हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, ज्योतिषीय दृष्टि से राजनीति से संबंधित भाव मुख्यतया- लग्न, तृतीय, चतुर्थ, पंचम, षष्ठ, नवम्, दशम एवं एकादश हैं । लग्न व्यक्ति और व्यक्तित्व माना गया है, तृतीय भाव सेना, चतुर्थ भाव जनता, पंचम भाव राजसी ठाटबाट एवं मंत्री पद की योग्यता, षष्ठ भाव युद्ध एवं कर्म, नवम भाव भाग्य, दशम् भाव कार्य, व्यवसाय, राजनीति और एकादश लाभ भाव माना गया है ज्योतिष के अनुसार । दृढ़ व्यक्तित्व, जनमत संग्रह, पराक्रम, जनता का पूर्ण समर्थन, सफलता, धन और मंत्री पद की योग्यता । ये सभी गुण एक राजनेता बनने के लिए परमावश्यक विषय होता हैं ।।
साथ ही जब इन भावेशों का संबंध लाभ भाव से बनेगा तो ऐसे विशिष्ट ग्रहयोगों से युक्त कुंडली वाला जातक ‘‘एक सफल राजनेता’’ बनेगा ही । इसमें लेशमात्र भी संदेह नहीं है । मित्रों, राजनीति के क्षेत्र का ज्योतिषीय योग क्या होता है आइये इस विषय को देखें । मित्रों, मुख्य रूप से अपने-अपने में सूर्य एवं राहु पूर्ण बली होने चाहिए । दशमेश स्वगृही हो अथवा लग्न या चतुर्थ भाव में बली होकर बैठा होना चाहिए । दशम भाव में पंचमहापुरुष योग हो एवं लग्नेश भाग्य स्थान में बली हो तथा सूर्य का भी दशम भाव पर प्रभाव हो ।।
दूसरे एवं पंचम भाव में क्रमशः बली मंगल एवं बुध, शुक्र, शनि हों । तो कुण्डली में नीचत्व भंग योग इसमें सफल बनाता है । दूसरे एवं पंचम भाव में क्रमशः बली गुरु एवं शनि, राहु, मंगल हों । दोनों त्रिकोणेश एवं दोनों धनेश अष्टम या द्वादश भाव में हों । कुंडली में 2, 5 एवं 8 भाव में क्रमशः बली सूर्य, गुरु, शनि, राहु एवं मंगल हो । कुण्डली में भाव परिवर्तन हो तथा इनका सम्बन्ध केंद्र या त्रिकोण से हो तो सफल राजनेता बनाता है ।।
मित्रों, यदि दशमेश मंगल होकर 3, 4, 7 अथवा 10वें भाव में स्थित हो । यदि 1, 5, 9 एवं 10वें भाव में क्रमशः बलवान सूर्य, बृहस्पति, शनि एवं मंगल स्थित हों । यदि 1, 5, 9 एवं 10वें भाव के स्वामियों से दशमेश मंगल से किसी भी रूप में संबंध हो । मित्रों कुण्डली में दशम आजीविका भाव बलवान होना चाहिए । अर्थात् यह भाव किसी भी रूप में कमजोर नहीं होना चाहिए । दशम भाव में कोई भी ग्रह नीच का नहीं होना चाहिए, चाहे नीचत्व भंग ही क्यों न हो जाये तथा त्रिकेश दशम भाव में नहीं होने चाहियें ।।
जिस जातक की जन्मपत्री में तृतीय या चतुर्थ ग्रह बली हो अर्थात् उच्च, स्वगृही या मूल त्रिकोण में हो तो जातक मंत्री या राज्यपाल पद को प्राप्त कर इसमें सफल होता है । जिस जातक के 5 या 6 ग्रह बलवान हों अर्थात् उच्च, स्वगृही या मूल त्रिकोण में हों तो ऐसा जातक गरीब परिवार में जन्म लेने के बाद भी राज्य शासन के क्षेत्र में सफल होता है ।।
