किस दिशा में पड़ती है कुबेर की सीधी दृष्टि घर की दिशाओं का महत्व जानें ।। Kuber Ki Drishti Kis Disha Se Aati Hai.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, वास्तु शास्त्र में दिशाओं का अत्यंत महत्व होता है । क्योंकि प्रकृति का संबंध दिशाओं के साथ ही होता है । प्रकृति के विरुद्ध चलने पर तरह-तरह के कष्टों को झेलना पड़ता है ।।
अत: दिशाओं के संबंध में ज्ञान होना अति आवश्यक है । क्योंकि समस्याओं को तो मकान में रहने वाला ही झेलता है । यदि उसे दिशाओं के महत्व का ज्ञान होगा, तब वह बहुत आसानी से अपनी समस्याओं का समाधान कर सकता है ।।
सर्वप्रथम पूर्व दिशा के विषय में जानते हैं । यह दिशा अग्रि तत्व को प्रभावित करती है । यह सूर्योदय की दिशा होती है । यह पितृ स्थान की सूचक भी है । इस दिशा को बंद कर देने से सर्वप्रथम तो सूर्य की किरणों का गृह में प्रवेश रुक जाता है ।।
इसके वजह से और भी तरह-तरह की व्याधियां उत्पन्न होने लगती हैं । मान-सम्मान की हानि, कर्ज का बोझ बढ़ना तथा पितृदोष भी लग जाता है । अर्थात मृत पितृगणों का आशीर्वाद भी प्राय: जातक को नहीं मिलता ।।
घर में मांगलिक कार्यों में बाधाएं या रुकावटें उत्पन्न होने लगती हैं । प्राय: गृह निर्माण के पांच-छ: वर्ष के बीच में घर के मुखिया का देहांत भी संभवत: हो सकता है ।।
अगर पश्चिम दिशा की बात करें तो यह दिशा वायु तत्व की सूचक होती है । इसका देवता वायु चंचलता का सूचक होता है । यदि घर का दरवाजा पश्चिमाभिमुखी है तो इसमें रहने वाले का मन सर्वदा चंचल बना रहता है ।।
उसे किसी भी कार्य में प्राय: पूर्ण रूप से सफलता नहीं मिलती । बच्चे की शिक्षा में भी रुकावट उत्पन्न होती है । घर के अन्य सदस्यों को मानसिक तनाव बना रहता है । साथ ही धन का आना-जाना लगा रहता है ।।
यदि इसी मुख वाली दुकान हो तो प्राय: वहां लक्ष्मी नहीं ठहरती । परन्तु परिश्रम के द्वारा यश-प्रतिष्ठा कि प्राप्ति एवं जीवन में उन्नति होती है । लेकिन धन का ठहराव प्राय: नहीं के बराबर होता है ।।
आइये अब बात करते हैं अग्रि कोण की । पूर्व एवं दक्षिण दिशाओं के मध्य इस दिशा में अग्रि तत्व माना गया है । इस दिशा का संबंध स्वास्थ्य से होता है । यदि यह दिशा दूषित हो तो इसमें रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति का स्वास्थ्य प्राय: किसी न किसी रूप में खराब होता ही रहता है ।।
कभी-कभी ऐसा भी देखा गया है, कि इसमें रहने वाले लोगों के पास से रोग जाने का नाम तक नहीं लेता । ऐसी स्थिति में सदैव ही घर का कोई न कोई सदस्य बीमार ही रहता है ।।
अगर उत्तर दिशा की बात करें तो यह दिशा मातृभाव की दिशा मानी जाती है । इस दिशा में जल तत्व का होना माना गया है । उत्तर दिशा में खाली स्थान होना चाहिए । यह दिशा कुबेर की भी दिशा मानी जाती है ।।
यह दिशा धन-धान्य, सुख-सम्पत्ति तथा जीवन में सभी प्रकार का सुख देनेवाली मानी जाती है । यह दिशा स्थिरता की भी सूचक होती है । विद्या अध्ययन, चिंतन, मनन के लिये यह उपयुक्त मानी गयी है ।।
इतना ही नहीं कोई भी ज्ञान संबंधी कार्य को इस ओर मुख करके करने से पूर्ण लाभ होता है । उत्तर मुखी दरवाजे एवं खिड़कियां होने से कुबेर की सीधी दृष्टि पड़ती घर पर होती है ।।
अब बात करते हैं ईशान कोण की । इस दिशा को उत्तर एवं पूर्व दोनों दिशाओं के मध्य होने से ईश्वर की भांति माना गया है । यह दिशा हमें बुद्धि, ज्ञान, विवेक, धैर्य और साहस प्रदान करती है तथा सभी तरह के कष्टों से मुक्त रखती है ।।
