Header Ads Widget

वर-बधू की कुण्डली मिलान में बृहस्पति ग्रह की भूमिका ।।

वर-बधू की कुण्डली मिलान में बृहस्पति ग्रह की भूमिका ।। Kundali Milan Me Guru Ki Bhumika.


हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,

मित्रों, जब भी आप किसी जोड़े की कुण्डली मिलान करें या गुण मिलान करें तो गुरु को अवश्य ध्यान से देखें । गहराई से गुरु की स्थिति का अध्ययन करना आवश्यक होता है ।।

सर्वप्रथम यह देखें की यदि कन्या धर्मपरायण है और वर विपरित प्रवृति का है तो भी बैमनस्य उत्पन्न हो सकता है । अत दोनों की कुण्डलियों में नवम भाव में बृहस्पति ग्रह की स्थिति और बल दोनों का अध्ययन ध्यान से करें ।।

क्योंकि गुरु यदि नवम भाव में हो तो ऐसी स्थिति में उसका गहराई से अवलोकन करना अति आवश्यक हो जाता है । विवाह के उपरांत संतान की कामना भी स्वभाविक होती है ।।

बृहस्पति ग्रह को एक स्त्री की कुण्डली में उसके संतान का कारक ग्रह माना जाता है । यदि वर का यह पक्ष दुर्बल हो तो फिर कन्या का भी दुर्बल होना चाहिए ।।

क्योंकि पति-पत्नि के आपसी रिश्तों की मजबूरी का कारण शुक्र तथा व्ययेश ग्रह माना जाता है । इस पक्ष के गहन विश्लेषण की आवश्यकता आज के युग में अति महत्वपूर्ण हो गया है ।।

ज्योतिष के सभी पहलू पर विस्तृत समझाकर बताया गया बहुत सा हमारा विडियो हमारे  YouTube के चैनल पर देखें । इस लिंक पर क्लिक करके हमारे सभी विडियोज को देख सकते हैं - Click Here & Watch My YouTube Channel.

इस तरह की अन्य बहुत सारी जानकारियों, ज्योतिष के बहुत से लेख, टिप्स & ट्रिक्स पढने के लिये हमारे ब्लॉग एवं वेबसाइट पर जायें तथा हमारे फेसबुक पेज को अवश्य लाइक करें, प्लीज - My facebook Page.

वास्तु विजिटिंग के लिये तथा अपनी कुण्डली दिखाकर उचित सलाह लेने एवं अपनी कुण्डली बनवाने अथवा किसी विशिष्ट मनोकामना की पूर्ति के लिए संपर्क करें ।।

किसी भी तरह के पूजा-पाठ, विधी-विधान, ग्रह दोष शान्ति आदि के लिए तथा बड़े से बड़े अनुष्ठान हेतु योग्य एवं विद्वान् ब्राह्मण हमारे यहाँ उपलब्ध हैं ।।

संपर्क करें:- बालाजी ज्योतिष केन्द्र, गायत्री मंदिर के बाजु में, मेन रोड़, मन्दिर फलिया, आमली, सिलवासा ।।

WhatsAap & Call: +91 - 8690 522 111.
E-Mail :: astroclassess@gmail.com

Post a Comment

0 Comments