भुत-प्रेत से ग्रसित व्यक्ति के लक्षण एवं उसे भगाने के सरल उपाय ।। Pret Badha Se Nivaran Ka Aasan Upay Totaka.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, कल एक जन हमारे पास आए और कहने लगे कि गुरुजी मेरा बेटा अजीब सी हरकतें करता है । बोलता है, कि मैं तेरा पहले का मरा हुआ बेटा हूं और मुझे मेरे लिए उतारा करो और यह करो वह करो पता नहीं कितना सारा उपाय बतलाया ।।
फिर वो अपने गांव राजस्थान गए वहां उन्होंने उन सारे उपायों को भी किया जितना उसने बतलाया था । उनका जो बेटा अभी प्रजेंट टाइम में है वह बेटा तरह तरह की हरकतें करता है । बोलने लगे, कि इतना बड़ा बेड़ जो 10 लोग मिलकर उठाते हैं वह अकेले उठा लेता है ।।
बहुत तरह की उसकी हरकतें उन्होंने मुझे बतायी । जो लोग मीडिया चैनल में और ए.सी. रूम में बैठकर के बातें कुछ भी कर लेते हैं । परंतु असल में जिसके सर पर यह गुजरता है, वही इस दर्द को समझता है ।।
इसलिए आइए आज हम इसी विषय में बात करेंगे । क्योंकि इस तरह की कोई भी अगर क्रिएटिविटी आपके यहां या आजू-बाजू में आस-पड़ोस में आपको नजर आए तो आप इस उपाय को करके उस के दर्द को कम कर सकते हैं ।।
आइए हम जानते हैं, कि आपको करना क्या है । ऊपरी बाधा के लक्षण, भूत प्रेत भगाने के उपाय, भूत प्रेत बाधा हरण टोटके/मंत्र आदि प्रायः ईश्वर के प्रति आस्थावान व्यक्ति भी यह कहने में दो पल नहीं लगाते कि भूत-प्रेत कुछ नहीं होता है, सब मन का भ्रम है ।।
परन्तु तर्क सम्मत तथ्य यह है, कि यदि हम ईश्वर को मानते हैं तो पैशाचिक शक्ति को भी मानना ही पड़ेगा । क्योंकि ये दोनों विपरीत गुण-धर्मों वाली शक्तियाँ अथवा ऊर्जा के स्रोत हैं । सनातन धर्म दर्शन जिसे हम हिन्दू धर्म कहते हैं पुनर्जन्म के सिद्धान्त पर आधारित है ।।
हमारे यहाँ आत्मा को अजर-अमर मानते हुए उसे कर्मों के अनुसार फलाफल प्राप्त होने की बात कही गई है । आत्मा एक शरीर का त्याग करती है तथा नूतन वस्त्र की तरह दूसरा देह धारण कर लेती है ।।
परंतु मध्य में कहीं यह तार टूट जाए, तो आत्मा तुरंत जन्म नहीं लेती अपितु प्रेत योनि में चली जाती है । यह एक कैद की तरह होता है, यदि कर्म अच्छे हुए तो कुछ अंतराल बाद वह स्वयमेव मुक्त हो जाता है अन्यथा हजारों वर्षों तक भटकता रहता है ।।
इस कष्टप्रद योनि में कामनाएँ मानवीय ही होती हैं परंतु भोग के लिए शरीर नहीं होता है । इस तरह की आत्मा सदैव मानव शरीर की ताक में रहती है । पवित्र, मजबूत आत्म शक्ति वाले लोगों के पास भी यह नहीं फटकती, परंतु अशुचिता वाले स्थान पर, बच्चों, महिलाओं, किशोरों, युवकों को यह अक्सर अपने चपेट में ले लेती है ।।
