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पुत्र की कुण्डली में पिता के लिए राजयोग देखना ।।



पुत्र की कुण्डली में पिता के लिए राजयोग देखना ।। Putra Ki Kundali Se Pita Ke Liye Rajyoga.

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz. किसी भी जातक की कुण्डली देखकर आप उसके पिता के जीवन में राजयोग आएगा अथवा नहीं ? अगर आएगा तो कब आएगा ? कैसे जानें ?


इसके लिए आपको इन निम्नांकित सूत्रों का गहरा अध्ययन करना पड़ेगा । तो आइये इन सूत्रों को आप सभी को बताऊँ । ये सूत्र आपको बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् ।। अथ भाग्यभावफलाध्यायः ।।२०।। भाग्येशे केन्द्रभावस्थे गुरुणा च निरीक्षिते ।।
तत्पिता वाहनैर्युक्तो राजा वा तत्समो भवेत् ।।६।।

अर्थ:- भाग्येश यदि केन्द्र में हो और गुरु उसे देख रहा हो तो जातक का पिता राजा होता है अथवा राजा के समान होता है ।। भाग्येशे कर्मभावस्थे कर्मेशे भाग्यराशिगे ।।
शुभयोगे धनाढ्यश्च कीर्तिमांस्तत्पिता भवेत् ।।७।।

अर्थ:- भाग्येश कर्मभाव में हो, कर्मेश भाग्यभाव में हो और शुभग्रहों से किसी भी प्रकार से संपर्क में हो तो जातक का पिता धनी और कीर्तिमान होता है ।। परमोच्चांशगे सूर्ये भाग्येशे लाभसंस्थिते ।।
धर्मष्ठो नृपवात्सल्यः पितृभक्तो भवेन्नरः ।।८।।

अर्थ:- सूर्य परमोच्चांश में हो, भाग्येश लाभभाव में हो तो जातक धर्मिष्ठ, राजा का प्रेमपात्र और पितृभक्त होता है ।। लग्नात्त्रिकोणगे सूर्ये भाग्येशे सप्तमस्थिते ।।
गुरुणा सहिते दृष्टे पितृभक्तिसमन्वितः ।।९।।
भाग्येशे धनभावस्थे धनेशे भाग्यराशिगे ।।
द्वात्रिंशात्परतो भाग्यं वाहनं कीर्तिसम्भवः ।।१०।।

अर्थ:- लग्न से त्रिकोण में सूर्य हो, भाग्येश सप्तम भाव में और धनेश भाग्य भाव में हो तो ३२ वें वर्ष के बाद भाग्य, वाहन और कीर्ति का बहुत लाभ होता है ।। वास्तु विजिटिंग के लिये तथा अपनी कुण्डली दिखाकर उचित सलाह लेने एवं अपनी कुण्डली बनवाने अथवा किसी विशिष्ट मनोकामना की पूर्ति के लिए संपर्क करें ।।

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।।। नारायण नारायण ।।।

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