हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, आज हम चर्चा करेंगे शिव पूजन के विषय में । कब और किस समय या किस तिथी को शिव पूजन से क्या लाभ होता है ? इस विषय में हम आज विस्तार से चर्चा करेंगे । क्योंकि शिव ही एक ऐसे देवता हैं, जो कालसर्प जैसे दोषों से भी मुक्ति दे सकते हैं ।।
देवों के देव महादेव की कृपा पाने के लिए लोग कठिन से कठिन तपस्या करते देखे गये हैं । कहा जाता है, कि यदि महादेव अपने भक्तों से प्रसन्ना हो जायें तो भक्तों की झोली हर प्रकार की खुशियों से भर देते हैं । मुसलमानों से लेकर हिन्दू तक सभी भोले भंडारी की पूजा पूरे संसार में करते हैं ।।
मित्रों, इतना ही नहीं एकमात्र शिवजी ही ऐसे भगवान हैं जिनके जिनके भक्तों में हर देश के लोग सम्मिलित हैं । आपको शिव के धामों में लाखों की संख्या में बम बम भोले के नारे लगाते हुए विदेशी श्रद्धालु भी दिख जाएंगें । भोले बाबा हैं ही इतने दयालु कि हर किसी पर अपनी कृपा दृष्टि सदैव बनाये रखते हैं ।।
यदि आप भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं तो इस लेख को अन्त तक पढ़ें । क्योंकि आज मैं आपलोगों को कुछ ऐसे दिन एवं मुहूर्त बता रहा हूँ, जिस दिन पूजन करने से आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हो जायेगी । आपका घर-परिवार हर प्रकार के सुख-समृद्धियों से भर जाएगा ।।
मित्रों, यदि आपको सरकारी नौकरी मिली है, तो यह आपके मेहनत के बदौलत है या फिर आपकी किस्मत से मिली है ? वैसे मेहनत की आवश्यकता तो सभी को होती ही है, क्योंकि भगवान भी उसी की सहायता करता है जो मेहनती होता है । परन्तु सरकारी नौकरी आपको आपकी माता के द्वारा हुये इस व्रत का ही परिणाम होता है ऐसा हमारे कुछ अनुभवी पूर्वाचार्यों का कहना है ।।
ये बात प्रमाणिक भी है, मैंने भी कई लोगों पर आजमाया है इस प्रयोग को और आप भी आजमा सकते हैं । प्रदोष काल में किए जाने वाले व्रतानुष्ठान एवं पूजन को प्रदोष व्रत कहा जाता है । ऐसी मान्यता है कि इस समय व्रत करने से भगवान शिव शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं ।।
मित्रों, प्रतिदिन सूर्यास्त से तीन घंटा पहले के समय को प्रदोष काल माना जाता है । इसके अतिरिक्त प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी तिथि में सायं काल को प्रदोष काल होता है । कहा गया है कि प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत पर अपने महल में इस समय में ताण्डव नृत्य करते हैं और सभी देवता उनका गुणगान करते हैं ।।
इसीलिये परिश्रम के कारण गले का विष और जलन देने लगता है । इसलिये इस समय में दूध, दही, घृत, शहद, शक्कर एवं पञ्चामृत तथा जल से किये जाने वाले अभिषेक से भगवान शिव को ठंढक मिलती है । इसी वजह से ही भगवान शिव उस भक्त पर प्रशन्न होकर उसकी मनोकामना को पूर्ण कर देते हैं ।।
मित्रों, सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष काल में शिव पूजन के अपने-अपने विशेष महत्त्व हैं । इसके लाभ मैं बताता हूँ, कि किस दिन के प्रदोष काल में किये गये शिव पूजन से क्या विशेष लाभ भक्तों को प्राप्त होता है । आप अपनी मनोकामना के अनुसार पूजन करके पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकते हैं ।।
रविवार के दिन प्रदोष काल में शिव पूजन करने से निरोगी काया का आशीर्वाद प्राप्त होता है । सोमवार के पूजन से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है । मंगलवार को प्रदोष काल में शिव पूजन करने से असाध्य-से-असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं ।।