ऐसे कई किस्से हैं जिनमें कहा जाता है, कि अमुक व्यक्ति शौच के लिए गया, वहाँ से लौटा तो उसका व्यवहार विचित्र हो गया । अथवा किसी पुराने पेड़ के पास बच्चे ने सू सू कर दिया उसके बाद उसकी तबियत बिगड़ गई । यह सब ऊपरी बाधा के लक्षण होते हैं, जिसके पीछे अशरीरी आत्माएँ होती हैं ।।
ऊपरी बाधा के लक्षणों के विषय में जानते हैं । अशरीरी आत्माओं को विभिन्न वर्ग में रखा जाता है, जैसे भूत-प्रेत, डाकिनी, शाकिनी, चुड़ैल, राक्षस, पिशाच आदि । ये सभी आत्माओं की अलग-अलग अवस्थाएं हैं जिनसे प्रभावित होने पर अलग-अलग लक्षण प्रगट होते हैं । कुछ प्रमुख लक्षण आपलोगों को बताते हैं ।।
भूत बाधा से ग्रस्त मनुष्य की आंखे लाल हो जाती हैं । शरीर काँपता है तथा उसका आचरण विक्षिप्तों के समान हो जाता है । उसके जिस्म में अचानक इतनी ताकत आ जाती है, कि वह किसी को भी उठाकर फेंक दें । विषय का ज्ञान न होने पर भी पंडितों की तरह बात कर सकता है ।।
पिशाच से प्रभावित इंसान के शरीर से दुर्गंध आती है । वह अत्यधिक कठोर वचन बोलता है । उसे एकांत प्रिय होता है और किसी के भी सम्मुख नग्न हो सकता है । ऐसे लोगों को अत्यधिक भूख लगती है ।।
यक्ष से त्रस्त व्यक्ति अचानक लाल रंग पसंद करने लगता है । बहुत कम या बहुत धीमे स्वर में बात करता है । प्रायः अपनी बात आंखो के इशारे से करता है ।।
प्रेत बाधा ग्रस्त मनुष्य अक्सर ज़ोर-ज़ोर से साँसे लेता है । खूब चीखता है और इधर उधर भागने लगता है । भोजन में रुचि कम हो जाती है और अक्सर कठोर वचन बोलने लगता है ।।
यदि किसी पर चुड़ैल का साया पड़ जाए तो ऐसा व्यक्ति अचानक खूब हृष्ट-पुष्ट हो जाता है । बात-बात पर मुस्कुराता है और मांस भक्षण में इसकी रुचि बढ़ जाती है ।।
शाकिनी का प्रभाव महिलाओं पर होता है । ऐसे में वह बेसुध हो जाती हैं और रोती रहती हैं तथा उनके बदन में कंपन होता है । उपर्युक्त कुछ लक्षण हिस्टीरिया नामक रोग से मिलते जुलते हैं । अतएव सर्वप्रथम चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है ।।
परन्तु अगर चिकित्सक के द्वारा दी गयी दवाएं बेअसर साबित हो रही हों तथा लक्षण दिन प्रति दिन उग्र होते जा रहे हों तो निश्चित ही यह ऊपरी बाधा के संकेत हैं ।।
इस प्रकार की प्रेत बाधायें हों तो इनसे निवारण का उपाय क्या है ? आपको शनिवार अथवा मंगलवार को श्वेत अपराजिता तथा जावित्री के पत्तों का रस नस्य के रूप में लें । इस से डाकिनी-शाकिनी का दुष्प्रभाव दूर होता है ।।
पौष माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को विशाखा नक्षत्र में सर्वप्रथम पीपल की जड़ को अपने यहाँ आने के लिए आमंत्रित करें । अगले दिन रात में पीपल की जड़ लेकर आएँ, निर्वसन स्नान करें, पुनः धूप दीप दिखाकर उसकी पूजा करें । फिर उस जड़ को पीड़ित व्यक्ति की भुजा में ताबीज की भांति बांध दें, ऐसा करने से प्रेत बाधा दूर होती है ।।