पाप ग्रह मंगल, शनि, सूर्य, राहु, केतु उच्च के होकर त्रिकोण भाव में स्थित हों । जब लग्न में गजकेसरी योग के साथ मंगल हो या इन तीनों में से दो ग्रह मेष राशि लग्न में हों । यदि पूर्णिमा या आस-पास का चंद्रमा, सिंह नवांश में हो और शुभ ग्रह केंद्र में हो । यदि कोई भी ग्रह नीच राशि में न हो या नीचत्व भंग हो तथा गुरु व चंद्र केंद्र में हों तथा इन्हें शुक्र देखता हो । यदि गुरु व शनि के लग्न हो अर्थात् धनु, मीन, मकर, कुंभ लग्न हों तथा मंगल उच्चस्थ हो एवं धनु राशि के 15 अंश तक सूर्य के साथ चन्द्रमा हो तो पूर्ण सफल राजनेता बनने के योग बनते हैं ।।
मित्रों, यदि सौम्य ग्रह अस्त न हो (बुध, गुरु, शुक्र, चंद्र) और नवम भाव में स्थित होकर मित्र ग्रहों से युक्त या दृष्ट हो तथा चंद्र पूर्ण बली होकर मीन राशि में स्थित हो एवं इसे मित्र ग्रह देखते हों । अग्नि तत्व के राशि लग्न में हों अर्थात् 1, 5, 9 लग्न हों तथा इसमें मंगल स्थित हो व मित्र ग्रह की दृष्टि हो । शनि दशम भाव में हो या दशमेश से संबंध बनाये तथा साथ में दशम भाव में मंगल भी हो । तो मित्रों, किसी भी कुण्डली में ग्रहों की ऐसी स्थिति किसी भी व्यक्ति सम्पूर्ण सफल राजनेता बनाती है ।।
मित्रों, कुछ और ऐसी ही स्थितियों का वर्णन हम अपने अगले लेख में करेंगे जो सम्पूर्ण रूप से एक सफल राजनेता बनाने में सहायक होते हैं । तथा कुछ ऐसे विशेष लग्नों का भी वर्णन करेंगे, ताकि आपको इस विषय में सम्पूर्ण एवं सटीक ज्ञान मिल सके । तो प्लीज मेरे इस फेसबुक के पेज को लाइक अवश्य करें ।।
आपके जन्म कुण्डली के द्वितीय भाव से जानने लायक कुछ महत्वपूर्ण बातें, आइये जानें इस विडियो टुटोरियल में. - https://youtu.be/2s3UQRcpXXQ
मित्रों, ज्योतिषीय दृष्टि से राजनीति से संबंधित भाव मुख्यतया- लग्न, तृतीय, चतुर्थ, पंचम, षष्ठ, नवम्, दशम एवं एकादश हैं । लग्न व्यक्ति और व्यक्तित्व माना गया है, तृतीय भाव सेना, चतुर्थ भाव जनता, पंचम भाव राजसी ठाटबाट एवं मंत्री पद की योग्यता, षष्ठ भाव युद्ध एवं कर्म, नवम भाव भाग्य, दशम् भाव कार्य, व्यवसाय, राजनीति और एकादश लाभ भाव माना गया है ज्योतिष के अनुसार । दृढ़ व्यक्तित्व, जनमत संग्रह, पराक्रम, जनता का पूर्ण समर्थन, सफलता, धन और मंत्री पद की योग्यता । ये सभी गुण एक राजनेता बनने के लिए परमावश्यक विषय होता हैं ।।
साथ ही जब इन भावेशों का संबंध लाभ भाव से बनेगा तो ऐसे विशिष्ट ग्रहयोगों से युक्त कुंडली वाला जातक ‘‘एक सफल राजनेता’’ बनेगा ही । इसमें लेशमात्र भी संदेह नहीं है । मित्रों, राजनीति के क्षेत्र का ज्योतिषीय योग क्या होता है आइये इस विषय को देखें । मित्रों, मुख्य रूप से अपने-अपने में सूर्य एवं राहु पूर्ण बली होने चाहिए । दशमेश स्वगृही हो अथवा लग्न या चतुर्थ भाव में बली होकर बैठा होना चाहिए । दशम भाव में पंचमहापुरुष योग हो एवं लग्नेश भाग्य स्थान में बली हो तथा सूर्य का भी दशम भाव पर प्रभाव हो ।।
