पूजा विधि एवं पूजा-सामग्रीके रखनेका प्रकार ।।
सर्वप्रथम आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप जिस किसी देवता अथवा देवी का पूजन करने या करवाने जा रहे हों, उस देवता की मूर्ति अपने घर में किसी ऊँचे आसन पर पश्चिमाभिमुख स्थापित करें, ताकि आप पूर्वाभिमुख बैठकर पूजा कर सकें ।।
क्योंकि - सम्मुखे अर्थलाभश्च = सम्मुख बैठकर किसी भी देवता का पूजन करने से धन लाभ होता है ।।
अगर आपको केवल गणेश पूजन करना हो तो अन्य किसी देव प्रतिमा की आवश्यकता नहीं पड़ती । लेकिन अगर किसी अन्य देवी अथवा देवता का पूजन आपको करना हो तो गणेश जी के पूजन के बिना आप किसी की भी पूजा नहीं कर सकते । अत: सबसे उपर प्रधान देवता की स्थापना करें, तथा सामने उससे थोडा सा नीचे उच्चासन पर ही श्री गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें ।।
पूजन की किस वस्तु को किधर रखना चाहिये, इस बातका भी शास्त्र ने निर्देश दिया है । इसके अनुसार वस्तुओं को यथास्थान सजा देना चाहिये ।।
बायी ओर - सुवासित जल से भरा उदकुम्भ (जलपात्र) रखें, घंटा, धूपदानी (धुप या अगरबत्ती) तथा तेलका दीपक भी बायीं ओर ही रखे ।।
दायीं और - घृत का दीपक और सुवासित जलसे भरा शङ्ख ।।
सामने - कुङ्कुम (केसर) और कपूर के साथ घिसा गाढ़ा चन्दन, पुष्पादि तथा चन्दन किसी पात्र में सम्मुख ही रखें लेकिन ताम्रपात्रमें न रखे ।।
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वास्तु विजिटिंग के लिये तथा अपनी कुण्डली दिखाकर उचित सलाह लेने एवं अपनी कुण्डली बनवाने अथवा किसी विशिष्ट मनोकामना की पूर्ति के लिए संपर्क करें ।।
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किसी भी तरह के पूजा-पाठ, विधी-विधान, ग्रह दोष शान्ति आदि के लिए तथा बड़े से बड़े अनुष्ठान हेतु योग्य एवं विद्वान् ब्राह्मण हमारे यहाँ उपलब्ध हैं ।।
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संपर्क करें:- बालाजी ज्योतिष केन्द्र, गायत्री मंदिर के बाजु में, मेन रोड़, मन्दिर फलिया, आमली, सिलवासा ।।
WhatsAap & Call: +91 - 8690 522 111.
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।।। नारायण नारायण ।।।
सर्वप्रथम आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप जिस किसी देवता अथवा देवी का पूजन करने या करवाने जा रहे हों, उस देवता की मूर्ति अपने घर में किसी ऊँचे आसन पर पश्चिमाभिमुख स्थापित करें, ताकि आप पूर्वाभिमुख बैठकर पूजा कर सकें ।।
क्योंकि - सम्मुखे अर्थलाभश्च = सम्मुख बैठकर किसी भी देवता का पूजन करने से धन लाभ होता है ।।
अगर आपको केवल गणेश पूजन करना हो तो अन्य किसी देव प्रतिमा की आवश्यकता नहीं पड़ती । लेकिन अगर किसी अन्य देवी अथवा देवता का पूजन आपको करना हो तो गणेश जी के पूजन के बिना आप किसी की भी पूजा नहीं कर सकते । अत: सबसे उपर प्रधान देवता की स्थापना करें, तथा सामने उससे थोडा सा नीचे उच्चासन पर ही श्री गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें ।।
पूजन की किस वस्तु को किधर रखना चाहिये, इस बातका भी शास्त्र ने निर्देश दिया है । इसके अनुसार वस्तुओं को यथास्थान सजा देना चाहिये ।।
बायी ओर - सुवासित जल से भरा उदकुम्भ (जलपात्र) रखें, घंटा, धूपदानी (धुप या अगरबत्ती) तथा तेलका दीपक भी बायीं ओर ही रखे ।।
दायीं और - घृत का दीपक और सुवासित जलसे भरा शङ्ख ।।
सामने - कुङ्कुम (केसर) और कपूर के साथ घिसा गाढ़ा चन्दन, पुष्पादि तथा चन्दन किसी पात्र में सम्मुख ही रखें लेकिन ताम्रपात्रमें न रखे ।।
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।।। नारायण नारायण ।।।
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