घोड़े के खुर की नख अश्विनी नक्षत्र में लेकर आएँ, पुनः उसे आग में जलाकर धुनी दें । इस से भूत-प्रेत की बाधा दूर हो जाती है । शनिवार के दिन काले धतूरे की जड़ पीड़ित व्यक्ति के दाहिनी बांह पर बांध दें । यदि वह स्त्री है तो धतूरे की जड़ उसकी बाईं बांह पर बांधे ।।
चाँदी की छोटी सी गुड़ियाँ बनवाएँ, रात के समय एक किलो चावल, पाव भर चीनी, लाल कपड़ा तथा एक नारियल सभी वस्तुएँ (गुड़िया सहित) पीड़ित के ऊपर से उसारकर श्मशान में रख दें । सवा गज लाल कपड़ा, चाँदी का एक रुपया, एक किलो चावल तथा एक किलो तिल किसी बर्तन में रखकर पीड़ित के ऊपर से उसारकर बर्तन को किसी नदी के किनारे रख दें ।।
उड़द की दाल से बने दहीबड़े विषम संख्या में लेकर पीड़ित के ऊपर से उसार दें तथा काले कुत्ते को खिला दें । ध्यान रखें वह काला कुत्ता पालतू न हो ।।
भूत प्रेत का दोष है और उसे भगाने के लिये मन्त्रों की बात करें तो पहला मन्त्र इसको प्रयोग कर सकते हैं । "ऊँ ऐं हीं श्रीं हीं हूं हैं ऊँ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय भूत-प्रेत पिशाच-शाकिनी-डाकिनी यक्षणी-पूतना-मारी-महामारी, यक्ष राक्षस भैरव बेताल ग्रह राक्षसादिकम क्षणेन हन हन भंजय भंजय मारय मारय शिक्षय शिक्षय महामारेश्रवर रूद्रावतार हुं फट स्वाहा" ।।
यह हनुमान जी का मंत्र थोडा कठिन तथा लंबा भी है परंतु इसका असर अचूक होता है । 108 बार इस मंत्र को जपते हुए जल को अभिमंत्रित करें तथा पीड़ित को कुछ जल पिलाने के बाद इस जल से छींटे मारें । हर प्रकार की ऊपरी बाधा से इस मन्त्र के प्रभाव से मुक्ति मिल जाती है ।।
दूसरा मन्त्र (यह मन्त्र उत्तरी बिहार में बहुत प्रसिद्द है) "तेल नीर, तेल पसार चौरासी सहस्र डाकिनीर छेल, एते लरेभार मुइ तेल पडियादेय अमुकार (नाम) अंगे अमुकार (नाम) भार आडदन शूले यक्ष्या-यक्षिणी, दैत्या-दैत्यानी, भूता-भूतिनी, दानव-दानिवी, नीशा चौरा शुचि-मुखा गारुड तलनम वार भाषइ, लाडि भोजाइ आमि पिशाचि अमुकार (नाम) अंगेया, काल जटार माथा खा ह्रीं फट स्वाहा ।।
परन्तु इस मन्त्र का प्रयोग करने से पहले सर्वप्रथम किसी शुभ मुहूर्त (ग्रहण काल आदि) में उपर्युक्त मंत्र को 10 हजार बार जपकर सिद्ध कर लें । एक कटोरी में सरसो का तेल लेकर 21 बार इस मंत्र का जप करें तथा फूँक मारें । यह अभिमंत्रित तेल पीड़ित के ऊपर छिड़कें । मन्त्र - सिद्धि गुरुर चरण राडिर कालिकार आज्ञा ।।
अपने सामने भूत-प्रेत बाधाग्रस्त व्यक्ति को बैठाएँ, हाथ में मोरपंख रखें । अब निम्नलिखित मंत्र को बुदबुदाएँ तथा मोरपंख से पीड़ित को झाड़ें । मन्त्र - बांधों भूत जहाँ तू उपजो छाड़ो गिर पर्वत चढ़ाई सर्ग दुहेली तू जमी झिलमिलाही हुंकारों हनुमंत पचारई सभी जारि जारि भस्म करें जो चापें सींउ ।।
