हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, आजकल सॉफ्टवेयर का जमाना है । अच्छी बात है, लेकिन सबकुछ रोबोट ही नहीं कर सकता, ये बात भी उतना ही सच है । जैसे कुण्डली का सॉफ्टवेयर ये तो बता देगा कि कितने गुण मिल रहे हैं, परन्तु अगर हमें ज्योतिष की जानकारी नहीं है तो हम ये कैसे जानेंगे इनका वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा ?।।
उदाहरण के लिए अगर दोनों में से किसी एक कुण्डली में तलाक अथवा वैधव्य का दोष विद्यमान है या नहीं ये तो आपका सॉफ्टवेयर नहीं बतायेगा ? कुण्डली में मांगलिक दोष, पितृ दोष या काल सर्प दोष जैसे किसी दोष की उपस्थिति जो इस प्रकार के स्थिति के कारण बनते हैं ।।
मित्रों, इन परिस्थितियों में बहुत अधिक संख्या में गुण मिलने के बाद भी कुण्डलियों का मिलान पूरी तरह से अनुचित हो सकता है । इसके बाद भी वर-वधू दोनों की कुण्डलियों में आयु की स्थिति क्या है ? भविष्य में जातक की आर्थिक स्थिति तथा संतान उत्पत्ति के योग कैसे हैं ।।
इसके साथ ही वर-वधु के अच्छे स्वास्थय के योग एवं दोनों का परस्पर शारीरिक तथा मानसिक सामंजस्य एवं आकर्षण देखना आवश्यक होता है । इन सभी बातों पर विस्तृत विचार किए बिना कुण्डलियों का मिलान सुनिश्चित करना मुझे लगता है, सर्वथा अनुचित ही होगा ।।
मित्रों, इसलिए किसी भी जातक की कुण्डलियों के मिलान में दोनों कुण्डलियों का सम्पूर्ण निरीक्षण करना अति अनिवार्य होता है । सिर्फ गुण मिलान के आधार पर कुण्डलियों का मिलान सुनिश्चित करने का परिणाम दुष्कर हो सकता है ।।
मैने अपने जीवन में ज्योतिष के लम्बे अनुभवों में कुण्डली मिलान के ऐसी बहुत सी स्थितियाँ देखी है जिनमें सिर्फ गुण मिलान २२ या इससे अधिक गुण मिलने पर ही वर-वधू की शादी हो जाती है या करवा दी जाती है ।।
मित्रों, ज्योतिषियों के अनुभव की कमी या फिर जातक के माता-पिता की मजबूरियाँ कारण जो भी हो कुण्डली मिलान के इन महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया जाता । जिसके परिणाम स्वरुप इनमें से बहुत सी स्थितियों में शादी के बाद पति-पत्नि में आजीवन तनाव बना ही रहता है ।।
कभी-कभी तो यहाँ तक देखने को मिलता है, कि पहले तलाक और फिर बात मुकद्दमें तक पहुँच जाती है । कभी-कभी तो ३० से ३२ गुण मिलने के बाद भी तलाक, मुकद्दमा तथा वैधव्य जैसी परिस्थितियां बन जाती हैं ।।
मित्रों, इन बातों का क्या अर्थ हुआ ? इसका तो सीधा सा मतलब यही निकलता है, कि गुण मिलान मात्र ही सुखी एवं वैवाहिक जीवन के लिए पर्याप्त नहीं है । मात्र गुण मिलान ही अपने आप में न तो पूर्ण है तथा न ही सक्षम किसी जातक के वैवाहिक जीवन के लिये ।।
इसलिए मेरा मानना है, कि इस विधि को कुण्डली मिलान का एक हिस्सा मानना चाहिए न कि अपने आप में सम्पूर्ण विधि । अब आपको एक सरल सा उपाय जान लेना चाहिये, कि यदि चन्द्रमा अश्विनी, आर्द्रा, पुनर्वसु, उत्तर फाल्गुणी, हस्त, ज्येष्ठा, मूल, शतभिषा तथा पूर्व भाद्रपद नक्षत्रों में होगा तो जातक की "आदि नाड़ी" होती है ।।
