हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, आइये आज आपलोगों को हम अष्टम भाव एवं अकस्मात मृत्यु के कुछ योगों के विषय में विस्तृत वर्णन करने का प्रयत्न करते हैं । इस विषय को अधिक-से-अधिक स्पष्ट करने का प्रयास तो हमारा रहेगा ही, साथ ही हम इसके शान्ति का भी उपाय बताएँगे । तो आइये चलते आज अपने प्रसंग की ओर जहाँ हमारा आज का विषय है, अकस्मात मृत्यु के कौन-कौन से योग हैं ?
विस्तार से हम इस विषय की व्याख्या की ओर चलें तथा ऐसी मृत्यु से बचाव के लिए किस प्रकार के उपाय सार्थक हो सकते हैं ? मानव शरीर में आत्मबल, बुद्धिबल, मनोबल, शारीरिक बल सदैव कार्य करते हैं । परन्तु कुण्डली में चन्द्र के क्षीण होने से मनुष्य का मनोबल कमजोर हो जाता है, विवेक काम नहीं करता और अनुचित अपघात जैसा पाप कर्म कर बैठता है ।।
जन्म कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति ही विचारों, दृष्टिकोण और सोच का निर्धारण करती है । यदि कुंडली में चन्द्रमा बली है तो मन को बल प्राप्त होता है । इसका तात्पर्य है कि व्यक्ति का मनोबल ऊंचा और दृढ़ है । मनोबल ही व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों से ल़डने की क्षमता देता है । अत: बली चन्द्रमा व्यक्ति को जुझारू बनाता है । उसे दृढ़ विश्वास होता है कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती । इसके विपरीत यदि जन्मकुण्डली में चन्द्रमा क्षीण या कमजोर हो तो यह व्यक्ति के कमजोर मनोबल का संकेत है ।।
अमावस्या से एकादशी के बीच तथा पूर्णिमा के आस-पास चन्द्र कलायें क्षीण होती एवं बढ़ती हैं इसिलिये ये इस प्रकार की घटनायें इस समय में करवाता हैं । तमोगुणी मंगल का अधिकार सिर, एक्सीडेन्ट, आगजनी, हिंसक घटनाओं पर होता है तो शनि का आधिपत्य मृत्यु, फांसी व वात सम्बन्धी रोगों पर होता है । छाया ग्रह राहु-केतु का प्रभाव आकस्मिक घटनाओं तथा पैंर, तलवों पर विशेष रहता है ।।
ग्रहों के दूषित प्रभाव से अल्पायु, दुर्घटना, आत्महत्या, आकस्मिक घटनाओं का जन्म होता है । आकस्मिक मृत्यु के स्थान की बात करें तो अगर कुण्डली में लग्न की महादशा हो और अन्तर्दशा लग्न के शत्रु ग्रह की हो तो मनुष्य की अकस्मात मृत्यु सम्भव होती है । छठे स्थान के स्वामी का सम्बन्ध अगर मंगल से हो तो अकस्मात आपरेशन से मृत्यु सम्भव है । लग्न से तृतीय स्थान में या कारक ग्रह से तृतीय स्थान में सूर्य हो तो राज्य के कारण मृत्यु होती है ।।
यदि शनि चर व चर राशि के नवांश में हो तो दूर देश में मृत्यु होती है । अष्टम भाव में स्थिर राशि हो उस राशि का स्वामी भी किसी स्थिर राशि में ही हो तो जन्म स्थल के आस-पास ही जातक की मृत्यु होती है । द्विस्वभाव राशि अष्टम स्थान में हो तथा उसका स्वामी भी किसी द्विस्वभाव राशि में ही हो तो रास्ते चलते ही जातक की मृत्यु होती है ।।
तीन ग्रह किसी एक राशि में ही बैठे हों तो जातक किसी पवित्र तीर्थ स्थल की यात्रा करते हुए अथवा गंगा आदि किसी पवित्र नदी के समीप मरता है । अष्टम भाव में गुरु चाहे किसी भी राशि में बैठा हो तो व्यक्ति की मृत्यु अत्यन्त बुरी हालत में होती है ।।
मित्रों, यदि क्षीण चन्द्रमा को कहीं राहु प्रभावित करे तो जातक हर बात को संदेह की दृष्टि से देखने लग जाता है । जीवन में कोई अच्छा अवसर प्राप्त हुआ तो उसे किन्तु-परन्तु में उलझ जाता है । ऐसा जातक सोचने में इतना अधिक समय ले लेता है, कि सारा अवसर ही हाथ से चला जाता है ।।