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, कल एक जन हमारे पास आए और कहने लगे कि गुरुजी मेरा बेटा अजीब सी हरकतें करता है । बोलता है, कि मैं तेरा पहले का मरा हुआ बेटा हूं और मुझे मेरे लिए उतारा करो और यह करो वह करो पता नहीं कितना सारा उपाय बतलाया ।।
फिर वो अपने गांव राजस्थान गए वहां उन्होंने उन सारे उपायों को भी किया जितना उसने बतलाया था । उनका जो बेटा अभी प्रजेंट टाइम में है वह बेटा तरह तरह की हरकतें करता है । बोलने लगे, कि इतना बड़ा बेड़ जो 10 लोग मिलकर उठाते हैं वह अकेले उठा लेता है ।।
बहुत तरह की उसकी हरकतें उन्होंने मुझे बतायी । जो लोग मीडिया चैनल में और ए.सी. रूम में बैठकर के बातें कुछ भी कर लेते हैं । परंतु असल में जिसके सर पर यह गुजरता है, वही इस दर्द को समझता है ।।
इसलिए आइए आज हम इसी विषय में बात करेंगे । क्योंकि इस तरह की कोई भी अगर क्रिएटिविटी आपके यहां या आजू-बाजू में आस-पड़ोस में आपको नजर आए तो आप इस उपाय को करके उस के दर्द को कम कर सकते हैं ।।
आइए हम जानते हैं, कि आपको करना क्या है । ऊपरी बाधा के लक्षण, भूत प्रेत भगाने के उपाय, भूत प्रेत बाधा हरण टोटके/मंत्र आदि प्रायः ईश्वर के प्रति आस्थावान व्यक्ति भी यह कहने में दो पल नहीं लगाते कि भूत-प्रेत कुछ नहीं होता है, सब मन का भ्रम है ।।
परन्तु तर्क सम्मत तथ्य यह है, कि यदि हम ईश्वर को मानते हैं तो पैशाचिक शक्ति को भी मानना ही पड़ेगा । क्योंकि ये दोनों विपरीत गुण-धर्मों वाली शक्तियाँ अथवा ऊर्जा के स्रोत हैं । सनातन धर्म दर्शन जिसे हम हिन्दू धर्म कहते हैं पुनर्जन्म के सिद्धान्त पर आधारित है ।।
हमारे यहाँ आत्मा को अजर-अमर मानते हुए उसे कर्मों के अनुसार फलाफल प्राप्त होने की बात कही गई है । आत्मा एक शरीर का त्याग करती है तथा नूतन वस्त्र की तरह दूसरा देह धारण कर लेती है ।।
परंतु मध्य में कहीं यह तार टूट जाए, तो आत्मा तुरंत जन्म नहीं लेती अपितु प्रेत योनि में चली जाती है । यह एक कैद की तरह होता है, यदि कर्म अच्छे हुए तो कुछ अंतराल बाद वह स्वयमेव मुक्त हो जाता है अन्यथा हजारों वर्षों तक भटकता रहता है ।।
इस कष्टप्रद योनि में कामनाएँ मानवीय ही होती हैं परंतु भोग के लिए शरीर नहीं होता है । इस तरह की आत्मा सदैव मानव शरीर की ताक में रहती है । पवित्र, मजबूत आत्म शक्ति वाले लोगों के पास भी यह नहीं फटकती, परंतु अशुचिता वाले स्थान पर, बच्चों, महिलाओं, किशोरों, युवकों को यह अक्सर अपने चपेट में ले लेती है ।।
ऐसे कई किस्से हैं जिनमें कहा जाता है, कि अमुक व्यक्ति शौच के लिए गया, वहाँ से लौटा तो उसका व्यवहार विचित्र हो गया । अथवा किसी पुराने पेड़ के पास बच्चे ने सू सू कर दिया उसके बाद उसकी तबियत बिगड़ गई । यह सब ऊपरी बाधा के लक्षण होते हैं, जिसके पीछे अशरीरी आत्माएँ होती हैं ।।