मित्रों, चन्द्रमा यदि भरणी, मृगशिरा, पुष्य, पूर्व फाल्गुणी, चित्रा, अनुराधा, पूर्वाषाढ़ा, धनिष्ठा तथा उत्तरा भाद्रपद नक्षत्रों में होगा तो जातक की "मध्य नाड़ी" होगी । और यदि चन्द्रमा कृत्तिका, रोहिणी, श्लेषा, मघा, स्वाती, विशाखा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण तथा रेवती नक्षत्रों में होगा तो जातक की "नाड़ी अन्त्य" होती है ।।
परन्तु मित्रों, जातक लड़का हो अथवा कोई कन्या हो, विवाह से पहले उन दोनों की कुण्डलियों का निरिक्षण किसी विद्वान् अनुभवी ज्योतिषी से करवायें और यदि कोई दोष हो तो उन दोषों की शान्ति यथाविधानेन किसी विद्वान् वेदपाठी ब्राह्मण से अवश्य करवायें ।।
जब आप अपनी कन्या अथवा पुत्र के विवाह में मण्डप, बैंड, सजावट तथा लोगों के खिलाने-पिलाने पर लाखों-करोड़ों खर्च कर सकते हैं तो दस-बीस हजार उसके आनेवाले जीवन में सुख की कामना एवं उनके उज्ज्वल भविष्य के लिये क्यों नहीं कर सकते ।।
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वास्तु विजिटिंग के लिये तथा अपनी कुण्डली दिखाकर उचित सलाह लेने एवं अपनी कुण्डली बनवाने अथवा किसी विशिष्ट मनोकामना की पूर्ति के लिए संपर्क करें ।।
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किसी भी तरह के पूजा-पाठ, विधी-विधान, ग्रह दोष शान्ति आदि के लिए तथा बड़े से बड़े अनुष्ठान हेतु योग्य एवं विद्वान् ब्राह्मण हमारे यहाँ उपलब्ध हैं ।।
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संपर्क करें:- बालाजी ज्योतिष केंद्र, गायत्री मंदिर के बाजु में, मेन रोड़, मन्दिर फलिया, आमली, सिलवासा ।।
WhatsAap+ Viber+Tango & Call: +91 - 8690 522 111.
E-Mail :: astroclassess@gmail.com
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।।। नारायण नारायण ।।।
मित्रों, आजकल सॉफ्टवेयर का जमाना है । अच्छी बात है, लेकिन सबकुछ रोबोट ही नहीं कर सकता, ये बात भी उतना ही सच है । जैसे कुण्डली का सॉफ्टवेयर ये तो बता देगा कि कितने गुण मिल रहे हैं, परन्तु अगर हमें ज्योतिष की जानकारी नहीं है तो हम ये कैसे जानेंगे इनका वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा ?।।
उदाहरण के लिए अगर दोनों में से किसी एक कुण्डली में तलाक अथवा वैधव्य का दोष विद्यमान है या नहीं ये तो आपका सॉफ्टवेयर नहीं बतायेगा ? कुण्डली में मांगलिक दोष, पितृ दोष या काल सर्प दोष जैसे किसी दोष की उपस्थिति जो इस प्रकार के स्थिति के कारण बनते हैं ।।
मित्रों, इन परिस्थितियों में बहुत अधिक संख्या में गुण मिलने के बाद भी कुण्डलियों का मिलान पूरी तरह से अनुचित हो सकता है । इसके बाद भी वर-वधू दोनों की कुण्डलियों में आयु की स्थिति क्या है ? भविष्य में जातक की आर्थिक स्थिति तथा संतान उत्पत्ति के योग कैसे हैं ।।
