हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, वैसे तो मानव जीवन में सुख-दुःख लगा ही रहता है । इसका इलाज धैर्य, संयम और सत्कर्म ही है । परन्तु कभी-कभी न चाहते हुए भी इन्सान कुछ ऐसा कर बैठता है, जो शायद वो स्वयं भी करना नहीं चाहता है । कोई भी इन्सान ये नहीं चाहता की वो दु:खी हो परन्तु व्यक्ति दु:खी होता ही है ।।
व्यक्ति कभी-कभी किसी दु:ष्चक्र में पड़कर भी गलत इल्जाम में फँस जाता है । जहाँ उसे न तो कोई मदद करनेवाला होता है और ना ही दूसरा कोई विकल्प । सरकारी दु:ष्चक्र और कानूनी दावपेंच में फँसकर फांसी के द्वारा मृत्यु को प्राप्त हो जाता है । ।
मित्रों, द्वितीयेश और अष्टमेश राहु व केतु के साथ 6, 8, 12 वें भाव में हो, तथा बाकि के सारे ग्रह मेष, वृष, मिथुन राशि में हो तो किसी की इर्ष्या के वजह से व्यक्ति किसी के बहकावे में आकर गलत संगती से फाँसी चढ़ जाता है । चतुर्थ स्थान में शनि हो दशम भाव में क्षीण चन्द्रमा के साथ मंगल शनि बैठे हों अथवा अष्टम भाव बुध और शनि स्थित हो तो जातक की फांसी से मृत्यु होती है ।।
जन्मकुण्डली में यदि क्षीण चन्द्रमा किसी पाप ग्रह के साथ 9, 5, 11 वे भाव में बैठा हो अथवा शनि लग्न में हो और उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तथा सूर्य, राहु क्षीण चन्द्रमा युत हों तो जातक की गोली मारकर या छुरे से मृत्यु अथवा किसी घातक हथियार हत्या किया जाता है ।।
नवमांश कुण्डली के लग्न में सप्तमेश राहु अथवा केतु से युत होकर 6, 8, 12 वें भाव में स्थित हों तो जातक आत्महत्या करता है । चौथे या दसवें अथवा त्रिकोण भाव में अशुभ ग्रह हो या फिर अष्टमेश लग्न में मंगल से युत हो तो फांसी से मृत्यु होती है । क्षीण चन्द्रमा किसी पाप ग्रह के साथ पंचम या एकादश स्थान में हो तो ऐसे जातक को फाँसी दिया जाता है ।।
मित्रों, इस विडियो में नवम भाव के पहले ६ श्लोकों का (श्लोक नम्बर 190 से 194 तक का) जिसमें जातक के जीवन में पिता का स्थान उनका महत्त्व अपने भाग्य एवं जातक के पिता के भाग्य में विस्तृत विवेचन किया गया है ।।
कुण्डली का नवाँ भाव जिससे आप अपने भाग्य, पिता, अपने पिता से सम्बन्धों एवं पिता के मृत्यु के विषय में जान सकते हैं, तो जानिये इस विडियो टुटोरियल में - https://youtu.be/FH_wGa8gP6g
Thank's & Regards. / Astro Classes, Silvassa.
balajivedvidyalaya@gmail.com / +91-8690522111.
Balaji Veda, Vastu & Astro Classes, Silvassa.
www.astroclasses.com
Office - Shop No.-04, Near Gayatri Mandir,
मित्रों, वैसे तो मानव जीवन में सुख-दुःख लगा ही रहता है । इसका इलाज धैर्य, संयम और सत्कर्म ही है । परन्तु कभी-कभी न चाहते हुए भी इन्सान कुछ ऐसा कर बैठता है, जो शायद वो स्वयं भी करना नहीं चाहता है । कोई भी इन्सान ये नहीं चाहता की वो दु:खी हो परन्तु व्यक्ति दु:खी होता ही है ।।
व्यक्ति कभी-कभी किसी दु:ष्चक्र में पड़कर भी गलत इल्जाम में फँस जाता है । जहाँ उसे न तो कोई मदद करनेवाला होता है और ना ही दूसरा कोई विकल्प । सरकारी दु:ष्चक्र और कानूनी दावपेंच में फँसकर फांसी के द्वारा मृत्यु को प्राप्त हो जाता है । ।
मित्रों, द्वितीयेश और अष्टमेश राहु व केतु के साथ 6, 8, 12 वें भाव में हो, तथा बाकि के सारे ग्रह मेष, वृष, मिथुन राशि में हो तो किसी की इर्ष्या के वजह से व्यक्ति किसी के बहकावे में आकर गलत संगती से फाँसी चढ़ जाता है । चतुर्थ स्थान में शनि हो दशम भाव में क्षीण चन्द्रमा के साथ मंगल शनि बैठे हों अथवा अष्टम भाव बुध और शनि स्थित हो तो जातक की फांसी से मृत्यु होती है ।।
जन्मकुण्डली में यदि क्षीण चन्द्रमा किसी पाप ग्रह के साथ 9, 5, 11 वे भाव में बैठा हो अथवा शनि लग्न में हो और उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तथा सूर्य, राहु क्षीण चन्द्रमा युत हों तो जातक की गोली मारकर या छुरे से मृत्यु अथवा किसी घातक हथियार हत्या किया जाता है ।।
नवमांश कुण्डली के लग्न में सप्तमेश राहु अथवा केतु से युत होकर 6, 8, 12 वें भाव में स्थित हों तो जातक आत्महत्या करता है । चौथे या दसवें अथवा त्रिकोण भाव में अशुभ ग्रह हो या फिर अष्टमेश लग्न में मंगल से युत हो तो फांसी से मृत्यु होती है । क्षीण चन्द्रमा किसी पाप ग्रह के साथ पंचम या एकादश स्थान में हो तो ऐसे जातक को फाँसी दिया जाता है ।।
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कुण्डली का नवाँ भाव जिससे आप अपने भाग्य, पिता, अपने पिता से सम्बन्धों एवं पिता के मृत्यु के विषय में जान सकते हैं, तो जानिये इस विडियो टुटोरियल में - https://youtu.be/FH_wGa8gP6g
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