हैल्लो फ्रेंड्सzzzzz.
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मित्रों, शनिवार को हमारे एक अत्यंत प्रिय मित्र ने अचानक से हम बिलकुल कुछ अलग ही सोंच रहे थे, कि उन्होंने पूछ लिया कि महाराज जी घर अथवा फ्लैट में गृह स्वामी का शयन कक्ष (मास्टर बेडरूम) कहाँ और कैसा होना चाहिए ?
अब मुझे याद भी नहीं कि मैंने उनको कौन सी दिशा बताई है । पर कोई बात नहीं आज अचानक बैठा था, तो वही बात याद आ गयी तो हमने सोंचा चलो आज इसी विषय को उठाते हैं ।।
अब आठ बजे ऑफिस से आया और रास्ते में आते-आते यही सोंच रहा था । लेकिन किसी विषय को सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत करने के लिए बहुत तरीके की बातें लिखनी पड़ती है, सो आता बजे से ग्यारह बज गए ।।
चलो कोई बात नहीं आखिर लेख पूरा हो ही गया और अब आपलोगों कि सेवा में इसे प्रस्तुत कर रहा हूँ ।। मित्रों, निद्रा मनुष्य का एक अतिआवश्यक विषय हैं ।।
निद्रा मनुष्य को सुकुन एवं ताजगी प्रदान करता हैं । यदि मनुष्य ठीक प्रकार से नहीं सो पाता तो उसे अनेक प्रकार के रोग घेर लेते हैं और वह कार्य करने में अपनी पुरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पाता हैं ।।
अत: गृहस्वामी का शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम कोण में अथवा दक्षिण दिशा में होना चाहिए । घर के प्रधान सदस्य या गृहस्वामी के सोने के कमरे को मास्टर बेडरूम कहते हैं ।।
इसका आकार, साज-सज्जा, स्थान कहाँ और कैसा हो । इस विषय पर आज आइये हम और आप मिलकर विचार करें वास्तु शास्त्र के अनुसार ।।
१.भवन के साउथ वेस्ट के कमरों को मास्टर बेडरूम कहते हैं । घर का मालिक (गृहस्वामी) टाप फ्लोर के साउथ वेस्ट में रहने चाहियें । मास्टर बेडरूम का आकार आयताकार होना चाहिए । रुम के अन्दर अटैच बाथरूम होना चाहिए जिसे नार्थ-वेस्ट में होना चाहिए ।।
२.बेडरूम दो दिशाओं से खुला होना चाहिए, मुख्य द्वार नार्थ-ईस्ट में होन चाहिए तथा रूम के साउथ-वेस्ट के कोने में कोई विन्डो नहीं होनी चाहिए ।।
मास्टर बैडरूम के साउथ-वेस्ट में लॉकर/तिजोरी होनी चाहिए । तिजोरी कभी भी लकड़ी के पाये पर ही होनी चाहिये । तिजोरी का मुँह पूर्व या उत्तर में होना चाहिए ।।
३.बेड साउथ साइड की वाल से लगा होना चाहिये । बेड का ज्यादा हिस्सा साउथ वेस्ट की तरफ ही होना चाहिये । सोते समय सिर साउथ में व पैर नार्थ में होने चाहिए ।।
बेडरूम की सींलिंग में अगर कोई बीम बेड के बीच आ रहा हो तो POP के माध्यम से एक समान सीलिंग बनवा लेनी चाहिये जो देखने में आँखों को सुन्दर लगे ।।
४.मित्रों, एक बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए कि मास्टर बेडरूम को कभी भी पूरा फर्नीचर से नहीं भरना चाहिये । बहुत ही हल्का फर्नीचर जो कम स्थान घेरे ज्यादा से ज्यादा जगह खाली रहे ऐसा बनवाना चाहिए ।।