मित्रों, बुधवार के प्रदोष काल में शिव पूजन से घर में हर प्रकार की सुख-समृद्धि आती है । गुरुवार को प्रदोष काल में भगवान शिव का पूजन करने से आपके समस्त विरोधियों का नाश हो जाता है । शुक्रवार के पूजन से सौभाग्य की वृद्धि होती है । तथा शनिवार के प्रदोष काल में पूजन करने से संतान की प्राप्ति होती है ।।
अगर कृष्ण पक्ष का प्रदोष शनिवार पड़े, उस दिन अगर आप शिव का अभिषेक किसी वेदपाठी ब्राह्मण से शहद से करवायें तो सरकारी नौकरी, सर्वोत्तम श्रेणी के सन्तान की प्राप्ति एवं आपकी मनचाही इच्छा की पूर्ति अवश्य ही हो जाती है । प्रदोष शनिवार को हो तो इस दिन शिवजी के साथ शनि महाराज की कृपा भी मिलती है ।।
मित्रों, इस व्रत में मुख्य रूप से महादेव भगवान शिव की पूजा की जाती है । इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर व्रत करना सर्वोत्तम माना जाता है । प्रात: काल स्नान करके भगवान शिव की बेल पत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप सहित पूजा करें । संध्या काल में पुन: स्नान करके इसी प्रकार से शिव जी की पूजा करनी चाहिए ।।
यदि आप व्रत करने में सक्षम नहीं हैं तो शनि प्रदोष व्रत कथा को अवश्य ही पढ़ें । भगवान शिव के पास देसी घी का दीपक और शनि देव पर सरसों के तेल का दीपक अर्पित करें । इससे भी अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है और भगवान शिव व शनि देव की कृपा भी प्राप्त होती है । इसे करने से शनि से जुड़ी परेशानियां का भी अंत हो जाता है ।।
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संपर्क करें:- बालाजी ज्योतिष केंद्र, गायत्री मंदिर के बाजु में, मेन रोड़, मन्दिर फलिया, आमली, सिलवासा ।।
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।।। नारायण नारायण ।।।
मित्रों, आज हम चर्चा करेंगे शिव पूजन के विषय में । कब और किस समय या किस तिथी को शिव पूजन से क्या लाभ होता है ? इस विषय में हम आज विस्तार से चर्चा करेंगे । क्योंकि शिव ही एक ऐसे देवता हैं, जो कालसर्प जैसे दोषों से भी मुक्ति दे सकते हैं ।।
देवों के देव महादेव की कृपा पाने के लिए लोग कठिन से कठिन तपस्या करते देखे गये हैं । कहा जाता है, कि यदि महादेव अपने भक्तों से प्रसन्ना हो जायें तो भक्तों की झोली हर प्रकार की खुशियों से भर देते हैं । मुसलमानों से लेकर हिन्दू तक सभी भोले भंडारी की पूजा पूरे संसार में करते हैं ।।
मित्रों, इतना ही नहीं एकमात्र शिवजी ही ऐसे भगवान हैं जिनके जिनके भक्तों में हर देश के लोग सम्मिलित हैं । आपको शिव के धामों में लाखों की संख्या में बम बम भोले के नारे लगाते हुए विदेशी श्रद्धालु भी दिख जाएंगें । भोले बाबा हैं ही इतने दयालु कि हर किसी पर अपनी कृपा दृष्टि सदैव बनाये रखते हैं ।।
यदि आप भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं तो इस लेख को अन्त तक पढ़ें । क्योंकि आज मैं आपलोगों को कुछ ऐसे दिन एवं मुहूर्त बता रहा हूँ, जिस दिन पूजन करने से आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हो जायेगी । आपका घर-परिवार हर प्रकार के सुख-समृद्धियों से भर जाएगा ।।