ऊपरी बाधा के लक्षणों के विषय में जानते हैं । अशरीरी आत्माओं को विभिन्न वर्ग में रखा जाता है, जैसे भूत-प्रेत, डाकिनी, शाकिनी, चुड़ैल, राक्षस, पिशाच आदि । ये सभी आत्माओं की अलग-अलग अवस्थाएं हैं जिनसे प्रभावित होने पर अलग-अलग लक्षण प्रगट होते हैं । कुछ प्रमुख लक्षण आपलोगों को बताते हैं ।।
भूत बाधा से ग्रस्त मनुष्य की आंखे लाल हो जाती हैं । शरीर काँपता है तथा उसका आचरण विक्षिप्तों के समान हो जाता है । उसके जिस्म में अचानक इतनी ताकत आ जाती है, कि वह किसी को भी उठाकर फेंक दें । विषय का ज्ञान न होने पर भी पंडितों की तरह बात कर सकता है ।।
पिशाच से प्रभावित इंसान के शरीर से दुर्गंध आती है । वह अत्यधिक कठोर वचन बोलता है । उसे एकांत प्रिय होता है और किसी के भी सम्मुख नग्न हो सकता है । ऐसे लोगों को अत्यधिक भूख लगती है ।।
यक्ष से त्रस्त व्यक्ति अचानक लाल रंग पसंद करने लगता है । बहुत कम या बहुत धीमे स्वर में बात करता है । प्रायः अपनी बात आंखो के इशारे से करता है ।।
प्रेत बाधा ग्रस्त मनुष्य अक्सर ज़ोर-ज़ोर से साँसे लेता है । खूब चीखता है और इधर उधर भागने लगता है । भोजन में रुचि कम हो जाती है और अक्सर कठोर वचन बोलने लगता है ।।
यदि किसी पर चुड़ैल का साया पड़ जाए तो ऐसा व्यक्ति अचानक खूब हृष्ट-पुष्ट हो जाता है । बात-बात पर मुस्कुराता है और मांस भक्षण में इसकी रुचि बढ़ जाती है ।।
शाकिनी का प्रभाव महिलाओं पर होता है । ऐसे में वह बेसुध हो जाती हैं और रोती रहती हैं तथा उनके बदन में कंपन होता है । उपर्युक्त कुछ लक्षण हिस्टीरिया नामक रोग से मिलते जुलते हैं । अतएव सर्वप्रथम चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है ।।
परन्तु अगर चिकित्सक के द्वारा दी गयी दवाएं बेअसर साबित हो रही हों तथा लक्षण दिन प्रति दिन उग्र होते जा रहे हों तो निश्चित ही यह ऊपरी बाधा के संकेत हैं ।।
इस प्रकार की प्रेत बाधायें हों तो इनसे निवारण का उपाय क्या है ? आपको शनिवार अथवा मंगलवार को श्वेत अपराजिता तथा जावित्री के पत्तों का रस नस्य के रूप में लें । इस से डाकिनी-शाकिनी का दुष्प्रभाव दूर होता है ।।
पौष माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को विशाखा नक्षत्र में सर्वप्रथम पीपल की जड़ को अपने यहाँ आने के लिए आमंत्रित करें । अगले दिन रात में पीपल की जड़ लेकर आएँ, निर्वसन स्नान करें, पुनः धूप दीप दिखाकर उसकी पूजा करें । फिर उस जड़ को पीड़ित व्यक्ति की भुजा में ताबीज की भांति बांध दें, ऐसा करने से प्रेत बाधा दूर होती है ।।