फर्नीचर जो भी बनवाएं उसमें ध्यान रखें कि आपके फर्नीचर से कोई गोलाई का आकार तैयार न हो । अगर सुन्दरता के लिए काम में ले तो उसका उपयोग कम से कम करें ।।
बेड के सामने ड्रेसिंग टेबल व टी.वी. नहीं होनी चाहिए । ड्रेसिंग टेबल रहने से रूम में कोई तीसरे आदमी की उपस्थिति का आभास होते रहता हैं । इससे ऊर्जा का ह्रास एवं नींद में विघ्न आता हैं । अगर लगाना पड़े तो मोटे कार्टून से सदैव बन्द करके रखें ।।
५.ऑफिस का बैग तथा फाईलें शयन कक्ष में कदापि न रखें । इससे रूम का वातावरण ऑफिस की तरह तनावपूर्ण हो जाता हैं तथा निद्रा में विघ्न पैदा करता हैं ।।
रूम में किसी भी देवी-देवता एवं भगवान का चित्र नहीं लगाना चाहिए । पलंग के सामने अपने संयुक्त परिवार का चित्र लगा सकते हैं ।।
इसके अलावा बेडरूम के फर्श का टाईल्स चमकदार नहीं होना चाहिए । इसलिए मार्बल न लगायें यदि लगा हो तो उस पर कार्पेट लगा देना चाहिए ।।
दीवारों पर लाइट कलर व रफ फिनिशिंग हो तो अति ही उत्तम रहेगा । शयन कक्ष में एक से अधिक द्वार अशुभ फलदायी होते हैं । शयन कक्ष में दर्पण भी नहीं रखना चाहिए तथा आपके पलंग में भी दर्पण न लगवायें ।।
अगर आपको लगे कि दर्पण रखना जरूरी है तो उत्तर तथा पूर्वी दीवार पर दर्पण इस तरह से लगवाएं कि जब आप पलंग पर बैठें तो आप दर्पण में न दिखें ।।
शयनकक्ष में टीवी रखना भी वर्जित है । शयन कक्ष में लकड़ी का बना पलंग अच्छा रहता हैं । शयनकक्ष में किसी भी प्रकार के झूठे बर्तन नहीं रखने चाहिए इससे गृह स्वामिनी का स्वास्थ्य खराब होता हैं ।।
धन की कमी होने लगती हैं तथा परिवार में रोग उत्पन्न होते हैं । कभी भी शयन कक्ष में फाउंटेन तथा मछली को भी नहीं रखना चाहिए । इससे वैवाहिक संबन्ध बिगड़ने डर होता हैं ।।
शयन कक्ष के दक्षिण-पश्चिम कोने पर क्रिस्टल बॉल या क्रिस्टल के बड़े टुकड़े रख सकते हैं । वास्तु शास्त्र के अनुसार जल तत्व से संबन्धित कोई भी चीज शयन कक्ष में न रखें ।।
जल तत्व के होने से पति-पत्नी में तलाक तक की नौबत आ सकती हैं । शयन कक्ष एक ऐसा स्थान हैं, जिसे हर व्यक्ति पूर्णतः आरामदायक बनवाना चाहता हैं, क्योकिं यह क्षेत्र पृथ्वी तत्व प्रधान क्षेत्र हैं ।।
इस कारण शयन कक्ष में भी इस तत्व का प्रभाव भी नजर आता हैं । जिससे व्यक्ति को बार-बार मकान बदलने कि नौबत नहीं आती अर्थात् मकान बिकता नहीं है व्यक्ति कभी बेघर नहीं होता ।।
मित्रों, ये तो सर्वविदित है, फिर भी आपलोगों को बता दूँ, कि विद्या या ज्ञान प्राप्ति के लिए पूर्व दिशा में सर रखकर तथा धन प्राप्ति के लिए दक्षिण में सिर करके सोना चाहिए ।।
उत्तर की ओर कभी भी सिर करके नहीं सोना चाहिए क्योंकि इस ओर सिर करके सोने से आपकी नींद भी पूरी नहीं होगी तथा स्वास्थ्य भी गड़बड़ रहेगा ।।
क्योंकि दक्षिण दिशा में ऋणात्मक (दक्षिण घ्रुव) चुम्बकीय तत्व हैं । जबकि उत्तर दिशा में धनात्मक (उत्तर घ्रुव) तत्व हैं । हमारे सिर में धनात्मक व पैर में ऋणात्मक तत्व हैं.....