दूसरे एवं पंचम भाव में क्रमशः बली मंगल एवं बुध, शुक्र, शनि हों । तो कुण्डली में नीचत्व भंग योग इसमें सफल बनाता है । दूसरे एवं पंचम भाव में क्रमशः बली गुरु एवं शनि, राहु, मंगल हों । दोनों त्रिकोणेश एवं दोनों धनेश अष्टम या द्वादश भाव में हों । कुंडली में 2, 5 एवं 8 भाव में क्रमशः बली सूर्य, गुरु, शनि, राहु एवं मंगल हो । कुण्डली में भाव परिवर्तन हो तथा इनका सम्बन्ध केंद्र या त्रिकोण से हो तो सफल राजनेता बनाता है ।।
मित्रों, यदि दशमेश मंगल होकर 3, 4, 7 अथवा 10वें भाव में स्थित हो । यदि 1, 5, 9 एवं 10वें भाव में क्रमशः बलवान सूर्य, बृहस्पति, शनि एवं मंगल स्थित हों । यदि 1, 5, 9 एवं 10वें भाव के स्वामियों से दशमेश मंगल से किसी भी रूप में संबंध हो । मित्रों कुण्डली में दशम आजीविका भाव बलवान होना चाहिए । अर्थात् यह भाव किसी भी रूप में कमजोर नहीं होना चाहिए । दशम भाव में कोई भी ग्रह नीच का नहीं होना चाहिए, चाहे नीचत्व भंग ही क्यों न हो जाये तथा त्रिकेश दशम भाव में नहीं होने चाहियें ।।
जिस जातक की जन्मपत्री में तृतीय या चतुर्थ ग्रह बली हो अर्थात् उच्च, स्वगृही या मूल त्रिकोण में हो तो जातक मंत्री या राज्यपाल पद को प्राप्त कर इसमें सफल होता है । जिस जातक के 5 या 6 ग्रह बलवान हों अर्थात् उच्च, स्वगृही या मूल त्रिकोण में हों तो ऐसा जातक गरीब परिवार में जन्म लेने के बाद भी राज्य शासन के क्षेत्र में सफल होता है ।।
पाप ग्रह मंगल, शनि, सूर्य, राहु, केतु उच्च के होकर त्रिकोण भाव में स्थित हों । जब लग्न में गजकेसरी योग के साथ मंगल हो या इन तीनों में से दो ग्रह मेष राशि लग्न में हों । यदि पूर्णिमा या आस-पास का चंद्रमा, सिंह नवांश में हो और शुभ ग्रह केंद्र में हो । यदि कोई भी ग्रह नीच राशि में न हो या नीचत्व भंग हो तथा गुरु व चंद्र केंद्र में हों तथा इन्हें शुक्र देखता हो । यदि गुरु व शनि के लग्न हो अर्थात् धनु, मीन, मकर, कुंभ लग्न हों तथा मंगल उच्चस्थ हो एवं धनु राशि के 15 अंश तक सूर्य के साथ चन्द्रमा हो तो पूर्ण सफल राजनेता बनने के योग बनते हैं ।।
मित्रों, यदि सौम्य ग्रह अस्त न हो (बुध, गुरु, शुक्र, चंद्र) और नवम भाव में स्थित होकर मित्र ग्रहों से युक्त या दृष्ट हो तथा चंद्र पूर्ण बली होकर मीन राशि में स्थित हो एवं इसे मित्र ग्रह देखते हों । अग्नि तत्व के राशि लग्न में हों अर्थात् 1, 5, 9 लग्न हों तथा इसमें मंगल स्थित हो व मित्र ग्रह की दृष्टि हो । शनि दशम भाव में हो या दशमेश से संबंध बनाये तथा साथ में दशम भाव में मंगल भी हो । तो मित्रों, किसी भी कुण्डली में ग्रहों की ऐसी स्थिति किसी भी व्यक्ति सम्पूर्ण सफल राजनेता बनाती है ।।
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