इस मकर संक्रान्ति यह दान एवं यह उपाय करें ।। Makar Sankranti Parv.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, मकर संक्रांति भगवान सूर्य की उपासना का पर्व होता है । सूर्यदेव जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे ही मकर संक्रांति कहते हैं । मकर संक्रांति पूरे देश में धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है । देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है । कर संक्रांति का पर्व उमंग, हर्ष, उत्साह और हमारी संस्कृति का प्रतीक है । मकर संक्रांति पर सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं ।।
इस दिन के बाद से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं । वहीं इस दिन से मांगलिक एवं शुभ कार्यों की शुरूआत हो जाती है । इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी मंगलवार को है । इसके साथ ही विवाह के शुभ मुहूर्त भी शुरू हो जाएंगे । इस वर्ष 14 जनवरी नहीं बल्कि 15 जनवरी को मकर (तिल) संक्रांति मनाई जाएगी । शुक्ल पक्ष नवमी मंगलवार को भगवान सूर्य का राशि परिवर्तन होगा और वे धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे ।।
सोमवार 14 जनवरी की मध्य रात्रि के उपरान्त सूर्य का मकर में संक्रमण होगा जबकि मंगलवार 15 जनवरी को 10:31 बजे से पुण्यकाल है । इसलिए मंगलवार की सुबह से ही संक्रांति स्नान, दान शुरू हो जाएगा । 14 जनवरी की रात मध्य रात्रि के बाद सूर्य का संक्रमण होने से मंगलवार को ही मकर संक्रांति मनाना शास्त्र सम्मत होगा ।।
इसके पहले भी कई बार 12 और 13 जनवरी को भी मकर संक्रांति मनाई जा चुकी है । एक बार स्वामी विवेकानंद के जन्म पर 12 जनवरी को भी मकर संक्रांति मनाई गयी थी । चूंकि सूर्य का राशि परिवर्तन सूर्यास्त अथवा अर्द्ध रात्रि के बाद होगा, इस लिये पुण्यकाल और मकर संक्रांति 15 जनवरी को दान पुण्य किया जायेगा ।।
मकर संक्रांति के साथ ही सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायन हो जाएंगे । इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6:42 से 9:25 बजे तक रहेगा । इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग होने की वजह से स्नान दान का खास महत्व होगा । मकर संक्रांति के दिन सूर्य की उपासना अत्यंत शुभ फलदायक माना गया है ।।
सूर्यदेव को सभी नौ ग्रहों में सबसे ज्यादा शक्तिशाली और प्रभावशाली माना जाता है । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य न्याय के देवता शनि देव के पिता हैं । सूर्य देव किसी भी जातक को सरकारी नौकरी दिलाने में अहम भूमिका निभाते हैं । साथ ही किसी भी व्यक्ति के जीवन में यश एवं प्रतिष्ठा का कारक भी सूर्य ही होते हैं ।।
इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए बेहद खास माना गया है । इस बार संक्रांति का वाहन सिंह एवं उपवाहन गज (हाथी) होगा । वर्ष 2019 में संक्रांति श्वेत वस्त्र धारण किए स्वर्ण-पात्र में अन्न ग्रहण करते हुए कुंकुम का लेप किए हुए उत्तर दिशा की ओर जाती हुई आ रही है । जिस जातक की कुंडली में सूर्य ग्रह शुभ स्थिति में होता है वह उच्चपद प्राप्त करता है । साथ ही सूर्य के प्रभाव से उसकी ख्याति और प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है । सूर्य देव सिंह राशि के स्वामी ग्रह भी हैं । सूर्य की दशा 6 वर्ष होती है एवं सूर्य का रत्न माणिक्य माना जाता है ।।