मित्रों, यदि आपको सरकारी नौकरी मिली है, तो यह आपके मेहनत के बदौलत है या फिर आपकी किस्मत से मिली है ? वैसे मेहनत की आवश्यकता तो सभी को होती ही है, क्योंकि भगवान भी उसी की सहायता करता है जो मेहनती होता है । परन्तु सरकारी नौकरी आपको आपकी माता के द्वारा हुये इस व्रत का ही परिणाम होता है ऐसा हमारे कुछ अनुभवी पूर्वाचार्यों का कहना है ।।
ये बात प्रमाणिक भी है, मैंने भी कई लोगों पर आजमाया है इस प्रयोग को और आप भी आजमा सकते हैं । प्रदोष काल में किए जाने वाले व्रतानुष्ठान एवं पूजन को प्रदोष व्रत कहा जाता है । ऐसी मान्यता है कि इस समय व्रत करने से भगवान शिव शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं ।।
मित्रों, प्रतिदिन सूर्यास्त से तीन घंटा पहले के समय को प्रदोष काल माना जाता है । इसके अतिरिक्त प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी तिथि में सायं काल को प्रदोष काल होता है । कहा गया है कि प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत पर अपने महल में इस समय में ताण्डव नृत्य करते हैं और सभी देवता उनका गुणगान करते हैं ।।
इसीलिये परिश्रम के कारण गले का विष और जलन देने लगता है । इसलिये इस समय में दूध, दही, घृत, शहद, शक्कर एवं पञ्चामृत तथा जल से किये जाने वाले अभिषेक से भगवान शिव को ठंढक मिलती है । इसी वजह से ही भगवान शिव उस भक्त पर प्रशन्न होकर उसकी मनोकामना को पूर्ण कर देते हैं ।।
मित्रों, सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष काल में शिव पूजन के अपने-अपने विशेष महत्त्व हैं । इसके लाभ मैं बताता हूँ, कि किस दिन के प्रदोष काल में किये गये शिव पूजन से क्या विशेष लाभ भक्तों को प्राप्त होता है । आप अपनी मनोकामना के अनुसार पूजन करके पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकते हैं ।।
रविवार के दिन प्रदोष काल में शिव पूजन करने से निरोगी काया का आशीर्वाद प्राप्त होता है । सोमवार के पूजन से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है । मंगलवार को प्रदोष काल में शिव पूजन करने से असाध्य-से-असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं ।।
मित्रों, बुधवार के प्रदोष काल में शिव पूजन से घर में हर प्रकार की सुख-समृद्धि आती है । गुरुवार को प्रदोष काल में भगवान शिव का पूजन करने से आपके समस्त विरोधियों का नाश हो जाता है । शुक्रवार के पूजन से सौभाग्य की वृद्धि होती है । तथा शनिवार के प्रदोष काल में पूजन करने से संतान की प्राप्ति होती है ।।
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मित्रों, इस व्रत में मुख्य रूप से महादेव भगवान शिव की पूजा की जाती है । इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर व्रत करना सर्वोत्तम माना जाता है । प्रात: काल स्नान करके भगवान शिव की बेल पत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप सहित पूजा करें । संध्या काल में पुन: स्नान करके इसी प्रकार से शिव जी की पूजा करनी चाहिए ।।
यदि आप व्रत करने में सक्षम नहीं हैं तो शनि प्रदोष व्रत कथा को अवश्य ही पढ़ें । भगवान शिव के पास देसी घी का दीपक और शनि देव पर सरसों के तेल का दीपक अर्पित करें । इससे भी अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है और भगवान शिव व शनि देव की कृपा भी प्राप्त होती है । इसे करने से शनि से जुड़ी परेशानियां का भी अंत हो जाता है ।।
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।।। नारायण नारायण ।।।
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