यह दिशा यदि दूषित होती है तो घर में तरह-तरह के कष्ट आते रहते हैं । बुद्धि भ्रष्ट होती है और घर में कलहपूर्ण माहौल बना रहता है । प्राय: कन्या संतान अधिक होती है या पुत्र होकर मर जाते हैं ।।
नैर्ऋत्य कोण कि अगर बात करें तो दक्षिण एवं पश्चिम के मध्य नैर्ऋत्य कोण होता है । यह शत्रुओं के भय का नाश करता है । यह चरित्र और मृत्यु का कारण भी होता है । यदि यह दिशा दूषित हो तो इसमें रहने वाले व्यक्ति का चरित्र प्राय: कलुषित होता है ।।
गृह स्वामी को सर्वदा शत्रुओं का भय बना रहता है । अचानक दुर्घटनायें भी होती रहती है । यही कोण अपघात-मृत्यु होने का सूचक भी होता है । इसमें दोष होने से प्राय: भूत प्रेतों के होने की शंका भी बनी रहती है ।।
वायव्य कोण पश्चिम एवं उत्तर के मध्य स्थित होता है और यह दिशा वायव्य कोण कहलाती है । यह वायु का स्थान माना जाता है । यह दिशा हमें दीर्घायु, स्वास्थ्य एवं शक्ति प्रदान करती है ।।
यह दिशा व्यवहार में परिवर्तन की सूचक भी होती है । यदि यह दिशा दूषित हो तो मित्र शत्रु बन जाते हैं । शक्ति का ह्रास होता है और आयु क्षीण होती है । जातक के अच्छे व्यवहार में परिवर्तन हो जाता है तथा उसमें घमंड की मात्रा भी बढ़ जाती है ।।
दक्षिण दिशा की अगर हम बात करें तो दक्षिण दिशा को पृथ्वी तत्व माना गया है । यह दिशा मृत्यु के देवता यम की दिशा है तथा यह धैर्य का भी स्वरूप होता है । यह दिशा समस्त बुराइयों का नाश करती है और सब प्रकार की अच्छी बातें भी सूचित करती है ।।
या दिशा दूषित हो तो शत्रु भय भी बना रहता है । यह दिशा रोग भी प्रदान करती है इसलिए इस दिशा को बंद रखना ही श्रेयस्कर होता है । यदि इस दिशा में स्थित दरवाजे या खिड़कियों को बंद रखें तो बहुत-सी बातों का लाभ होता है ।।
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, वास्तु शास्त्र में दिशाओं का अत्यंत महत्व होता है । क्योंकि प्रकृति का संबंध दिशाओं के साथ ही होता है । प्रकृति के विरुद्ध चलने पर तरह-तरह के कष्टों को झेलना पड़ता है ।।
अत: दिशाओं के संबंध में ज्ञान होना अति आवश्यक है । क्योंकि समस्याओं को तो मकान में रहने वाला ही झेलता है । यदि उसे दिशाओं के महत्व का ज्ञान होगा, तब वह बहुत आसानी से अपनी समस्याओं का समाधान कर सकता है ।।
सर्वप्रथम पूर्व दिशा के विषय में जानते हैं । यह दिशा अग्रि तत्व को प्रभावित करती है । यह सूर्योदय की दिशा होती है । यह पितृ स्थान की सूचक भी है । इस दिशा को बंद कर देने से सर्वप्रथम तो सूर्य की किरणों का गृह में प्रवेश रुक जाता है ।।
इसके वजह से और भी तरह-तरह की व्याधियां उत्पन्न होने लगती हैं । मान-सम्मान की हानि, कर्ज का बोझ बढ़ना तथा पितृदोष भी लग जाता है । अर्थात मृत पितृगणों का आशीर्वाद भी प्राय: जातक को नहीं मिलता ।।
घर में मांगलिक कार्यों में बाधाएं या रुकावटें उत्पन्न होने लगती हैं । प्राय: गृह निर्माण के पांच-छ: वर्ष के बीच में घर के मुखिया का देहांत भी संभवत: हो सकता है ।।
अगर पश्चिम दिशा की बात करें तो यह दिशा वायु तत्व की सूचक होती है । इसका देवता वायु चंचलता का सूचक होता है । यदि घर का दरवाजा पश्चिमाभिमुखी है तो इसमें रहने वाले का मन सर्वदा चंचल बना रहता है ।।
उसे किसी भी कार्य में प्राय: पूर्ण रूप से सफलता नहीं मिलती । बच्चे की शिक्षा में भी रुकावट उत्पन्न होती है । घर के अन्य सदस्यों को मानसिक तनाव बना रहता है । साथ ही धन का आना-जाना लगा रहता है ।।