इसलिए यदि हम पैर दक्षिण की ओर करेंगे तो दोनों का ही तत्व ऋणात्मक होने के कारण चुम्बकीय तरंग चक्र पूरा नहीं होगा तथा जिसका बुरा असर हमारे शरीर पर पड़ेगा.....
जिससे हमारीं नींद में भी तकलीफ होगा तथा हमारा स्वभाव भी चिड़चिडा हो जायेगा । शयन कक्ष में कभी भी आईना नहीं लगाना चाहिए यहां का दरवाजा भी एक तरफा होना चाहिए......
यदि घर में कोई ऐसी कन्या हो जिसके विवाह में बाधा आ रही हो तो उसको वायव्य कोण में सुलाना चाहिए क्योकि यह क्षेत्र वायु का हैं जिसके कारण इस क्षेत्र का उपयोगकर्ता अधिक समय तक यहां नहीं रह पाता हैं ।।
और मुझे लगता है, कि इसी करण से घर में मेहमानों को भी इसी दिशा में सुलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है । नवविवाहित जोड़ों को ईशान कोण में नहीं सोना चाहिए ।।
क्योकिं यह क्षेत्र ईश्वरीय क्षेत्र होने के कारण उनके इस क्षेत्र में संभोग करने से जो संतान होगी वह विकलांग हो सकती है । मुख्य द्वार की ओर सोते समय पैर करने से भी बचना चाहिए ।।
शयन कक्ष में पलंग के ठीक उपर छत में कोई बीम नहीं होना चाहिए । दरवाजे के ठीक सामने भी पलंग नहीं होना चाहिए । शयन कक्ष में हल्की रोशनी की व्यवस्था होनी चाहिए ।।
वयस्कों के लिए पश्चिम दिशा का शयन कक्ष उत्तम माना गया हैं । बच्चों के लिए पूर्व दिशा का शयन कक्ष उचित माना जाता हैं ।।
शयन कक्ष में कभी भूलकर भी झाडू नहीं रखनी चाहिए । शयन कक्ष में तेल का कनस्तर अथवा अंगीठी आदि नहीं रखने चाहिए इनके कारण बुरे स्वप्न, व्यर्थ की चिंता, कलह व रोग आदि होते हैं ।।
शयन कक्ष में बैठकर नशीले पदार्थो का सेवन कदापि नहीं करना चाहिए । इससे स्वास्थ्य पर तो बुरा असर पड़ता ही है, व्यापार, धन आदि पर बुरा प्रभाव पडता हैं ।।
बेडरूम में नशा करने से हमेशा किसी न किसी बात की कमी लगी ही रहती हैं । शयन कक्ष में रंग का चयन अपनी राशि, लग्न और द्वादश भाव में जो भी बलवान ग्रह हो......
उसके अनुसार करें तो प्रायः शुभ होगा परन्तु एकदम काला या लाल रंग नहीं रखना चाहिए । शयनकक्ष में पूर्वजों की तस्वीरें भी नहीं लगानी चाहिए ।।
यहां केवल सौम्य प्रतिमा या कृत्रिम फूल पत्तियों का होना सुखद एवं शांतिपूर्ण निद्रा का परिचायक होता है अथवा माना गया हैं । शयन कक्ष के निर्माण के सम्बन्ध में.......
यदि हम उपरोक्त वर्णित वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करें तो निश्चित ही हमारे जीवन में सुख और शान्ति का सुखद वातावरण सदैव ही बना रहेगा ।।
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।।। नारायण नारायण ।।।
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मित्रों, शनिवार को हमारे एक अत्यंत प्रिय मित्र ने अचानक से हम बिलकुल कुछ अलग ही सोंच रहे थे, कि उन्होंने पूछ लिया कि महाराज जी घर अथवा फ्लैट में गृह स्वामी का शयन कक्ष (मास्टर बेडरूम) कहाँ और कैसा होना चाहिए ?
