वृहत् पराशरहोराशास्त्रम् । ग्रहों के चतुर्विध युति के प्रकार. Grahon Ke Char Prakar Ki Yutiyan.
वृहत् पराशरहोराशास्त्रम् अध्याय-20, राजयोगादिफलाध्यायः । ग्रहों के चतुर्विध सम्बन्धों के विषय को अर्थात् श्लोक संख्या 10 एवं उसका फल. Brihat Horashastra Lession-20, Grahon Ke Char Prakar Ki Yutiyan.
मित्रों, इस विडियो में बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् के अध्याय-20वें में वर्णित ग्रहों के चतुर्विध सम्बन्धों के विषय को विस्तृत रूप से वर्णित किया गया है । अर्थात् वृहत् पराशरहोराशास्त्रम् अध्याय-20, राजयोगादिफलाध्यायः के श्लोक संख्या 10 एवं उसके फल की विस्तृत चर्चा की गयी हैं ।।
राजयोग निर्मित करने वाले ग्रहों के आपसी सम्बन्ध कितने प्रकार के होते हैं एवं किस प्रकार बनते हैं, इस बात का विस्तृत वर्णन बृहत्पाराशर होराशास्त्रम् के 20वें अध्याय में किया गया हैं । राजयोगादिफलाध्यायः में राजयोग के सभी महत्वपूर्ण विषयों का विस्तृत वर्णन किया गया है ।।
अति दरिद्र घर में जन्म लेने वाला जातक भी अपने जीवन में इन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों के आपसी सम्बन्धों से निर्मित योगों के वजह से कैसे जीवन के सर्वोच्च ऊँचाई पर पहुँच जाता है, इस बात का विस्तृत वर्णन है । तो आइये जानें इस विडियो टुटोरियल में ग्रहों के चतुर्विध सम्बन्धों के विषय को अर्थात श्लोक नम्बर 10 एवं उसके फल के विषय में
वृहत् पराशरहोराशास्त्रम् अध्याय-20, राजयोगादिफलाध्यायः । ग्रहों के चतुर्विध सम्बन्धों के विषय को अर्थात् श्लोक संख्या 10 एवं उसका फल. Brihat Horashastra Lession-20, Grahon Ke Char Prakar Ki Yutiyan.
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