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नवों ग्रहों की अशुभ दशा का फल ।।



नवों ग्रहों की अशुभ दशा का फल ।। Navon Grahon Ki Ashubh Dasha Ka Phal.


हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,

मित्रों, कुण्डली में कोई भी ग्रह कहां बैठा है अथवा कुंडली में किस अवस्था में है, उसके अनुसार शुभ या अशुभ फल देता है यह बात सर्वविदित है । लेकिन सामान्य रूप से भी अपने स्वभाव के अनुसार ग्रह जो है वो शुभ या अशुभ फल देते हैं ।। इसके पहले वाले लेख में आप लोगों ने ग्रहों के शुभ दशा के फल के विषय में विस्तृत जाना था । आज हम ग्रहों के अशुभ दशा के विषय में विस्तृत वर्णन करेंगे । अगर आपकी कुंडली में कोई भी ग्रह अशुभ अवस्था में स्थित हो और उस ग्रह की दशा आपके ऊपर चल रही हो तो वह ग्रह आपको किस प्रकार का क्या फल देता है ।।

मित्रों, सवाल यह है, कि क्या सभी ग्रह अपनी अशुभ दशा में केवल और केवल नुकसान ही करते हैं ? अथवा कोई ग्रह अपनी अशुभ दशा में भी कुछ शुभ फल भी देता है ? तो आइए आज के इस लेख में इस विषय में विस्तृत रूप से जानते हैं ।। आज हम बात करते हैं, कि कोई भी ग्रह जब आपकी कुंडली में अशुभ हो और उस ग्रह की दशा आपके ऊपर चल रही हो तो वो ग्रह आपको क्या और कैसा फल दे सकता है । आज हम नौ ग्रहों की बात करेंगे, जिनमें एक-एक ग्रह जो हैं, उन सभी के विषय में हम बात करेंगे, कि कौन सा ग्रह अपनी दशा में किस प्रकार का फल देता है ।।

मित्रों, आइए बात करते हैं, सबसे पहले सूर्य की, कि सूर्य अगर आपकी कुंडली में नीच स्थान का हो, शत्रु राशि में हो अथवा किसी भी प्रकार से डिग्री वाइज बलाबल सही नहीं हो और ऐसे सूर्य की दशा आपके ऊपर चल रही हो तो ऐसा सूर्य नौकर, धन, चोर, नेत्र, शस्त्र, अग्नि, जल और राजा इन के माध्यम से जातक को कष्ट पहुंचाता है ।। इतना ही नहीं, ऐसा सूर्य अपनी अशुभ दशा में जातक को पुत्र, स्त्री एवं बंधुओं से अपमान करवाता है । पाप बुद्धि, क्षुधा, तृष्णा के वजह से पीड़ा, हृदयरोग, पित्त रोग और शरीर का कोई न कोई अंग तक भंग करवा देता है ।।

मित्रों, यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा अशुभ हो तो यह चंद्रमा अपनी दशा में जातक के कुल में भय, अपने परिवार में आंतरिक कलह एवं कष्ट देता है । निद्रा तथा आलस्य की वृद्धि कर देता है, परन्तु स्त्रियों को भय, शोक एवं रति की प्राप्ति होती है ।। यदि मंगल अशुभ हो आपकी कुंडली में और ऐसे अशुभ मंगल की दशा आपके ऊपर चल रही हो तो ऐसे जातक का अपने मित्र एवं स्त्रियों से विरोध हो जाता है । भाइयों और पुत्रों से कलह होता है । तृष्णा, मूर्च्छा, रक्तदोष, अंगों में घाव, परस्त्री से प्रेम, गुरु तथा सत्य से द्वेष, अधर्म में प्रीति एवं पित्त प्रकोप से शरीर में कष्ट होता है ।।

मित्रों, आपकी कुंडली में बुध अगर अशुभ अवस्था में हो और ऐसे बुध की दशा आपके ऊपर चल रही हो तो यह बुध अपनी दशा में उस जातक को त्रिदोष अर्थात वात, पित्त और कफ से पीड़ा देता है । कठोर वचन, बंधन, उद्वेग तथा मानसिक चिंता व्यक्ति को सताते रहती है ।। आपकी कुंडली में यदि गुरु अशुभ हो तो ऐसे अशुभ गुरु की दशा में जातक को पंखा, छाता, फूल, वस्त्र, पताका और खाने-पीने तक का अभाव होता है । शरीर में सूजन का होना, अत्यधिक शोक का होना और रोगों से जैसे गठिया आदि के वजह से लंगड़ापन का आ जाना यह अशुभ गुरु की दशा का लक्षण है । कानों में रोग वीर्य और मेधा का छय तथा राजा से सदैव भय बना रहता है ।।

मित्रों, यदि आपकी कुंडली में शुक्र अशुभ हो और ऐसे अशुभ शुक्र की दशा आपके ऊपर चल रही हो तो ऐसा अशुभ शुक्र अपनी दशा में जातक को कुल और गुण में श्रेष्ठ जनों से विवाद करवाता है । वाहन, आसन का कष्ट, स्त्री और राजा से कष्ट तथा समाज विरोधियों से प्रेम दिलाता है ।। आपकी कुंडली में यदि शनि अशुभ हो और ऐसे अशुभ शनि की दशा आपके ऊपर चल रही हो तो ऐसा अशुभ शनि अपनी दशा में जातक के वाहनों का नाश, उद्वेग, वैमनस्य, स्त्री और परिजनों का वियोग, युद्ध में पराजय, मदिरा एवं जुआ आदि से प्रेम, वायु का प्रकोप, पुन्य की हानि, बंधन, तन्द्रा, परिश्रम, अंग-भंग, नौकर और संतान से विरोध करवाता है ।।

मित्रों, हम अपने अगले प्रकरण में लग्न में बैठे हुए अथवा केंद्र में बैठे हुए ग्रहों के द्वारा मिलने वाले शुभाशुभ फल का विस्तृत वर्णन करेंगे । अपने मूल त्रिकोण तथा उच्च स्थिति में, शत्रु के घर में तथा अष्टम भाव में आदि बैठे हुए ग्रहों के शुभाशुभ फल का भी वर्णन हम करेंगे ।।

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।।। नारायण नारायण ।।।

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