अब मुझे याद भी नहीं कि मैंने उनको कौन सी दिशा बताई है । पर कोई बात नहीं आज अचानक बैठा था, तो वही बात याद आ गयी तो हमने सोंचा चलो आज इसी विषय को उठाते हैं ।।
अब आठ बजे ऑफिस से आया और रास्ते में आते-आते यही सोंच रहा था । लेकिन किसी विषय को सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत करने के लिए बहुत तरीके की बातें लिखनी पड़ती है, सो आता बजे से ग्यारह बज गए ।।
चलो कोई बात नहीं आखिर लेख पूरा हो ही गया और अब आपलोगों कि सेवा में इसे प्रस्तुत कर रहा हूँ ।। मित्रों, निद्रा मनुष्य का एक अतिआवश्यक विषय हैं ।।
निद्रा मनुष्य को सुकुन एवं ताजगी प्रदान करता हैं । यदि मनुष्य ठीक प्रकार से नहीं सो पाता तो उसे अनेक प्रकार के रोग घेर लेते हैं और वह कार्य करने में अपनी पुरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पाता हैं ।।
अत: गृहस्वामी का शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम कोण में अथवा दक्षिण दिशा में होना चाहिए । घर के प्रधान सदस्य या गृहस्वामी के सोने के कमरे को मास्टर बेडरूम कहते हैं ।।
इसका आकार, साज-सज्जा, स्थान कहाँ और कैसा हो । इस विषय पर आज आइये हम और आप मिलकर विचार करें वास्तु शास्त्र के अनुसार ।।
१.भवन के साउथ वेस्ट के कमरों को मास्टर बेडरूम कहते हैं । घर का मालिक (गृहस्वामी) टाप फ्लोर के साउथ वेस्ट में रहने चाहियें । मास्टर बेडरूम का आकार आयताकार होना चाहिए । रुम के अन्दर अटैच बाथरूम होना चाहिए जिसे नार्थ-वेस्ट में होना चाहिए ।।
२.बेडरूम दो दिशाओं से खुला होना चाहिए, मुख्य द्वार नार्थ-ईस्ट में होन चाहिए तथा रूम के साउथ-वेस्ट के कोने में कोई विन्डो नहीं होनी चाहिए ।।
मास्टर बैडरूम के साउथ-वेस्ट में लॉकर/तिजोरी होनी चाहिए । तिजोरी कभी भी लकड़ी के पाये पर ही होनी चाहिये । तिजोरी का मुँह पूर्व या उत्तर में होना चाहिए ।।
३.बेड साउथ साइड की वाल से लगा होना चाहिये । बेड का ज्यादा हिस्सा साउथ वेस्ट की तरफ ही होना चाहिये । सोते समय सिर साउथ में व पैर नार्थ में होने चाहिए ।।
बेडरूम की सींलिंग में अगर कोई बीम बेड के बीच आ रहा हो तो POP के माध्यम से एक समान सीलिंग बनवा लेनी चाहिये जो देखने में आँखों को सुन्दर लगे ।।
४.मित्रों, एक बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए कि मास्टर बेडरूम को कभी भी पूरा फर्नीचर से नहीं भरना चाहिये । बहुत ही हल्का फर्नीचर जो कम स्थान घेरे ज्यादा से ज्यादा जगह खाली रहे ऐसा बनवाना चाहिए ।।
फर्नीचर जो भी बनवाएं उसमें ध्यान रखें कि आपके फर्नीचर से कोई गोलाई का आकार तैयार न हो । अगर सुन्दरता के लिए काम में ले तो उसका उपयोग कम से कम करें ।।