यदि इसी मुख वाली दुकान हो तो प्राय: वहां लक्ष्मी नहीं ठहरती । परन्तु परिश्रम के द्वारा यश-प्रतिष्ठा कि प्राप्ति एवं जीवन में उन्नति होती है । लेकिन धन का ठहराव प्राय: नहीं के बराबर होता है ।।
आइये अब बात करते हैं अग्रि कोण की । पूर्व एवं दक्षिण दिशाओं के मध्य इस दिशा में अग्रि तत्व माना गया है । इस दिशा का संबंध स्वास्थ्य से होता है । यदि यह दिशा दूषित हो तो इसमें रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति का स्वास्थ्य प्राय: किसी न किसी रूप में खराब होता ही रहता है ।।
कभी-कभी ऐसा भी देखा गया है, कि इसमें रहने वाले लोगों के पास से रोग जाने का नाम तक नहीं लेता । ऐसी स्थिति में सदैव ही घर का कोई न कोई सदस्य बीमार ही रहता है ।।
अगर उत्तर दिशा की बात करें तो यह दिशा मातृभाव की दिशा मानी जाती है । इस दिशा में जल तत्व का होना माना गया है । उत्तर दिशा में खाली स्थान होना चाहिए । यह दिशा कुबेर की भी दिशा मानी जाती है ।।
यह दिशा धन-धान्य, सुख-सम्पत्ति तथा जीवन में सभी प्रकार का सुख देनेवाली मानी जाती है । यह दिशा स्थिरता की भी सूचक होती है । विद्या अध्ययन, चिंतन, मनन के लिये यह उपयुक्त मानी गयी है ।।
इतना ही नहीं कोई भी ज्ञान संबंधी कार्य को इस ओर मुख करके करने से पूर्ण लाभ होता है । उत्तर मुखी दरवाजे एवं खिड़कियां होने से कुबेर की सीधी दृष्टि पड़ती घर पर होती है ।।
अब बात करते हैं ईशान कोण की । इस दिशा को उत्तर एवं पूर्व दोनों दिशाओं के मध्य होने से ईश्वर की भांति माना गया है । यह दिशा हमें बुद्धि, ज्ञान, विवेक, धैर्य और साहस प्रदान करती है तथा सभी तरह के कष्टों से मुक्त रखती है ।।
यह दिशा यदि दूषित होती है तो घर में तरह-तरह के कष्ट आते रहते हैं । बुद्धि भ्रष्ट होती है और घर में कलहपूर्ण माहौल बना रहता है । प्राय: कन्या संतान अधिक होती है या पुत्र होकर मर जाते हैं ।।
नैर्ऋत्य कोण कि अगर बात करें तो दक्षिण एवं पश्चिम के मध्य नैर्ऋत्य कोण होता है । यह शत्रुओं के भय का नाश करता है । यह चरित्र और मृत्यु का कारण भी होता है । यदि यह दिशा दूषित हो तो इसमें रहने वाले व्यक्ति का चरित्र प्राय: कलुषित होता है ।।
गृह स्वामी को सर्वदा शत्रुओं का भय बना रहता है । अचानक दुर्घटनायें भी होती रहती है । यही कोण अपघात-मृत्यु होने का सूचक भी होता है । इसमें दोष होने से प्राय: भूत प्रेतों के होने की शंका भी बनी रहती है ।।
वायव्य कोण पश्चिम एवं उत्तर के मध्य स्थित होता है और यह दिशा वायव्य कोण कहलाती है । यह वायु का स्थान माना जाता है । यह दिशा हमें दीर्घायु, स्वास्थ्य एवं शक्ति प्रदान करती है ।।
यह दिशा व्यवहार में परिवर्तन की सूचक भी होती है । यदि यह दिशा दूषित हो तो मित्र शत्रु बन जाते हैं । शक्ति का ह्रास होता है और आयु क्षीण होती है । जातक के अच्छे व्यवहार में परिवर्तन हो जाता है तथा उसमें घमंड की मात्रा भी बढ़ जाती है ।।
दक्षिण दिशा की अगर हम बात करें तो दक्षिण दिशा को पृथ्वी तत्व माना गया है । यह दिशा मृत्यु के देवता यम की दिशा है तथा यह धैर्य का भी स्वरूप होता है । यह दिशा समस्त बुराइयों का नाश करती है और सब प्रकार की अच्छी बातें भी सूचित करती है ।।
या दिशा दूषित हो तो शत्रु भय भी बना रहता है । यह दिशा रोग भी प्रदान करती है इसलिए इस दिशा को बंद रखना ही श्रेयस्कर होता है । यदि इस दिशा में स्थित दरवाजे या खिड़कियों को बंद रखें तो बहुत-सी बातों का लाभ होता है ।।
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