वैसे महाकवि कालीदास जी ने तो चन्द्रमा को हंसी-मजाक का कारक गृह बताया है । यद्यपि हास्य-विनोद बुध के विषय माने जाते हैं तथापि चन्द्रमा का इससे सम्बन्ध है । पक्ष और अन्य बलों से युक्त चन्द्रमा एक स्वस्थ मन और जिन्दादिल प्रकृति देते हैं । ऎसे व्यक्ति की सोच का दायरा संकुचित नहीं होता, बल्कि वो हास्य के मर्म को भलीभाँति समझता है ।।
मित्रों, चन्द्रमा एकमात्र ऐसा ग्रह हैं जिसकी किसी से दुश्मनी नहीं है । शुभ बली चन्द्रमा जब अपना यह गुण किसी व्यक्ति को देता हैं तो जातक में ऐसा व्यक्तित्व तैयार होता है जो खुले दिल से, बिना किसी इर्ष्या के किसी के भी गुण और प्रतिभा की प्रशंसा करता है । मल्टीनेशनल कंपनियों में जिस आपसी तालमेल की भावनाओं की आवश्यकता होती है, वह चंद्रमा ही दे सकता है ।।
पूर्वाग्रहों से मुक्त स्वस्थ सोच का व्यक्ति ही आपसी तालमेल की भावना के साथ काम कर सकता है । चंद्रमा का आधिपत्य रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र पर है । इन नक्षत्रों में जन्मे व्यक्ति दूसरों की मदद के लिए सदा तत्पर रहते हैं, जो आपसी तालमेल की भावना के लिए अति आवश्यक है । मन के कारक चंद्रमा ही दूसरे का मन पढ़ने की शक्ति देता है । दूसरे का दर्द समझने के लिए उसे सहने की आवश्यकता नहीं होती, सिर्फ महसूस करने की होती है ।।
चलिए मित्रों, बातें तो कभी समाप्त होने ही वाली नहीं है । परन्तु इस विषय में इतना ही नहीं है । ये तो इस विषय में हमारा पहला लेख है । अभी इसमें पाँच से सात लेख होंगे और हम उसे पूरा करने का पूर्ण प्रयत्न भी करेंगे । अभी राजनेता बनने के उपाय में भी एक दो लेख और बाकी है, उसे भी अभी पूर्ण करना है, वो भी हम शीघ्र ही करेंगे ।।
मित्रों, आइये आज आपलोगों को हम अष्टम भाव एवं अकस्मात मृत्यु के कुछ योगों के विषय में विस्तृत वर्णन करने का प्रयत्न करते हैं । इस विषय को अधिक-से-अधिक स्पष्ट करने का प्रयास तो हमारा रहेगा ही, साथ ही हम इसके शान्ति का भी उपाय बताएँगे । तो आइये चलते आज अपने प्रसंग की ओर जहाँ हमारा आज का विषय है, अकस्मात मृत्यु के कौन-कौन से योग हैं ?
विस्तार से हम इस विषय की व्याख्या की ओर चलें तथा ऐसी मृत्यु से बचाव के लिए किस प्रकार के उपाय सार्थक हो सकते हैं ? मानव शरीर में आत्मबल, बुद्धिबल, मनोबल, शारीरिक बल सदैव कार्य करते हैं । परन्तु कुण्डली में चन्द्र के क्षीण होने से मनुष्य का मनोबल कमजोर हो जाता है, विवेक काम नहीं करता और अनुचित अपघात जैसा पाप कर्म कर बैठता है ।।
जन्म कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति ही विचारों, दृष्टिकोण और सोच का निर्धारण करती है । यदि कुंडली में चन्द्रमा बली है तो मन को बल प्राप्त होता है । इसका तात्पर्य है कि व्यक्ति का मनोबल ऊंचा और दृढ़ है । मनोबल ही व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों से ल़डने की क्षमता देता है । अत: बली चन्द्रमा व्यक्ति को जुझारू बनाता है । उसे दृढ़ विश्वास होता है कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती । इसके विपरीत यदि जन्मकुण्डली में चन्द्रमा क्षीण या कमजोर हो तो यह व्यक्ति के कमजोर मनोबल का संकेत है ।।
अमावस्या से एकादशी के बीच तथा पूर्णिमा के आस-पास चन्द्र कलायें क्षीण होती एवं बढ़ती हैं इसिलिये ये इस प्रकार की घटनायें इस समय में करवाता हैं । तमोगुणी मंगल का अधिकार सिर, एक्सीडेन्ट, आगजनी, हिंसक घटनाओं पर होता है तो शनि का आधिपत्य मृत्यु, फांसी व वात सम्बन्धी रोगों पर होता है । छाया ग्रह राहु-केतु का प्रभाव आकस्मिक घटनाओं तथा पैंर, तलवों पर विशेष रहता है ।।