बेड के सामने ड्रेसिंग टेबल व टी.वी. नहीं होनी चाहिए । ड्रेसिंग टेबल रहने से रूम में कोई तीसरे आदमी की उपस्थिति का आभास होते रहता हैं । इससे ऊर्जा का ह्रास एवं नींद में विघ्न आता हैं । अगर लगाना पड़े तो मोटे कार्टून से सदैव बन्द करके रखें ।।
५.ऑफिस का बैग तथा फाईलें शयन कक्ष में कदापि न रखें । इससे रूम का वातावरण ऑफिस की तरह तनावपूर्ण हो जाता हैं तथा निद्रा में विघ्न पैदा करता हैं ।।
रूम में किसी भी देवी-देवता एवं भगवान का चित्र नहीं लगाना चाहिए । पलंग के सामने अपने संयुक्त परिवार का चित्र लगा सकते हैं ।।
इसके अलावा बेडरूम के फर्श का टाईल्स चमकदार नहीं होना चाहिए । इसलिए मार्बल न लगायें यदि लगा हो तो उस पर कार्पेट लगा देना चाहिए ।।
दीवारों पर लाइट कलर व रफ फिनिशिंग हो तो अति ही उत्तम रहेगा । शयन कक्ष में एक से अधिक द्वार अशुभ फलदायी होते हैं । शयन कक्ष में दर्पण भी नहीं रखना चाहिए तथा आपके पलंग में भी दर्पण न लगवायें ।।
अगर आपको लगे कि दर्पण रखना जरूरी है तो उत्तर तथा पूर्वी दीवार पर दर्पण इस तरह से लगवाएं कि जब आप पलंग पर बैठें तो आप दर्पण में न दिखें ।।
शयनकक्ष में टीवी रखना भी वर्जित है । शयन कक्ष में लकड़ी का बना पलंग अच्छा रहता हैं । शयनकक्ष में किसी भी प्रकार के झूठे बर्तन नहीं रखने चाहिए इससे गृह स्वामिनी का स्वास्थ्य खराब होता हैं ।।
धन की कमी होने लगती हैं तथा परिवार में रोग उत्पन्न होते हैं । कभी भी शयन कक्ष में फाउंटेन तथा मछली को भी नहीं रखना चाहिए । इससे वैवाहिक संबन्ध बिगड़ने डर होता हैं ।।
शयन कक्ष के दक्षिण-पश्चिम कोने पर क्रिस्टल बॉल या क्रिस्टल के बड़े टुकड़े रख सकते हैं । वास्तु शास्त्र के अनुसार जल तत्व से संबन्धित कोई भी चीज शयन कक्ष में न रखें ।।
जल तत्व के होने से पति-पत्नी में तलाक तक की नौबत आ सकती हैं । शयन कक्ष एक ऐसा स्थान हैं, जिसे हर व्यक्ति पूर्णतः आरामदायक बनवाना चाहता हैं, क्योकिं यह क्षेत्र पृथ्वी तत्व प्रधान क्षेत्र हैं ।।
इस कारण शयन कक्ष में भी इस तत्व का प्रभाव भी नजर आता हैं । जिससे व्यक्ति को बार-बार मकान बदलने कि नौबत नहीं आती अर्थात् मकान बिकता नहीं है व्यक्ति कभी बेघर नहीं होता ।।
मित्रों, ये तो सर्वविदित है, फिर भी आपलोगों को बता दूँ, कि विद्या या ज्ञान प्राप्ति के लिए पूर्व दिशा में सर रखकर तथा धन प्राप्ति के लिए दक्षिण में सिर करके सोना चाहिए ।।
उत्तर की ओर कभी भी सिर करके नहीं सोना चाहिए क्योंकि इस ओर सिर करके सोने से आपकी नींद भी पूरी नहीं होगी तथा स्वास्थ्य भी गड़बड़ रहेगा ।।
क्योंकि दक्षिण दिशा में ऋणात्मक (दक्षिण घ्रुव) चुम्बकीय तत्व हैं । जबकि उत्तर दिशा में धनात्मक (उत्तर घ्रुव) तत्व हैं । हमारे सिर में धनात्मक व पैर में ऋणात्मक तत्व हैं.....
