लव मैरिज अथवा प्रेम विवाह के योग ।। Love Marriage Yoga in Horoscope.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, किसी भी व्यक्ति की कुंडली में पाँचवें भाव से प्रणय संबंधों का पता चलता है । जबकि सातवाँ भाव विवाह से संबंधित होती है । शुक्र सातवें भाव का कारक ग्रह माना जाता है ।।
अतः जब पंचमेश-सप्तमेश एवं शुक्र का शुभ संयोग होता है तो पति-पत्नी दोनों में गहरा स्नेह संबंध होता है । जन्म कुण्डली में ग्रहों की ऐसी स्थिति से जातक के जीवन में प्रेम विवाह भी संभव हो सकता है ।।
जन्म कुण्डली में मंगल और शुक्र की युति हो तो भी इस प्रकार के संयोग बनते हैं । मंगल, शुक्र की परस्पर दृष्टि संयोग भी प्रेम विवाह का परिचायक होता है ।।
शुक्र विवाह का कारक ग्रह और सप्तमेश विवाह का कारक भाव ये दोनों ग्रह साथ में होकर जन्म कुण्डली के पाँचवें भाव में बैठे हों तो भी ऐसे जातक के जीवन में प्रेम विवाह संभव होता है ।।
पंचमेश और सप्तमेश का राशि परिवर्तन हो तो भी जातक के जीवन में प्रेम विवाह संभव होता है । अर्थात यदि पाँचवें घर में बैठे ग्रह की राशि सातवें घर में बैठी हो और सप्तम घर में बैठे ग्रह की राशि पाँचवें घर में बैठे तो यह संयोग बनता है ।।
यदि जन्म कुण्डली के पंचम भाव में अथवा सप्तम भाव में यदि सूर्य एवं हर्षल की युति हो तो भी ऐसे जातक के जीवन में प्रेम विवाह संभव हो सकता है ।।
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अतः जब पंचमेश-सप्तमेश एवं शुक्र का शुभ संयोग होता है तो पति-पत्नी दोनों में गहरा स्नेह संबंध होता है । जन्म कुण्डली में ग्रहों की ऐसी स्थिति से जातक के जीवन में प्रेम विवाह भी संभव हो सकता है ।।
जन्म कुण्डली में मंगल और शुक्र की युति हो तो भी इस प्रकार के संयोग बनते हैं । मंगल, शुक्र की परस्पर दृष्टि संयोग भी प्रेम विवाह का परिचायक होता है ।।
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पंचमेश और सप्तमेश का राशि परिवर्तन हो तो भी जातक के जीवन में प्रेम विवाह संभव होता है । अर्थात यदि पाँचवें घर में बैठे ग्रह की राशि सातवें घर में बैठी हो और सप्तम घर में बैठे ग्रह की राशि पाँचवें घर में बैठे तो यह संयोग बनता है ।।
यदि जन्म कुण्डली के पंचम भाव में अथवा सप्तम भाव में यदि सूर्य एवं हर्षल की युति हो तो भी ऐसे जातक के जीवन में प्रेम विवाह संभव हो सकता है ।।
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