सूर्य की प्रिय वस्तुएं गाय, गुड़, और लाल वस्त्र आदि हैं । तांबा और सोना को सूर्य की प्रिय धातु माना गया है । ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं, यह अत्यंत शुभ फलदायक साबित होते हैं । शास्त्रों में सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए रविवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है । रविवार के दिन गेहूं और गुड़ गाय को खिलाने या किसी ब्राहमण को दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है और साथ ही सूर्य मजबूत होता है ।।
विष्णु पुराण के अनुसार रविवार के दिन सूर्य देव को आक का एक फूल श्रद्धा पूर्वक अर्पित करने से मनुष्य को 10 अशर्फियों के दान का फल मिलता है । इतना ही नहीं इस फूल को नियमित चढ़ाने से व्यक्ति करोड़पति बन सकता है । भगवान सूर्य को खुश करने के लिए रात के समय कदंब और मुकुल के फूल अर्पित करना श्रेयस्कर माना जाता है । सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए बेला का फूल ही एक ऐसा फूल है जिसे दिन या रात किसी वक्त चढ़ा सकते हैं ।।
इसके अलावा कुछ फूल ऐसे भी हैं, जिसे सूर्य देव को कदापि नहीं चढ़ाना चाहिए । ये पुष्प हैं गुंजा, धतूरा, अपराजिता और तगर आदि । मकर संक्रांति के दिन नदियों, सरोवरों तथा समुद्र के किनारे मेले आदि का आयोजन होता है । लोग पवित्र नदियों में स्नान कर सूर्य देव को अर्ध्य अर्पित कर सूर्योपासना करते हैं और खिचड़ी तथा तिल के व्यंजनों का सेवन करते हैं ।।
इस दिन विभिन्न स्थानों में पतंग महोत्सव विशेषकर गुजरात में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है । आज के समय में गुजरात के गांधीनगर एवं अहमदाबाद में इंटर्नेशनल पतंगोत्सव का आयोजन होता है । मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व होता है । इस दिन दान में आटा, दाल, चावल, खिचड़ी और तिल के लड्डू विशेष रूप से गरीबों एवं ब्राह्मणों को दान करना श्रेयस्कर माना जाता है ।।

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मित्रों, मकर संक्रांति भगवान सूर्य की उपासना का पर्व होता है । सूर्यदेव जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे ही मकर संक्रांति कहते हैं । मकर संक्रांति पूरे देश में धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है । देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है । कर संक्रांति का पर्व उमंग, हर्ष, उत्साह और हमारी संस्कृति का प्रतीक है । मकर संक्रांति पर सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं ।।
इस दिन के बाद से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं । वहीं इस दिन से मांगलिक एवं शुभ कार्यों की शुरूआत हो जाती है । इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी मंगलवार को है । इसके साथ ही विवाह के शुभ मुहूर्त भी शुरू हो जाएंगे । इस वर्ष 14 जनवरी नहीं बल्कि 15 जनवरी को मकर (तिल) संक्रांति मनाई जाएगी । शुक्ल पक्ष नवमी मंगलवार को भगवान सूर्य का राशि परिवर्तन होगा और वे धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे ।।
सोमवार 14 जनवरी की मध्य रात्रि के उपरान्त सूर्य का मकर में संक्रमण होगा जबकि मंगलवार 15 जनवरी को 10:31 बजे से पुण्यकाल है । इसलिए मंगलवार की सुबह से ही संक्रांति स्नान, दान शुरू हो जाएगा । 14 जनवरी की रात मध्य रात्रि के बाद सूर्य का संक्रमण होने से मंगलवार को ही मकर संक्रांति मनाना शास्त्र सम्मत होगा ।।
इसके पहले भी कई बार 12 और 13 जनवरी को भी मकर संक्रांति मनाई जा चुकी है । एक बार स्वामी विवेकानंद के जन्म पर 12 जनवरी को भी मकर संक्रांति मनाई गयी थी । चूंकि सूर्य का राशि परिवर्तन सूर्यास्त अथवा अर्द्ध रात्रि के बाद होगा, इस लिये पुण्यकाल और मकर संक्रांति 15 जनवरी को दान पुण्य किया जायेगा ।।
