही है, तो आखिर क्यों ? इसका कारण क्या हो सकता है ? इस बात को हम भलीभांति जान सकते हैं, उस जातक कि कुण्डली से ।।
परन्तु चलिये आज सबसे पहले हम सन्तान बाधा के योगों को देखते हैं, कि किसी कि कुण्डली में क्या दोष हो सकता है, जिससे उस जातक को सन्तान प्राप्ति में अनेकों प्रकार की बढ़ाएं आती है ।।
कुण्डली का तृतीयेश और चंद्रमा यदि किसी केन्द्र या त्रिकोण में स्थित हो तो जातक को संतान सुख में बाधा होती है । लग्न में मंगल, आठवें में शनि या पांचवें भाव में शनि हो तो भी जातक को संतान सुख में बाधा होती है ।।
कुण्डली में बुध और लग्न भाव का अधिपति ये दोनों लग्न के अलावा किसी केन्द्र स्थानों में हो तो भी संतान सुख में बाधा होती है । लग्न, अष्टम एवं बारहवें भाव में पापग्रह हो तो संतान सुख में बाधा उत्पन्न होती है ।।
सप्तम भाव में शुक्र, दशवें भाव में चन्द्रमा, एवं सप्तम भाव में शनि या मंगल हो तो संतान सुख में बाधा होती है । तृतीयेश यदि 1, 2, 3 या 5वें भाव में स्थित हो तथा शुभ ग्रहों से युत या दृष्ट हो तो भी जातक को संतान सुख में बाधा होती है ।।
मित्रों, अब बात करते हैं, किसी स्त्री कि कुण्डली में ग्रहों कि स्थिति के आधार पर कौन सा रोग हो सकता है । यदि किसी स्त्री कि कुण्डली में लग्न में शनि, मंगल या केतु हो तो ऐसी स्त्री गुप्त रोगों से ग्रसित होती है ।।
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