राहु पाप ग्रह और राहु काल की विधि ।। Pap Grah Rahu kaal.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, राहु को प्राकृतिक रूप से एक पाप ग्रह माना जाता है । हमारे ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार राहु ग्रह को सभी शुभ कार्यो में विघ्न-बाधा डालने वाला ग्रह कहा गया है । अत: राहु काल में किसी भी अच्छे कार्य को जैसे यात्रादि को बिलकुल भी शुरू नहीं करना चाहिए । चूँकि ग्रहों के गोचर के क्रम में सभी ग्रहों का अपना एक नियत समय होता है । इसीलिए हर दिन एक निश्चित समय में ही राहु काल होता है ।।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर दिन राहु काल आता है । सूर्योंदय और सूर्यास्त के आधार पर राहुकाल की अवधि का अलग-अलग स्थानों में अंतर होता है । राहु काल प्रातकाल में कभी भी नहीं होता है और हफ्ते के हर दिन इसका अलग अलग समय होता है । ज्योतिषिय गणना के अनुसार यह काल कभी सुबह, कभी दोपहर तो कभी शाम के समय आता है । लेकिन सूर्यास्त से पूर्व ही पड़ता है ।।
सोमवार को यह दिन के दूसरे हिस्से में, शनिवार को तीसरे हिस्से में, शुक्रवार को चौथे हिस्से में, बुधवार को पांचवें हिस्से में, गुरूवार को छठे हिस्से में, मंगलवार को सातवें हिस्से में और रविवार को दिन के आठवें हिस्से में राहु का प्रभाव होता है । राहु काल ज्ञात करने के लिए वैदिक ज्योतिष शास्त्र में एक विशेष नियम बनाया गया है । इसके अनुसार सूर्योदय से सूर्यास्त तक पूरे दिन को आठ बराबर हिस्सों में विभाजित किया जाता है ।।
इसके अनुसार सूर्योदय का समान्य समय प्रात: 6 बजे माना जाता है और सूर्यास्त का शाम को 6 बजे । चूँकि एक दिन 12 घंटे का होता है इसलिये 12 घंटे को 8 से विभाजित किया जाता है । इसके अनुसार सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन का हर भाग 1.5 घंटे का होता है । इसी में एक खास नियत अवधि राहु काल कहलाती है । आप लोगों की सुविधा हेतु राहु काल का प्रत्येक दिन का समय बता रहे है । जिसको ध्यान में रखकर आप अपने सभी कार्यों को अपने अनुसार कर सकते है ।।
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मित्रों, राहु को प्राकृतिक रूप से एक पाप ग्रह माना जाता है । हमारे ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार राहु ग्रह को सभी शुभ कार्यो में विघ्न-बाधा डालने वाला ग्रह कहा गया है । अत: राहु काल में किसी भी अच्छे कार्य को जैसे यात्रादि को बिलकुल भी शुरू नहीं करना चाहिए । चूँकि ग्रहों के गोचर के क्रम में सभी ग्रहों का अपना एक नियत समय होता है । इसीलिए हर दिन एक निश्चित समय में ही राहु काल होता है ।।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर दिन राहु काल आता है । सूर्योंदय और सूर्यास्त के आधार पर राहुकाल की अवधि का अलग-अलग स्थानों में अंतर होता है । राहु काल प्रातकाल में कभी भी नहीं होता है और हफ्ते के हर दिन इसका अलग अलग समय होता है । ज्योतिषिय गणना के अनुसार यह काल कभी सुबह, कभी दोपहर तो कभी शाम के समय आता है । लेकिन सूर्यास्त से पूर्व ही पड़ता है ।।
सोमवार को यह दिन के दूसरे हिस्से में, शनिवार को तीसरे हिस्से में, शुक्रवार को चौथे हिस्से में, बुधवार को पांचवें हिस्से में, गुरूवार को छठे हिस्से में, मंगलवार को सातवें हिस्से में और रविवार को दिन के आठवें हिस्से में राहु का प्रभाव होता है । राहु काल ज्ञात करने के लिए वैदिक ज्योतिष शास्त्र में एक विशेष नियम बनाया गया है । इसके अनुसार सूर्योदय से सूर्यास्त तक पूरे दिन को आठ बराबर हिस्सों में विभाजित किया जाता है ।।
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