मकर संक्रांति के साथ ही सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायन हो जाएंगे । इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6:42 से 9:25 बजे तक रहेगा । इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग होने की वजह से स्नान दान का खास महत्व होगा । मकर संक्रांति के दिन सूर्य की उपासना अत्यंत शुभ फलदायक माना गया है ।।
सूर्यदेव को सभी नौ ग्रहों में सबसे ज्यादा शक्तिशाली और प्रभावशाली माना जाता है । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य न्याय के देवता शनि देव के पिता हैं । सूर्य देव किसी भी जातक को सरकारी नौकरी दिलाने में अहम भूमिका निभाते हैं । साथ ही किसी भी व्यक्ति के जीवन में यश एवं प्रतिष्ठा का कारक भी सूर्य ही होते हैं ।।
इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए बेहद खास माना गया है । इस बार संक्रांति का वाहन सिंह एवं उपवाहन गज (हाथी) होगा । वर्ष 2019 में संक्रांति श्वेत वस्त्र धारण किए स्वर्ण-पात्र में अन्न ग्रहण करते हुए कुंकुम का लेप किए हुए उत्तर दिशा की ओर जाती हुई आ रही है । जिस जातक की कुंडली में सूर्य ग्रह शुभ स्थिति में होता है वह उच्चपद प्राप्त करता है । साथ ही सूर्य के प्रभाव से उसकी ख्याति और प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है । सूर्य देव सिंह राशि के स्वामी ग्रह भी हैं । सूर्य की दशा 6 वर्ष होती है एवं सूर्य का रत्न माणिक्य माना जाता है ।।
सूर्य की प्रिय वस्तुएं गाय, गुड़, और लाल वस्त्र आदि हैं । तांबा और सोना को सूर्य की प्रिय धातु माना गया है । ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं, यह अत्यंत शुभ फलदायक साबित होते हैं । शास्त्रों में सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए रविवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है । रविवार के दिन गेहूं और गुड़ गाय को खिलाने या किसी ब्राहमण को दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है और साथ ही सूर्य मजबूत होता है ।।
विष्णु पुराण के अनुसार रविवार के दिन सूर्य देव को आक का एक फूल श्रद्धा पूर्वक अर्पित करने से मनुष्य को 10 अशर्फियों के दान का फल मिलता है । इतना ही नहीं इस फूल को नियमित चढ़ाने से व्यक्ति करोड़पति बन सकता है । भगवान सूर्य को खुश करने के लिए रात के समय कदंब और मुकुल के फूल अर्पित करना श्रेयस्कर माना जाता है । सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए बेला का फूल ही एक ऐसा फूल है जिसे दिन या रात किसी वक्त चढ़ा सकते हैं ।।
इसके अलावा कुछ फूल ऐसे भी हैं, जिसे सूर्य देव को कदापि नहीं चढ़ाना चाहिए । ये पुष्प हैं गुंजा, धतूरा, अपराजिता और तगर आदि । मकर संक्रांति के दिन नदियों, सरोवरों तथा समुद्र के किनारे मेले आदि का आयोजन होता है । लोग पवित्र नदियों में स्नान कर सूर्य देव को अर्ध्य अर्पित कर सूर्योपासना करते हैं और खिचड़ी तथा तिल के व्यंजनों का सेवन करते हैं ।।
इस दिन विभिन्न स्थानों में पतंग महोत्सव विशेषकर गुजरात में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है । आज के समय में गुजरात के गांधीनगर एवं अहमदाबाद में इंटर्नेशनल पतंगोत्सव का आयोजन होता है । मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व होता है । इस दिन दान में आटा, दाल, चावल, खिचड़ी और तिल के लड्डू विशेष रूप से गरीबों एवं ब्राह्मणों को दान करना श्रेयस्कर माना जाता है ।।
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