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दुर्घटना, असाध्य रोग, मृत्युतुल्य कष्ट एवं एक्सीडेंट आदि से बचाव का आसन एवं सहज उपाय ।। Arisht Nashak Tips.

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz, Astro Classes, Silvassa.


मित्रों, संसार में सभी सुखी रहना चाहते हैं । सब चाहते हैं कि धन, पुत्र, सब प्रकार के सुख, ऐश्वर्य तथा सामाजिक प्रतिष्ठा भी बनी रहे । पर इस संसार में सबकुछ सभी को प्राप्त नहीं होता । किसी-किसी के पास रुपये तो बहुत हैं, लेकिन एक पाँव हॉस्पिटल में ही रहता है 
किसी को धन है तो पुत्र नहीं, किसी के पुत्र हैं तो खाने तक को पैसे नहीं हैं । किसी को पढने की इच्छा बहुत है लेकिन खर्चा नहीं है । कोई विदेश पढने को अपने बच्चों को भेजता है तो पता चलता है गोरी मेम के चक्कर में बेटा बर्बाद होकर लौटा है ।।


आज मैं आपलोगों को अपने घर सजाने एवं किस कोण पर क्या रखना चाहिए ताकि आनेवाले परेशानियों से आप बचें रहें । घर में कोई रोगी है तो उसके असाध्य रोग की भी निवृत्ति कौन से उपाय करके आप कर सकते हैं ।
 आपके बच्चों का पढने में मन क्या करने से लगेगा ? धन, संतान एवं हर प्रकार के सुख आपको मिलें और आप सुखी रहें, कुछ साधारण से उपाय करके, लेकिन क्या ये मैं आज आपलोगों को बताता हूँ ।।


मित्रों, सर्वप्रथम मैं आपलोगों को कुछ वास्तु शास्त्र के टिप्स बताता हूँ । वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण-पूर्व के कोर्नर को आग्नेय कोण कहा गया है अर्थात् अग्नि तत्व प्रधान कोण ।
 अब जैसा की आपको पता है की अग्नि एवं जल एक साथ नहीं रह सकते । इसलिए जब भी अग्नि कोण में पानी से सम्बन्धित कोई भी निर्माण कार्य होता है तो घर का वास्तु असंतुलित हो जाता है ।।


किसी भी घर, फैक्ट्री, ऑफिस अथवा किसी बंगलो में आपको उसके अग्नि कोण में जब भी जल से सम्बंधित निर्माण दिखे तो आप पता लगाना वहां लोगों को दुर्घटना, असाध्य रोग, मृत्युतुल्य कष्ट एवं एक्सीडेंट आदि जैसी परेशानियों का सामना समय-समय पर करना ही पड़ता होगा । अग्नि कोण में जब भी जमीन के अंदर पानी की टंकी, छत के उपर पानी की टंकी हो, सेप्टिक टेंक हो तो कोई न कोई दुर्घटना होती रहती होगी ।।

मित्रों, भूखण्ड अथवा निर्मित भवन का अग्नि कोण बढ़ा हो, अग्नि कोण में मुख्य शयन कक्ष हो, अग्नि कोण में पूजा स्थल हो, इस प्रकार का कोई भी दोष आपके निर्माण कार्य में हो तो अपने निर्माण को वास्तु शास्त्र के सिद्धान्तों के अनुसार आपको करवाना ही पड़ेगा अन्यथा ये सिलसिला रुकेगा नहीं ।।

हाँ कुछ उपाय अपनाकर इस प्रकार की परेशानियों को कम अवश्य किया जा सकता है । इसके लिए आप अपने घर, ऑफिस अथवा व्यापारिक प्रतिष्ठानों में प्रत्येक नवरात्रियों में कम से कम नवचंडी अवश्य करवाएं । अपनी निजी वाहन में दुर्घटना नाशक यंत्र जरुर लगायें । रूद्र के लिए किसी अच्छे वेदपाठी ब्राह्मण से रुद्राभिषेक सोम-प्रदोष अथवा शनि या मंगल का भी प्रदोष आये तो अवश्य करवाएं ।।

मित्रों, कई बार सुनने में आता है कि कोई अत्यंत बीमार हो गया है लेकिन सभी चिकित्सीय परिक्षण करवाने के बाद भी किसी बीमारी का कोई लक्षण पता नहीं चला ती ऐसे में ये हो सकता है कि जातक प्रेत बाधा से पीड़ित हो 

 ऐसी आशंका हो तो घर में प्रत्येक दिन गंगाजल का छिड़काव करें । हो सके तो हल्का दूध भी मिश्रित कर लें और हनुमान चालीसा के इस चौपाई का पाठ करते हुए छिड़काव करें - संकट कटे मिटे सब पीरा। जो सुमिरे हनुमत बलवीरा । ऐसा आपको लगातार 21 दिन तक प्रतिदिन सूर्यास्त के समय करना है ।।


अगर आपके घर में कोई किसी असाध्य रोग से पीड़ित है तो इन उपायों को आजमायें । वैसे तो सुन्दर काण्ड का पाठ जहाँ होता है वहां से सारे अभाव, पाप, रोग विकार स्वतःनष्ट हो जाता है । हाँ इसके लिए सिर्फ हमारे अन्दर पूर्ण श्रद्धा होनी चाहिए । इसलिए पहला उपाय तो आपको यही करना है, कि सुन्दरकाण्ड का पाठ अपने घर में पूर्ण श्रद्धा से करना है ।।

दूसरा किसी मंगलवार की अमावस्या अथवा प्रदोष को किसी स्वयम्भू शिव मन्दिर में जाएँ । वहां जो भी सामग्री हो आपके पास उसी से श्रद्धापूर्वक भगवान भोलेनाथ का पूजन करें । फिर मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति के स्वास्थ्य सुधर जाएँ इसके लिए संकल्प करके कम से कम तीन माला इस मन्त्र का जप करें ।।

मन्त्र - ॐ नम: शिवाय शंभवे असाध्य रोग हर हर स्वाहा । किसी भी मंगलवार की अमावस्या अथवा प्रदोष से शुरू करके आनेवाले अगले पाँच मंगलवार तक इस उपाय को करें । अवश्य ही असाध्य से असाध्य बीमारी भी दूर हो जाएगी ।
मृत्युतुल्य कष्ट से बचने के लिए इस सम्पुटित महामृत्युंजय मन्त्र का जप करना चाहिए । मन्त्र - ॐ ह्रौं ॐ जूं स: ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं । उर्वारुक मिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् । ॐ भूर्भुवः स्वरों ॐ जूं स: ह्रौं ॐ ।।


बच्चों के लिए पढ़ाई करने वाले घर को कैसा होना चाहिए इस विषय पर हमने पहले बहुत से वास्तु टिप्स लिखे हैं । आप हमारे ब्लॉग पर जाकर इस विषय को सर्च कर सकते हैं ।
 दूसरा श्रीनारदपुराण में लिखित सङ्कटनाशन गणेशस्तोत्र को लिखकर आठ ब्राह्मणों को दक्षिणा सहित दान करे तो महामूर्ख बालक भी कालिदास की तरह विद्वान् बन जाता है ।।


गणेश जी का पूजन करके इस मंत्र का जप करे - गणेश मंत्र - ॐ वक्रतुंडाय हूं ।। अथवा इस एकादशाक्षर सरस्वती मंत्र का भी जप करें तो बुद्धि का विकास होने लगता है, मन्त्र - ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः ।।

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।।। नारायण नारायण ।।।

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