इसके साथ ही वर-वधु के अच्छे स्वास्थय के योग एवं दोनों का परस्पर शारीरिक तथा मानसिक सामंजस्य एवं आकर्षण देखना आवश्यक होता है । इन सभी बातों पर विस्तृत विचार किए बिना कुण्डलियों का मिलान सुनिश्चित करना मुझे लगता है, सर्वथा अनुचित ही होगा ।।
मित्रों, इसलिए किसी भी जातक की कुण्डलियों के मिलान में दोनों कुण्डलियों का सम्पूर्ण निरीक्षण करना अति अनिवार्य होता है । सिर्फ गुण मिलान के आधार पर कुण्डलियों का मिलान सुनिश्चित करने का परिणाम दुष्कर हो सकता है ।।
मैने अपने जीवन में ज्योतिष के लम्बे अनुभवों में कुण्डली मिलान के ऐसी बहुत सी स्थितियाँ देखी है जिनमें सिर्फ गुण मिलान २२ या इससे अधिक गुण मिलने पर ही वर-वधू की शादी हो जाती है या करवा दी जाती है ।।
मित्रों, ज्योतिषियों के अनुभव की कमी या फिर जातक के माता-पिता की मजबूरियाँ कारण जो भी हो कुण्डली मिलान के इन महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया जाता । जिसके परिणाम स्वरुप इनमें से बहुत सी स्थितियों में शादी के बाद पति-पत्नि में आजीवन तनाव बना ही रहता है ।।
कभी-कभी तो यहाँ तक देखने को मिलता है, कि पहले तलाक और फिर बात मुकद्दमें तक पहुँच जाती है । कभी-कभी तो ३० से ३२ गुण मिलने के बाद भी तलाक, मुकद्दमा तथा वैधव्य जैसी परिस्थितियां बन जाती हैं ।।
मित्रों, इन बातों का क्या अर्थ हुआ ? इसका तो सीधा सा मतलब यही निकलता है, कि गुण मिलान मात्र ही सुखी एवं वैवाहिक जीवन के लिए पर्याप्त नहीं है । मात्र गुण मिलान ही अपने आप में न तो पूर्ण है तथा न ही सक्षम किसी जातक के वैवाहिक जीवन के लिये ।।
इसलिए मेरा मानना है, कि इस विधि को कुण्डली मिलान का एक हिस्सा मानना चाहिए न कि अपने आप में सम्पूर्ण विधि । अब आपको एक सरल सा उपाय जान लेना चाहिये, कि यदि चन्द्रमा अश्विनी, आर्द्रा, पुनर्वसु, उत्तर फाल्गुणी, हस्त, ज्येष्ठा, मूल, शतभिषा तथा पूर्व भाद्रपद नक्षत्रों में होगा तो जातक की "आदि नाड़ी" होती है ।।
मित्रों, चन्द्रमा यदि भरणी, मृगशिरा, पुष्य, पूर्व फाल्गुणी, चित्रा, अनुराधा, पूर्वाषाढ़ा, धनिष्ठा तथा उत्तरा भाद्रपद नक्षत्रों में होगा तो जातक की "मध्य नाड़ी" होगी । और यदि चन्द्रमा कृत्तिका, रोहिणी, श्लेषा, मघा, स्वाती, विशाखा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण तथा रेवती नक्षत्रों में होगा तो जातक की "नाड़ी अन्त्य" होती है ।।
परन्तु मित्रों, जातक लड़का हो अथवा कोई कन्या हो, विवाह से पहले उन दोनों की कुण्डलियों का निरिक्षण किसी विद्वान् अनुभवी ज्योतिषी से करवायें और यदि कोई दोष हो तो उन दोषों की शान्ति यथाविधानेन किसी विद्वान् वेदपाठी ब्राह्मण से अवश्य करवायें ।।
जब आप अपनी कन्या अथवा पुत्र के विवाह में मण्डप, बैंड, सजावट तथा लोगों के खिलाने-पिलाने पर लाखों-करोड़ों खर्च कर सकते हैं तो दस-बीस हजार उसके आनेवाले जीवन में सुख की कामना एवं उनके उज्ज्वल भविष्य के लिये क्यों नहीं कर सकते ।।
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।।। नारायण नारायण ।।।
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