ग्रहों के दूषित प्रभाव से अल्पायु, दुर्घटना, आत्महत्या, आकस्मिक घटनाओं का जन्म होता है । आकस्मिक मृत्यु के स्थान की बात करें तो अगर कुण्डली में लग्न की महादशा हो और अन्तर्दशा लग्न के शत्रु ग्रह की हो तो मनुष्य की अकस्मात मृत्यु सम्भव होती है । छठे स्थान के स्वामी का सम्बन्ध अगर मंगल से हो तो अकस्मात आपरेशन से मृत्यु सम्भव है । लग्न से तृतीय स्थान में या कारक ग्रह से तृतीय स्थान में सूर्य हो तो राज्य के कारण मृत्यु होती है ।।
यदि शनि चर व चर राशि के नवांश में हो तो दूर देश में मृत्यु होती है । अष्टम भाव में स्थिर राशि हो उस राशि का स्वामी भी किसी स्थिर राशि में ही हो तो जन्म स्थल के आस-पास ही जातक की मृत्यु होती है । द्विस्वभाव राशि अष्टम स्थान में हो तथा उसका स्वामी भी किसी द्विस्वभाव राशि में ही हो तो रास्ते चलते ही जातक की मृत्यु होती है ।।
तीन ग्रह किसी एक राशि में ही बैठे हों तो जातक किसी पवित्र तीर्थ स्थल की यात्रा करते हुए अथवा गंगा आदि किसी पवित्र नदी के समीप मरता है । अष्टम भाव में गुरु चाहे किसी भी राशि में बैठा हो तो व्यक्ति की मृत्यु अत्यन्त बुरी हालत में होती है ।।
मित्रों, यदि क्षीण चन्द्रमा को कहीं राहु प्रभावित करे तो जातक हर बात को संदेह की दृष्टि से देखने लग जाता है । जीवन में कोई अच्छा अवसर प्राप्त हुआ तो उसे किन्तु-परन्तु में उलझ जाता है । ऐसा जातक सोचने में इतना अधिक समय ले लेता है, कि सारा अवसर ही हाथ से चला जाता है ।।
वैसे महाकवि कालीदास जी ने तो चन्द्रमा को हंसी-मजाक का कारक गृह बताया है । यद्यपि हास्य-विनोद बुध के विषय माने जाते हैं तथापि चन्द्रमा का इससे सम्बन्ध है । पक्ष और अन्य बलों से युक्त चन्द्रमा एक स्वस्थ मन और जिन्दादिल प्रकृति देते हैं । ऎसे व्यक्ति की सोच का दायरा संकुचित नहीं होता, बल्कि वो हास्य के मर्म को भलीभाँति समझता है ।।
मित्रों, चन्द्रमा एकमात्र ऐसा ग्रह हैं जिसकी किसी से दुश्मनी नहीं है । शुभ बली चन्द्रमा जब अपना यह गुण किसी व्यक्ति को देता हैं तो जातक में ऐसा व्यक्तित्व तैयार होता है जो खुले दिल से, बिना किसी इर्ष्या के किसी के भी गुण और प्रतिभा की प्रशंसा करता है । मल्टीनेशनल कंपनियों में जिस आपसी तालमेल की भावनाओं की आवश्यकता होती है, वह चंद्रमा ही दे सकता है ।।
पूर्वाग्रहों से मुक्त स्वस्थ सोच का व्यक्ति ही आपसी तालमेल की भावना के साथ काम कर सकता है । चंद्रमा का आधिपत्य रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र पर है । इन नक्षत्रों में जन्मे व्यक्ति दूसरों की मदद के लिए सदा तत्पर रहते हैं, जो आपसी तालमेल की भावना के लिए अति आवश्यक है । मन के कारक चंद्रमा ही दूसरे का मन पढ़ने की शक्ति देता है । दूसरे का दर्द समझने के लिए उसे सहने की आवश्यकता नहीं होती, सिर्फ महसूस करने की होती है ।।
चलिए मित्रों, बातें तो कभी समाप्त होने ही वाली नहीं है । परन्तु इस विषय में इतना ही नहीं है । ये तो इस विषय में हमारा पहला लेख है । अभी इसमें पाँच से सात लेख होंगे और हम उसे पूरा करने का पूर्ण प्रयत्न भी करेंगे । अभी राजनेता बनने के उपाय में भी एक दो लेख और बाकी है, उसे भी अभी पूर्ण करना है, वो भी हम शीघ्र ही करेंगे ।।
मित्रों, इस विडियो में अष्टम भाव के ६ श्लोकों का (श्लोक नम्बर १७२ से १७७ तक का) जिसमें जातक के मृत्यु एवं आयु के विषय में विस्तृत विवेचन किया गया है । कुण्डली का आठवाँ भाव जिससे आप अपनी आयु, आपके जीवन में होनेवाले घटनाओं-दुर्घटनाओं के विषय में जानिये इस विडियो टुटोरियल में - https://youtu.be/2vpuMykDlrgThank's & Regards. / Astro Classes, Silvassa.Balaji Veda, Vastu & Astro Classes,Silvassa.Office - Shop No.-04, Near Gayatri Mandir, Mandir Faliya, Amli, Silvassa. 396 230.
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