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आपका विवाह नहीं हो रहा है, तो गौर से देखिये, क्या ये योग आपकी कुण्डली में हैं ? if Your marriage is not Happening then focus.

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
 Shri Ganeshay Namah.

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मित्रों, किसी भी जातक की जन्मकुण्डली में विवाह के उत्तम योग भी होते हैं और अधम योग के साथ ही विवाह बाधा भी होती ही है । इस बात के प्रमाण के रूप में आज सैकड़ों लोग समाज में हर जगह मिल जायेंगे ।।

आज हम विवाह में बाधक योगों की चर्चा यहाँ विधिवत करेंगे । क्योंकि कल मैंने अपने आर्टिकल में विवाह के उत्तमोत्तम योगों की चर्चा की थी और कहा था की आज बाधक योगों की चर्चा करेंगे ।।

जन्म कुंडली में 6, 8, 12वें स्थानों को अशुभ माना जाता है । मंगल, शनि, राहु-केतु और सूर्य को क्रूर ग्रह माना है । इनके अशुभ स्थिति में होने पर दांपत्य सुख में कमी आती ही है ।।

मित्रों, सप्तम भाव का मालिक ग्रह यदि द्वादश भाव में हो और राहू लग्न में हो तो वैवाहिक सुख में बाधा होता ही है । सप्तम भाव में बैठे राहू के साथ यदि द्वादश भाव के मालिक ग्रह के साथ हो तो वैवाहिक सुख में कमी का होना संभव है ।।

द्वादश भाव में बैठा सप्तम भाव का मालिक और सप्तम भाव में बैठे द्वादश भाव के मालिक ग्रह से यदि राहू की युति हो तो दांपत्य सुख में कमी के साथ ही अलगाव की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है ।।

मित्रों, लग्न में स्थित शनि-राहू भी दांपत्य सुख को जीवन में न्यून कर देते हैं । सप्तमेश यदि छठे, अष्टम या द्वादश भाव में बैठा हो तो वैवाहिक सुख में कमी होना लाजमी हो जाता है ।।

छठे भाव के मालिक का सम्बन्ध यदि द्वितीय अथवा सप्तम भाव से हो या फिर द्वितीय अथवा सप्तम भाव के मालिक से या फिर शुक्र से हो तो दांपत्य जीवन में सुख की कमी होती ही है ।।

मित्रों, कहीं पढ़ा था - छठा भाव न्यायालय का भाव होता है । सप्तमेश यदि छठे भाव के मालिक के साथ छठे भाव में ही बैठा हो या षष्ठेश, सप्तमेश अथवा शुक्र की युति हो तो पति-पत्नी में न्यायिक संघर्ष होता है ।।

यदि विवाह से पहले कुण्डली मिलान करके उपरोक्त दोषों का निवारण करने के बाद विवाह किया जाय तो दांपत्य सुख में आने वाली बाधाओं में कमी आती है और कोई परेशानी नहीं होती है ।।

मित्रों, इसीलिए मैं बार-बार ये बात कहता हूँ, कि विवाह से पहले किसी ज्योतिष विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें । क्योंकि आपकी कुण्डली में कोई भी ग्रह दांपत्य सुख में कमी ला सकता है ।।

आपका वैवाहिक जीवन अच्छा होगा या फिर बुरा अथवा परेशानियों से भरा होगा ये इन बैटन पर निर्भर करता है । सप्तम भाव का स्वामी बुरा है या अच्छा है ।।

मित्रों, सप्तमेश अपने भाव में बैठ कर या किसी दुसरे घर में बैठ कर अपने घर को देख रहा है । सप्तम भाव पर किसी दुसरे पाप ग्रह की दृष्टि है या नही है ।।

कोई पाप ग्रह सप्तम भाव में बैठा है या नही ? यदि सप्तम भाव में सम राशि है या सप्तमेश और शुक्र सम राशि में है ? सप्तमेश बली है ? सप्तम में कोई ग्रह नही है ?

मित्रों, किसी पाप ग्रह की दृष्टि सप्तम भाव और सप्तमेश पर तो नही है ? दूसरे, सातवें और बारहवें घर का मालिक केन्द्र या त्रिकोण में हैं और गुरु से दृष्ट है ? सप्तमेश की स्थिति के आगे के भाव में या सातवें भाव में कोई क्रूर ग्रह तो नहीं है ।।

सप्तमेश शुभ स्थान पर नही हो तो विवाह तक नहीं होने देता । सप्तमेश छ: आठ या बारहवें स्थान पर बैठा हो और अगर अस्त भी हो तो विवाह तक नहीं होने देता ।।

मित्रों, सप्तमेश नीच राशि में हो या फिर सप्तमेश बारहवें भाव में हो और लग्नेश या राशिपति सप्तम में बैठा हो तो जातक का विवाह तक नहीं होने देता ।।

चन्द्र शुक्र साथ हों तथा सप्तम में मंगल और शनि विराजमान हों तो विवाह में बहुत बाधायें आती हैं । शुक्र और मंगल दोनों सप्तम भाव में बैठे हों तो भी विवाह नहीं होने देते ।।

मित्रों, शुक्र मंगल दोनों यदि पंचम या नवम भाव में बैठे हों अथवा शुक्र किसी पाप ग्रह के साथ हो और पंचम या नवें भाव में बैठा हो अथवा शुक्र बुध शनि तीनो ही नीच के हों तो विवाह होने नहीं देते ।।

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मित्रों, इस विडियो में बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् के अध्याय-18वें में वर्णित रज्जू आदि योग फलम् की चर्चा हैं । जिसमें रज्जू योग, मुशल योग, नल योग, माला योग, सर्प योग, शकट योग एवं विहग योग का विस्तृत वर्णन किया गया है - https://youtu.be/NoTHJQUBY00

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हम अपने अगले अंक में विवाह में देरी होने के कुछ मुख्य कारणों के विषय में चर्चा करेंगे । उसके बाद फिर हम इसके कुछ सटीक उपायों, जिससे आपके विवाह में आनेवाली समस्यायें सुलझ जाये इसकी चर्चा करेंगे ।।

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।। नारायण नारायण ।।

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