शादी की सालगिरा वाली तिथि को इन वस्त्रों में एक जोड़ा लवंग डाल दें । ये काम आपको प्रतिवर्ष इसी दिन करना है । इस प्रयोग से आपके विवाह संबंधों में बढ़ती दूरियाँ तो कम होंगी ही, साथ ही आपका पति चाहकर भी किसी परायी औरत के साथ किसी भी प्रकार का गलत सम्बन्ध नहीं बना पायेगा ।।
आप इस प्रयोग को अपने शादी की सालगिरह से शुरू करके हर वर्ष करें । आपको आपके जीवन में इस विषय को लेकर कोई चिंता फिर करने की आवश्यकता नहीं रह जाएगी । अगर ऐसा कुछ आपके पति के जीवन में होगा भी तो उनका ध्यान बिलकुल उधर जायेगा ही नहीं, बल्कि हमेशा के लिये इस प्रकार के आचरणों से विरक्ति सी हो जाएगी ।।
जिन कुँवारी लड़कियों के विवाह में बिलम्ब हो रहा हो, शादी में अड़चने आ रही हो । फिर चाहे किसी भी कारणवश ऐसा हो, किसी भी प्रकार की समस्या क्यों न हो । कन्या का विवाह बिना किसी रूकावट के शीघ्र ही हो जाय इसके लिये इस आसन से टोटके को करें । करना ये है, कि किसी भी प्रतिष्ठित शिवलिंग पर गौमुखी शंख से 21 बार “ॐ नम: शिवाय” इस मन्त्र का उच्चारण करते हुए जल चढ़ाना है ।।
ये जल अर्घ्य देने की मुद्रा में शिवलिंग पर चढ़ाना है । अन्तिम जल की धारा न देकर कन्या को स्वयं उस जल को ग्रहण करना है । इसके बाद भगवान शिव की सिर्फ एक और वो भी उल्टी परिक्रमा करनी है । ये टोटका केवल कुँवारी कन्याओं के लिये है । इस टोटके को सप्ताह में सिर्फ एक दिन “सोमवार” को करना है । इसके करने मात्र से बड़ी-से-बड़ी मुश्किल आसान हो जायेगी और विपरीत परिस्थितियों में भी विवाह शीघ्रातिशीघ्र हो जायेगा वो भी आसानी से ।।
मित्रों, जिनका दाम्पत्य जीवन सुखी नहीं है, आपसी कलह के वजह से घर में नित्य ही नयी-नयी परेशानियों का आगमन होते रहता है । इतना ही नहीं घर के झगड़े के वजह से तलाक एवं आत्महत्या जैसी परिस्थितियाँ बन जाती है । तो आप ये आसान सा टोटका करके अपने लिये अपनी जिन्दगी में नयी सुबह की शुरुआत कर सकते हैं ।।
आप अगर अपने दैनिक जीवन में होनेवाले पति-पत्नी के झगड़ों को शान्त करना चाहते हैं तो एक न्र-मादा सियार-सिंगी का जोड़ा एक स्टील की डब्बी में रखें सबकुछ अतिशीघ्र ही सामान्य हो जायेगा ।।
(सियार-सिंगी क्या है - सामान्तया इसे गीदड़-सिंगी अथवा सियार सिंगी कहते है । सियार एक वनचर जीव होता है । इसके सिर पर एक गांठ होती है । यह गांठ सभी सियारों के सिर पर न होकर किसी-किसी सियार के ही सिर पर पायी जाती है । शिकारी लोग ऐसे सियार को पहचान कर मार डालते है । उसका सिंग (सियार सिंगी) प्राप्त कर लेते है । आकर में ये छोटी बड़ी, चपटी – गोल किसी भी तरह कि हो सकती है । मगर आँवले से ज्यादा बड़ी नहीं होती है ।।)
मित्रों, इस विडियो में जन्मकुण्डली के दशम भाव में वर्णित कर्म योग एवं कर्म हीन योग जो वृहत्पाराषर होराशास्त्र के नवम भाव फलाध्याय ८ श्लोकों (श्लोक नम्बर 213 से 220 तक) में वर्णित है । तो आइये जानें कर्म योग एवं कर्म हीन योग के विषय में विस्तृत रूप से इस विडियो टुटोरियल में - https://youtu.be/upSNEAhWyY4
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