कुण्डली के दूसरे भाव में राहु का शुभाशुभ फल ।। Dusare Bhav Me Rahu.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, आज हम बात करेंगे किसी भी जन्म कुंडली के दूसरे भाव में बैठे हुए राहु के शुभ अशुभ फल के विषय में । वैसे तो राहु एक छाया ग्रह माना जाता है । परंतु जन्म कुंडली में यह जिस स्थान या जिस राशि पर बैठता है उसी भावेश या राशिश के अनुसार या उसके स्वभाव के अनुसार शुभाशुभ फल जातक को प्रदान करता है ।।
परंतु प्राकृतिक रूप से राहु अगर कुंडली के दूसरे भाव में बैठा हो तो किस प्रकार का फल देगा इस विषय में आज हम विस्तृत चर्चा करेंगे । दूसरे भाव में बैठा राहु जातक के धन और परिवार के लिए प्रतिकूल होता है । ऐसे जातक की मृत्यु किसी शस्त्र के द्वारा होती है ।।
अगर द्वितियस्थ राहु के प्रभाव के विषय में बात करें तो ऐसे जातक का धार्मिक संस्थाओं की तरफ से मिलनेवाली वस्तुओं पर ही जीवन निर्वाह होता है । परन्तु उसका पारिवारिक जीवन सुखी होता है । उसकी आर्थिक परिस्थिति का आधार कुंडली में गुरु के बैठने के स्थान पर आधारित है कि वह किस स्थान पर बैठा है ।।
वर्ष कुंडली में यदि शनि प्रथम भाव में हो और गुरु अनुकूल हो तो सबकुछ सरलता से चलता रहता है । परंतु कुण्डली में शनि यदि नीच का हो तो उसका विपरीत प्रभाव भी जीवन पर पड़ता है ।।
मित्रों, द्वितियस्थ राहु का शुभ और कुछ अशुभ फल भी होता है । अगर दोष आपके जीवन में हो तो इसका कुछ सहज उपाय आप कर सकते हैं । जैसे चाँदी का एक छोटा सा ठोस गोला पास में रखें । ससुराल से किसी भी प्रकार का कोई विद्युत उपकरण कदापि न स्वीकार करें ।।
इस प्रकार के राहु को ठीक करने के लिये अपनी माता के साथ अच्छा सम्बंध रखें । इससे आपको बहुत लाभ हो सकता है । सोने का एक ठोस गोला पास में रखें अथवा चाँदी की डिबिया में केसर भरकर रखने से भी बहुत लाभ होता है ।।
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मित्रों, आज हम बात करेंगे किसी भी जन्म कुंडली के दूसरे भाव में बैठे हुए राहु के शुभ अशुभ फल के विषय में । वैसे तो राहु एक छाया ग्रह माना जाता है । परंतु जन्म कुंडली में यह जिस स्थान या जिस राशि पर बैठता है उसी भावेश या राशिश के अनुसार या उसके स्वभाव के अनुसार शुभाशुभ फल जातक को प्रदान करता है ।।
परंतु प्राकृतिक रूप से राहु अगर कुंडली के दूसरे भाव में बैठा हो तो किस प्रकार का फल देगा इस विषय में आज हम विस्तृत चर्चा करेंगे । दूसरे भाव में बैठा राहु जातक के धन और परिवार के लिए प्रतिकूल होता है । ऐसे जातक की मृत्यु किसी शस्त्र के द्वारा होती है ।।
अगर द्वितियस्थ राहु के प्रभाव के विषय में बात करें तो ऐसे जातक का धार्मिक संस्थाओं की तरफ से मिलनेवाली वस्तुओं पर ही जीवन निर्वाह होता है । परन्तु उसका पारिवारिक जीवन सुखी होता है । उसकी आर्थिक परिस्थिति का आधार कुंडली में गुरु के बैठने के स्थान पर आधारित है कि वह किस स्थान पर बैठा है ।।
वर्ष कुंडली में यदि शनि प्रथम भाव में हो और गुरु अनुकूल हो तो सबकुछ सरलता से चलता रहता है । परंतु कुण्डली में शनि यदि नीच का हो तो उसका विपरीत प्रभाव भी जीवन पर पड़ता है ।।
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