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विवाह के उत्तम योग कुण्डली में आइये जानें विस्तार से ।।
विवाह के उत्तम योग कुण्डली में आइये जानें विस्तार से ।।
astroclassess.blogspot.com
10:06:00
विवाह के उत्तम योग कुण्डली में आइये जानें विस्तार से ।। Best marriage Yoga in the horoscope.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, आजकल हमारे युवक-युवतियों का उच्च शिक्षा या अच्छा करियर बनाने के चक्कर में अधिक उम्र के हो जाने पर विवाह में काफी विलंब होता है जिसके वजह बहुत प्रोब्लेम्स होते हैं । माता-पिता भी असुरक्षा की भावनावश अपने बच्चों के अच्छे खाने-कमाने और आत्मनिर्भर होने तक विवाह न करने पर सहमत हो जाते हैं, जिसके कारण विवाह में और समस्यायें होती है ।।
इस समस्या के निवारणार्थ अच्छा होगा की किसी अनुभवी ज्योतिषी को अपनी जन्म कुंडली दिखाकर विवाह में बाधक ग्रहदोषों को जानकर उसका निवारण करें करवायें । ज्योतिषीय दृष्टि से जब विवाह योग बनते हैं, तब विवाह टाल देने से आगे चलकर विवाह में बहुत देरी हो जाती है । ऐसे में विवाह को लेकर चिन्ता तो होती ही है ।।
मित्रों, वैसे विवाह में देरी होने का एक कारण बच्चों का मांगलिक होना भी होता है । ऐसे लोगों के विवाह के योग 27, 29, 31, 33, 35 एवं 37वें वर्ष में फिर वापस बनते हैं । जिन युवक-युवतियों के विवाह में विलंब हो जाता है, उनके ग्रहों की स्थिति देखकर वापस विवाह के योग कब बनेंगे जान सकते हैं । और उसके अनुसार फिर हम उस उचित समय का लाभ उठा सकते हैं ।।
जिस वर्ष में गोचर वश शनि और गुरु दोनों ग्रहों की सप्तम भाव अथवा लग्न पर दृष्टि पड़ रही हों तो विवाह के योग बनते हैं । सप्तमेश की महादशा-अंतर्दशा में अथवा शुक्र-गुरु की महादशा-अंतर्दशा में विवाह का प्रबल योग बनता है । सप्तम भाव में स्थित ग्रह या सप्तमेश के साथ बैठे ग्रह की महादशा-अंतर्दशा में भी विवाह संभव होता है ।।
मित्रों, कुछ और अन्य योग आपलोगों के लिए बताता हूँ । लग्नेश, जब गोचर में सप्तम भाव में बैठी की राशि में आये तब विवाह के प्रबल योग बनते हैं । जब शुक्र और सप्तमेश एक साथ हो तो सप्तमेश की दशा-अंतर्दशा में तथा लग्न कुण्डली का लग्न, चंद्र लग्न एवं शुक्र लग्न की कुंडली में सप्तमेश की दशा-अंतर्दशा में जातक का विवाह सम्भव होता है ।।
शुक्र एवं चंद्र में जो भी बली हो + चंद्र राशि की संख्या + अष्टमेश की संख्या जोड़ने पर जो राशि आये उसमें गोचर से गुरु के आने पर विवाह के उत्तम योग बनते हैं । कुण्डली के लग्नेश-सप्तमेश की स्पष्ट राशि के योग की राशि में जब गोचर से गुरु आये एवं दशमेश की महादशा और अष्टमेश के अंतरदशा में जातक का विवाह सम्भव होता है ।।
किसी जातक की जन्मकुण्डली में सप्तमेश-शुक्र हो और उसके घर में जब गोचर से चंद्र और गुरु आयें तथा द्वितीयेश जिस राशि में हो उस ग्रह की दशा-अंतर्दशा में जातक का विवाह सम्भव होता है । हम अपने अगले आर्टिकल में आपलोगों को कुण्डली के कुछ ऐसे दोषों को जो विवाह होने नहीं देते । उसके बाद हम उसके निवारण की चर्चा भी अवश्य करेंगे ।।
मित्रों, इस विडियो में ज्योतिष में कुल 32 प्रकार के नाभस योग होते हैं । जिसमें से 20 प्रकार के आकृतियोग का वर्णन किया गया है - तो इस विडियो में आप २० प्रकार के योग को जानें ।।
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।।। नारायण नारायण ।।।
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