इसलिए यदि हम पैर दक्षिण की ओर करेंगे तो दोनों का ही तत्व ऋणात्मक होने के कारण चुम्बकीय तरंग चक्र पूरा नहीं होगा तथा जिसका बुरा असर हमारे शरीर पर पड़ेगा.....
जिससे हमारीं नींद में भी तकलीफ होगा तथा हमारा स्वभाव भी चिड़चिडा हो जायेगा । शयन कक्ष में कभी भी आईना नहीं लगाना चाहिए यहां का दरवाजा भी एक तरफा होना चाहिए......
यदि घर में कोई ऐसी कन्या हो जिसके विवाह में बाधा आ रही हो तो उसको वायव्य कोण में सुलाना चाहिए क्योकि यह क्षेत्र वायु का हैं जिसके कारण इस क्षेत्र का उपयोगकर्ता अधिक समय तक यहां नहीं रह पाता हैं ।।
और मुझे लगता है, कि इसी करण से घर में मेहमानों को भी इसी दिशा में सुलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है । नवविवाहित जोड़ों को ईशान कोण में नहीं सोना चाहिए ।।
क्योकिं यह क्षेत्र ईश्वरीय क्षेत्र होने के कारण उनके इस क्षेत्र में संभोग करने से जो संतान होगी वह विकलांग हो सकती है । मुख्य द्वार की ओर सोते समय पैर करने से भी बचना चाहिए ।।
शयन कक्ष में पलंग के ठीक उपर छत में कोई बीम नहीं होना चाहिए । दरवाजे के ठीक सामने भी पलंग नहीं होना चाहिए । शयन कक्ष में हल्की रोशनी की व्यवस्था होनी चाहिए ।।
वयस्कों के लिए पश्चिम दिशा का शयन कक्ष उत्तम माना गया हैं । बच्चों के लिए पूर्व दिशा का शयन कक्ष उचित माना जाता हैं ।।
शयन कक्ष में कभी भूलकर भी झाडू नहीं रखनी चाहिए । शयन कक्ष में तेल का कनस्तर अथवा अंगीठी आदि नहीं रखने चाहिए इनके कारण बुरे स्वप्न, व्यर्थ की चिंता, कलह व रोग आदि होते हैं ।।
शयन कक्ष में बैठकर नशीले पदार्थो का सेवन कदापि नहीं करना चाहिए । इससे स्वास्थ्य पर तो बुरा असर पड़ता ही है, व्यापार, धन आदि पर बुरा प्रभाव पडता हैं ।।
बेडरूम में नशा करने से हमेशा किसी न किसी बात की कमी लगी ही रहती हैं । शयन कक्ष में रंग का चयन अपनी राशि, लग्न और द्वादश भाव में जो भी बलवान ग्रह हो......
उसके अनुसार करें तो प्रायः शुभ होगा परन्तु एकदम काला या लाल रंग नहीं रखना चाहिए । शयनकक्ष में पूर्वजों की तस्वीरें भी नहीं लगानी चाहिए ।।
यहां केवल सौम्य प्रतिमा या कृत्रिम फूल पत्तियों का होना सुखद एवं शांतिपूर्ण निद्रा का परिचायक होता है अथवा माना गया हैं । शयन कक्ष के निर्माण के सम्बन्ध में.......
यदि हम उपरोक्त वर्णित वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करें तो निश्चित ही हमारे जीवन में सुख और शान्ति का सुखद वातावरण सदैव ही बना रहेगा ।।
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वास्तु विजिटिंग के लिये तथा अपनी कुण्डली दिखाकर उचित सलाह लेने एवं अपनी कुण्डली बनवाने अथवा किसी विशिष्ट मनोकामना की पूर्ति के लिए संपर्क करें ।।
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किसी भी तरह के पूजा-पाठ, विधी-विधान, ग्रह दोष शान्ति आदि के लिए तथा बड़े से बड़े अनुष्ठान हेतु योग्य एवं विद्वान् ब्राह्मण हमारे यहाँ उपलब्ध हैं ।।
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।।। नारायण नारायण ।।।
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