घोड़े के खुर की नख अश्विनी नक्षत्र में लेकर आएँ, पुनः उसे आग में जलाकर धुनी दें । इस से भूत-प्रेत की बाधा दूर हो जाती है । शनिवार के दिन काले धतूरे की जड़ पीड़ित व्यक्ति के दाहिनी बांह पर बांध दें । यदि वह स्त्री है तो धतूरे की जड़ उसकी बाईं बांह पर बांधे ।।
चाँदी की छोटी सी गुड़ियाँ बनवाएँ, रात के समय एक किलो चावल, पाव भर चीनी, लाल कपड़ा तथा एक नारियल सभी वस्तुएँ (गुड़िया सहित) पीड़ित के ऊपर से उसारकर श्मशान में रख दें । सवा गज लाल कपड़ा, चाँदी का एक रुपया, एक किलो चावल तथा एक किलो तिल किसी बर्तन में रखकर पीड़ित के ऊपर से उसारकर बर्तन को किसी नदी के किनारे रख दें ।।
उड़द की दाल से बने दहीबड़े विषम संख्या में लेकर पीड़ित के ऊपर से उसार दें तथा काले कुत्ते को खिला दें । ध्यान रखें वह काला कुत्ता पालतू न हो ।।
भूत प्रेत का दोष है और उसे भगाने के लिये मन्त्रों की बात करें तो पहला मन्त्र इसको प्रयोग कर सकते हैं । "ऊँ ऐं हीं श्रीं हीं हूं हैं ऊँ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय भूत-प्रेत पिशाच-शाकिनी-डाकिनी यक्षणी-पूतना-मारी-महामारी, यक्ष राक्षस भैरव बेताल ग्रह राक्षसादिकम क्षणेन हन हन भंजय भंजय मारय मारय शिक्षय शिक्षय महामारेश्रवर रूद्रावतार हुं फट स्वाहा" ।।
यह हनुमान जी का मंत्र थोडा कठिन तथा लंबा भी है परंतु इसका असर अचूक होता है । 108 बार इस मंत्र को जपते हुए जल को अभिमंत्रित करें तथा पीड़ित को कुछ जल पिलाने के बाद इस जल से छींटे मारें । हर प्रकार की ऊपरी बाधा से इस मन्त्र के प्रभाव से मुक्ति मिल जाती है ।।
दूसरा मन्त्र (यह मन्त्र उत्तरी बिहार में बहुत प्रसिद्द है) "तेल नीर, तेल पसार चौरासी सहस्र डाकिनीर छेल, एते लरेभार मुइ तेल पडियादेय अमुकार (नाम) अंगे अमुकार (नाम) भार आडदन शूले यक्ष्या-यक्षिणी, दैत्या-दैत्यानी, भूता-भूतिनी, दानव-दानिवी, नीशा चौरा शुचि-मुखा गारुड तलनम वार भाषइ, लाडि भोजाइ आमि पिशाचि अमुकार (नाम) अंगेया, काल जटार माथा खा ह्रीं फट स्वाहा ।।
परन्तु इस मन्त्र का प्रयोग करने से पहले सर्वप्रथम किसी शुभ मुहूर्त (ग्रहण काल आदि) में उपर्युक्त मंत्र को 10 हजार बार जपकर सिद्ध कर लें । एक कटोरी में सरसो का तेल लेकर 21 बार इस मंत्र का जप करें तथा फूँक मारें । यह अभिमंत्रित तेल पीड़ित के ऊपर छिड़कें । मन्त्र - सिद्धि गुरुर चरण राडिर कालिकार आज्ञा ।।
अपने सामने भूत-प्रेत बाधाग्रस्त व्यक्ति को बैठाएँ, हाथ में मोरपंख रखें । अब निम्नलिखित मंत्र को बुदबुदाएँ तथा मोरपंख से पीड़ित को झाड़ें । मन्त्र - बांधों भूत जहाँ तू उपजो छाड़ो गिर पर्वत चढ़ाई सर्ग दुहेली तू जमी झिलमिलाही हुंकारों हनुमंत पचारई सभी जारि जारि भस्म करें जो चापें सींउ ।।
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