हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, हमारे यहाँ बहुत ही कन्फ्यूजन रहता है लोगों को पूजन की प्रक्रिया में । अनेकों देवता, अनेकों देवियाँ और सभी के लिये पूजन अनिवार्य तथा नाना प्रकार के फलों का विधान । ऐसी स्थिति में लोगों को चाहिये तो जिन्दगी में सभी कुछ ।।
अब ऐसे में इन्सान पूजा करें तो किनकी और किनकी न करे । इस समस्या का समाधान आदि गुरु शंकराचार्य ने किया है पंचदेव पूजा के विधान की स्थापना करके । पंचदेव में गणेश, शिव, दुर्गा, विष्णु और सूर्य के पूजन का विधान है ।।
मित्रों, ये पंचदेव ऐसे हैं, जो इन्सान के हर प्रकार के आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम हैं । हर प्रकार के दोषों की निवृत्ति इन पंचदेवों के पूजन से हो जाता है । जरुरत है इनके पूजन की विधी एवं साधना को जानकर हम इनकी पूजा-उपासना करें ।।
पूजा-साधना में बहुत सी ऐसी बातें हैं जिन पर सामान्यतः हमारा ध्यान नहीं जाता है । लेकिन कुछ ऐसी बातें हैं, जो पूजा-साधना की दृष्टि में अति महत्वपूर्ण होते हैं । जिन्हें जानकर करना ही हमारे लिये हितकर होता है ।।
मित्रों, जहाँ पूजा शब्द आ गया वहां बाँस को जलाना निषिद्ध माना गया है । क्योंकि बाँस को जलाने से पितृदोष लगता है ऐसा हमारे बहुत से आचार्यों का मानना है । वैसे हमारे शास्त्रो में उल्लिखित पूजन विधान में किसी भी प्रकार से बाँस जलाने का उल्लेख नहीं मिलता ।।
आजकल सभी लोग धुप के नाम पर अगरबत्ती जलाने लगे हैं । अगरबत्ती मुगलों की देन है हमारे शास्त्रों में सभी जगह धुप जलाने को ही लिखा हुआ है । अगरबत्ती में तो केमिकल भी रहता है, तो भला केमिकल अथवा बांस जलाने से पूजन की सफलता की कल्पना भी कैसे कर सकते हैं ।।
मित्रों, हमारे ब्राह्मण आचार्यों को चाहिये कि अगरबत्ती जलाना बन्द करने के लिये पूजन सामग्री में यजमान को अगरबत्ती लिख कर ही न दें तो जलाने का सवाल ही नहीं बनता । इस सत्य को यजमान लोगों को भी जानना चाहिये ।।
कुछ आचार्यों का मानना है, कि आजकल लोगो को जो पितृ दोष लगता है कहीं-न-कहीं इसका एक कारण पूजा में अगरबत्ती का जलना भी हो सकता है । इसलिये हम सभी को मिलकर इस अगरबत्ती के माध्यम से बाँस को जलाना बंद कर देना चाहिये ।।
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मित्रों, हम अपने सभी लेखों के माध्यम से समाज का भला कैसे हो इस बात का भरपूर ध्यान रखकर ही लिखते हैं । आगे भी ये प्रक्रिया सतत जारी रहेगी अत: ज्योतिष के गूढ़-से-गूढ़ ज्ञान एवं अन्य हर प्रकार के टिप्स & ट्रिक्स के लिए हमारे फेसबुक के ऑफिसियल पेज को अवश्य लाइक करें - Astro Classes, Silvassa.
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वास्तु विजिटिंग के लिये तथा अपनी कुण्डली दिखाकर उचित सलाह लेने एवं अपनी कुण्डली बनवाने अथवा किसी विशिष्ट मनोकामना की पूर्ति के लिए संपर्क करें ।।
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किसी भी तरह के पूजा-पाठ, विधी-विधान, ग्रह दोष शान्ति आदि के लिए तथा बड़े से बड़े अनुष्ठान हेतु योग्य एवं विद्वान् ब्राह्मण हमारे यहाँ उपलब्ध हैं ।।
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संपर्क करें:- बालाजी ज्योतिष केंद्र, गायत्री मंदिर के बाजु में, मेन रोड़, मन्दिर फलिया, आमली, सिलवासा ।।
WhatsAap+ Viber+Tango & Call: +91 - 8690 522 111.
E-Mail :: astroclassess@gmail.com
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।।। नारायण नारायण ।।।
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अब ऐसे में इन्सान पूजा करें तो किनकी और किनकी न करे । इस समस्या का समाधान आदि गुरु शंकराचार्य ने किया है पंचदेव पूजा के विधान की स्थापना करके । पंचदेव में गणेश, शिव, दुर्गा, विष्णु और सूर्य के पूजन का विधान है ।।
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पूजा-साधना में बहुत सी ऐसी बातें हैं जिन पर सामान्यतः हमारा ध्यान नहीं जाता है । लेकिन कुछ ऐसी बातें हैं, जो पूजा-साधना की दृष्टि में अति महत्वपूर्ण होते हैं । जिन्हें जानकर करना ही हमारे लिये हितकर होता है ।।
मित्रों, जहाँ पूजा शब्द आ गया वहां बाँस को जलाना निषिद्ध माना गया है । क्योंकि बाँस को जलाने से पितृदोष लगता है ऐसा हमारे बहुत से आचार्यों का मानना है । वैसे हमारे शास्त्रो में उल्लिखित पूजन विधान में किसी भी प्रकार से बाँस जलाने का उल्लेख नहीं मिलता ।।
आजकल सभी लोग धुप के नाम पर अगरबत्ती जलाने लगे हैं । अगरबत्ती मुगलों की देन है हमारे शास्त्रों में सभी जगह धुप जलाने को ही लिखा हुआ है । अगरबत्ती में तो केमिकल भी रहता है, तो भला केमिकल अथवा बांस जलाने से पूजन की सफलता की कल्पना भी कैसे कर सकते हैं ।।
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कुछ आचार्यों का मानना है, कि आजकल लोगो को जो पितृ दोष लगता है कहीं-न-कहीं इसका एक कारण पूजा में अगरबत्ती का जलना भी हो सकता है । इसलिये हम सभी को मिलकर इस अगरबत्ती के माध्यम से बाँस को जलाना बंद कर देना चाहिये ।।
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