माँ महालक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्ति का सरल और सहज उपाय ।। Simple way to achieve the full blessings of Mahalakshmi.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, व्यापार में सम्पूर्ण सफलता के लिये परिश्रम, बुद्धिमानी के साथ ही साथ माँ महालक्ष्मी की पूर्ण प्रशन्नता अत्यावश्यक होता है । आज मैं आपलोगों को माँ महालक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्ति का सरल और सहज उपाय बताता हूँ । मित्रों, ग्रहों की विपरीत दशा में भी सक्सेस एवं हर प्रकार के शुभ फल प्राप्ति कर सकते हैं ।।
अथ श्रीमहालक्ष्मी कवचम् ।। Shri Mahalakshmi Kavacham.
श्री गणेशाय नमः ।।
अस्य श्रीमहालक्ष्मीकवचमन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषिः गायत्री छन्दः
महालक्ष्मीर्देवता महालक्ष्मीप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ।
इन्द्र उवाच । समस्तकवचानां तु तेजस्वि कवचोत्तमम् ।
आत्मरक्षणमारोग्यं सत्यं त्वं ब्रूहि गीष्पते ॥१॥
श्रीगुरुरुवाच । महालक्ष्म्यास्तु कवचं प्रवक्ष्यामि समासतः ।
चतुर्दशसु लोकेषु रहस्यं ब्रह्मणोदितम् ॥२॥
ब्रह्मोवाच । शिरो मे विष्णुपत्नी च ललाटममृतोद्भवा ।
चक्षुषी सुविशालाक्षी श्रवणे सागराम्बुजा ॥३॥
घ्राणं पातु वरारोहा जिह्वामाम्नायरूपिणी ।
मुखं पातु महालक्ष्मीः कण्ठं वैकुण्ठवासिनी ॥४॥
स्कन्धौ मे जानकी पातु भुजौ भार्गवनन्दिनी ।
बाहू द्वौ द्रविणी पातु करौ हरिवराङ्गना ॥५॥
वक्षः पातु च श्रीर्देवी हृदयं हरिसुन्दरी ।
कुक्षिं च वैष्णवी पातु नाभिं भुवनमातृका ॥६॥
कटिं च पातु वाराही सक्थिनी देवदेवता ।
ऊरू नारायणी पातु जानुनी चन्द्रसोदरी ॥७॥
इन्दिरा पातु जङ्घे मे पादौ भक्तनमस्कृता ।
नखान् तेजस्विनी पातु सर्वाङ्गं करूणामयी ॥८॥
ब्रह्मणा लोकरक्षार्थं निर्मितं कवचं श्रियः ।
ये पठन्ति महात्मानस्ते च धन्या जगत्त्रये ॥९॥
कवचेनावृताङ्गनां जनानां जयदा सदा ।
मातेव सर्वसुखदा भव त्वममरेश्वरी ॥१०॥
भूयः सिद्धिमवाप्नोति पूर्वोक्तं ब्रह्मणा स्वयम् ।
लक्ष्मीर्हरिप्रिया पद्मा एतन्नामत्रयं स्मरन् ॥११॥
नामत्रयमिदं जप्त्वा स याति परमां श्रियम् ।
यः पठेत्स च धर्मात्मा सर्वान्कामानवाप्नुयात् ॥१२॥
।। इति श्रीब्रह्मपुराणे इन्द्रोपदिष्टं महालक्ष्मीकवचं सम्पूर्णम् ।।
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वास्तु विजिटिंग के लिये तथा अपनी कुण्डली दिखाकर उचित सलाह लेने एवं अपनी कुण्डली बनवाने अथवा किसी विशिष्ट मनोकामना की पूर्ति के लिए संपर्क करें ।।
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किसी भी तरह के पूजा-पाठ, विधी-विधान, ग्रह दोष शान्ति आदि के लिए तथा बड़े से बड़े अनुष्ठान हेतु योग्य एवं विद्वान् ब्राह्मण हमारे यहाँ उपलब्ध हैं ।।
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संपर्क करें:- बालाजी ज्योतिष केंद्र, गायत्री मंदिर के बाजु में, मेन रोड़, मन्दिर फलिया, आमली, सिलवासा ।।
WhatsAap+ Viber+Tango & Call: +91 - 8690 522 111.
E-Mail :: astroclassess@gmail.com
Website :: www.astroclasses.com
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।।। नारायण नारायण ।।।
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अथ श्रीमहालक्ष्मी कवचम् ।। Shri Mahalakshmi Kavacham.
श्री गणेशाय नमः ।।
अस्य श्रीमहालक्ष्मीकवचमन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषिः गायत्री छन्दः
महालक्ष्मीर्देवता महालक्ष्मीप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ।
इन्द्र उवाच । समस्तकवचानां तु तेजस्वि कवचोत्तमम् ।
आत्मरक्षणमारोग्यं सत्यं त्वं ब्रूहि गीष्पते ॥१॥
श्रीगुरुरुवाच । महालक्ष्म्यास्तु कवचं प्रवक्ष्यामि समासतः ।
चतुर्दशसु लोकेषु रहस्यं ब्रह्मणोदितम् ॥२॥
ब्रह्मोवाच । शिरो मे विष्णुपत्नी च ललाटममृतोद्भवा ।
चक्षुषी सुविशालाक्षी श्रवणे सागराम्बुजा ॥३॥
घ्राणं पातु वरारोहा जिह्वामाम्नायरूपिणी ।
मुखं पातु महालक्ष्मीः कण्ठं वैकुण्ठवासिनी ॥४॥
स्कन्धौ मे जानकी पातु भुजौ भार्गवनन्दिनी ।
बाहू द्वौ द्रविणी पातु करौ हरिवराङ्गना ॥५॥
वक्षः पातु च श्रीर्देवी हृदयं हरिसुन्दरी ।
कुक्षिं च वैष्णवी पातु नाभिं भुवनमातृका ॥६॥
कटिं च पातु वाराही सक्थिनी देवदेवता ।
ऊरू नारायणी पातु जानुनी चन्द्रसोदरी ॥७॥
इन्दिरा पातु जङ्घे मे पादौ भक्तनमस्कृता ।
नखान् तेजस्विनी पातु सर्वाङ्गं करूणामयी ॥८॥
ब्रह्मणा लोकरक्षार्थं निर्मितं कवचं श्रियः ।
ये पठन्ति महात्मानस्ते च धन्या जगत्त्रये ॥९॥
कवचेनावृताङ्गनां जनानां जयदा सदा ।
मातेव सर्वसुखदा भव त्वममरेश्वरी ॥१०॥
भूयः सिद्धिमवाप्नोति पूर्वोक्तं ब्रह्मणा स्वयम् ।
लक्ष्मीर्हरिप्रिया पद्मा एतन्नामत्रयं स्मरन् ॥११॥
नामत्रयमिदं जप्त्वा स याति परमां श्रियम् ।
यः पठेत्स च धर्मात्मा सर्वान्कामानवाप्नुयात् ॥१२॥
।। इति श्रीब्रह्मपुराणे इन्द्रोपदिष्टं महालक्ष्मीकवचं सम्पूर्णम् ।।
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।।। नारायण नारायण ।।।
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